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मुद्दा अपराध

अननोन लिंक या यूआरएल पर ना करें क्लिक, अन्यथा आप भी हो सकते हैं ठगी के शिकार.

रिपोर्ट- बिनोद सोनी….

रांचीः अपराध अनुशंधान विभाग ने बैंक फ्रॉड करने वाले साइबर ठग को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है।

दरअसल साईबर थाना में बीते 18 मई को icici बैंक द्वारा शिकायत दर्ज करवाया गया था कि अज्ञात साइबर अपराधियों द्वारा Phishing SMS मैं लोगों को अकाउंट, पैन कार्ड अपडेट करने के नाम पर एक Malicious Fake Android (apk) फाइल भेजा जा रहा है, जो प्रथमदृष्टया icici बैंक के इंटरनेट बैंकिंग से मिलता जुलता एप्लीकेशन की ही तरह है। मामला दर्ज होने के बाद भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र गृह मंत्रालय से सहयोग प्राप्त करने के बाद अनुसंधान करते हुए जामताड़ा के एक साइबर अपराधी, करण मंडल को गिरफ्तार किया गया।

इस मामले की जानकारी देते हुए अपराध अनुशंधान विभाग के एसपी, कार्तिक एस ने लोगों से अपील की है कि, किसी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए अननोन लिंक या यूआरएल पर क्लिक ना करें, ना ही किसी अन्य नंबर पर फॉरवर्ड करें। बैंकों के यूपीआई एप्लीकेशन से संबंधित रजिस्ट्रेशन के लिए बैंकों के ऑफिशियल नंबर से ही मैसेज आता है। वहीं कार्तिक एस ने कहा कि साइबर अपराध का शिकार होने पर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर अविलंब शिकायत करें।

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अपराध मुद्दा

यश मॉडल कंपनी के मालिक, तनवीर खान पर युवती ने लगाया आरोप, ब्लैकमेल कर धर्म परिवर्तन करने और शादी का बना रहा है दबाव.

रिपोर्ट- बिनोद सोनी….

राँची: महाराष्ट्र पुलिस के द्वारा रांची पुलिस को एक केस ट्रांस्फर किया गया है, जिसमें बिहार की रहने वाली एक मॉडल ने रांची स्थित यश मॉडल कंपनी के मालिक, तनवीर खान पर ब्लैकमेल करने के साथ-साथ धर्म परिवर्तन कर जबरन शादी करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है।

पीड़िता का आरोप, यश नाम बता कर तनवीर ने दोस्ती की थीः

पीड़िता ने बताया कि, आरोपी तनवीर खान ने पहली मुलाकात में उसे अपना नाम यश बताया था। जब उसका असली नाम तनवीर खान पता चला, तो उसने दूरी बनानी शुरू कर दी, इसके बाद से उसे ब्लैकमेल करने और मारपीट का सिलसिला शुरू हो गया। वहीं इस मामले में युवती ने सीएम को ट्वीट कर सुरक्षा की गुहार लगाई है।

नशे की गोली खिला कर कुछ फोटो तनवीर ने खिंचा थाः पीड़िता

पीड़िता ने पुलिस को बताया कि होली त्योहार के दौरान तनवीर ने नशे की गोलियां खिलाकर उसके कुछ फोटो खींचे थे। इसके बाद से तनवीर उसे, उसी फोटो को आधार बना कर ब्लैकमेल करने लगा और मारपीट का सिलसिला भी शुरू हो गया। आरोपी तनवीर उस पर धर्म बदलने और शादी करने का दबाव बनाने लगा। इसके बाद उसने इसकी शिकायत मुम्बई के बरसोवा थाने में दर्ज कराई।

आरोपी, तनवीर खान ने सभी आरोपों को खारिज कियाः

आरोपी, तनवीर खान पीड़िता के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं।  तनवीर ने पीड़िता पर आरोप लगाया कि, वह अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ मिलकर उसे ब्लैकमेल कर रही है। मुझे झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश कर रही है। तनवीर ने कहा कि इस युवती ने मेरे बिजनेस को काफी नुकसान पहुंचाया। जब मैंने इससे भरपाई की मांग की तो वो मुझे ब्लैकमेल करने पर उतर आई है। आगे अपने बयान में कहा कि इससे पहले इस युवती ने मेरी न्यूड तस्वीर मेरे फैमिली और फ्रेंड्स को भेजा था, लेकिन मैंने इग्नोर कर दिया था।

तनवीर पर रांची के गोंदा थाना में केस दर्जः एसएसपी

मामले की जानकारी देते हुए रांची एसएसपी, कौशल किशोर ने बताया कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा भेजे गए मामले पर संज्ञान लिया गया है और उसके बाद उसपर 376 समेत अन्य धाराओं का केस गोंदा थाना में दर्ज कर जांच शुरु कर दी गई है।

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मुद्दा राजनीति

लोकसभा में पेश वन संरक्षण संशोधन अधिनियम, वन अधिकार कानून एवं पेशा कानून को नगण्य करने के साथ-साथ वन निवासी समुदायों के अधिकारों पर कुठाराघात करने वाला.

रिपोर्ट- ब्यूरो, ताजा खबर झारखँड…

रांचीः वन(संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023, जो लोक सभा में 29 अप्रैल 2023 को पेश किया गया था, उसे संयुक्त संसदीय समिति के द्वारा 3 मई 2023 को 15 दिनों के भीतर कुछ टिपणी और सुझावों के लिए आमजनों के लिए रखा गया था, जिसमें पाया गया कि, प्रस्तावित संशोधन वन संरक्षण अधिनियम 1980 को न केवल कमज़ोर करता है, बल्कि वन अधिकार कानून एवं पेसा कानून को अपूर्णीय क्षति पहुंचाते हुए इसके क्रियान्वयन को नगण्य करता है। यह संशोधन विधेयक वन निवासी समुदायों के अधिकारों पर कुठाराघात करता है।

वन उत्पादों पर निर्भर है वनों में रहने वाले समुदाय.
वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 के दुष्परिणामः
  • प्रस्तावित संशोधन विधेयक 2023 सीधे तौर पर वन अधिकार कानून 2006 द्वारा प्रदत्त वन अधिकारों को नज़र अंदाज़ करता है। ग्राम सभा एवं स्थानीय समुदायों जो वन संरक्षण एवं संवर्धन के अधिकारों की अवहेलना करता है।
  • यह विधेयक केंद्र सरकार को पूर्णरूपेण सक्षम प्राधिकारी बनाता है, जो यह तय कर सकेगा कि, वनों एवं वन भूमि को किस हद तक तथा किस रूप में इस्तेमाल करेगा। परिणामतः वनों को गैर वन उपयोग के लिए भी परिवर्तित कर सकेगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि वनों के अंधाधुंध कटाई होगी एवं निजी कंपनियों के हाथों में आसानी से दे दिया जाएगा। इसके लिए स्थानीय समुदायों की सहमति की कोई आवश्यकता नहीं लेनी होगी, जो कि वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के धारा 2 में स्थानीय समुदायों की सहमति को अनिवार्य करता है।
  • यह प्रस्तावित विधेयक केंद्र सरकार को व्यापक रूप से शक्तियां भी प्रदान करता है। इन शक्तियों का उपयोग करते हुए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, पैसा कानून, स्थानीय समुदायों एवं ग्राम सभा के शक्तियों को नकारता है और अधिसूचना या घोषणा के माध्यम से वनों को किसी भी व्यक्ति एवं निजी संस्थानों को हस्तांतरित कर सकता है।
  • ऐसे अचिन्हित,अवर्गीकृत और अन्य वन क्षेत्रों को जिसे 1996 में उच्चतम न्यायालय को गोदावार्मन केस के फैसले में वन का दर्जा दिया था, उसे इस प्रस्तावित विधेयक में इस विशाल वन भूमि की परिभाषा से बाहर करता है । अतः ग्राम सभा इसका स्वशासन, संरक्षण एवं संवर्धन नहीं कर सकेगा और वन भूमि का हस्तांतरण बिना किसी सहमति से आसानी से किया जाएगा।
  • यह प्रस्तावित संशोधन विधेयक वन भूमि को संरक्षण के दायरे से बाहर कर देता है और राष्ट्रीय राज मार्ग, रेल, सड़क निर्माण, अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 100 किलोमीटर के दायरे, राष्ट्रीय उद्यान, प्रकृति पर्यटन स्थल, राष्ट्रीय सुरक्षा सम्बंधित परियोजना, राष्ट्रीय रक्षा एवं पारा मिलिट्री फोर्स तथा सार्वजनिक हित के लिए निर्माण कार्यों हेतू वन भूमि के उपयोग की छूट देता है। इसका सीधा-सीधा यह अर्थ निकलता है कि उपरोक्त परियोजनाओं से वन्य जीवों, पर्यावरण, एवं समुदायों के परिवेश को न केवल हानि पहुंचाएगा बल्कि उनको नष्ट भी करेगा।
  • यह गैर वन गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है जो कि वनों का असंतुलित व्यवसायी करण को छूट देता है और खनिजों के खनन के लिए अन्य मानकों जैसे भूकंप को नज़र अंदाज़ करता है।

वनों में निवास करने वाले समुदायों का जन जीवन.
संयुक्त संसदीय समिति को जन संघर्ष समिति, नेतरहाट समेत कई जन संगठनों का सुझावः
  • केन्द्र सरकार को यह सुझाव दिया जाता है कि, वन अधिकार कानून 2006 द्वारा प्रदत्त वन अधिकारों को नज़र अंदाज़ न किया जाए और ग्राम सभा एवं स्थानीय समुदायों के अधिकारों को बरक़रार रखा जाए।
  • मूल वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के धारा 2 में स्थानीय समुदायों की सहमति को अनिवार्य करते हुए प्रस्तावित संशोधन विधेयक के धारा 4 के तहत भी अनिवार्य किया जाए।
  • अचिन्हित, अवर्गीकृत और अन्य वन क्षेत्रों को जिसे 1996 में उच्चतम न्यायालय को गोदावार्मन केस के फैसले में वन को परिभाषित किया गया इसे प्रस्तावित संशोधन विधेयक में भी लाया जाए।
  • प्रस्तावित वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023 को लाने के बजाय वन अधिकार कानून 2006 को धरातल पर सख्ती से लागू किया जाए।
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अपराध मुद्दा

पलामू जिला, करसो पंचायत के मुखिया पति, शंकर साव पर अवैध हथियार के बल पर दलित समुदाय को धमकाने का आरोप, पीड़ित ने आवेदन एसपी को दिया.

रिपोर्ट- संजय वर्मा…

पलामूः पलामू जिला, करसो पंचायत के मुखिया पति, शंकर साव पर अपने 4-5 गुर्गों के साथ अवैध हथियार लेकर दलितों को धमकाने का आरोप लगा है। करसो पंचायत निवासी पीड़ित शिवलाल सिंह ने इस बारे में जिले के एसपी से लिखित शिकायत की है। 30 वर्षीय शिवलाल सिंह, पिता मोहन सिंह ने एसपी को दिये आवेदन में कहा है कि, दिनांक 1 मई 2023 को शंकर साव, अपने 4-5 गुर्गों के साथ हथियार लेकर रात के नौ बजे मेरे घर पहुंचे और कहा कि, तुम मेरे साथ मेरे लिये काम करो, नहीं तो जान मार देंगे। जब मैंने ईन्कार किया कि, मैं आपके साथ नही रहुंगा, तो कॉलर पकड़ कर मुझे मारने लगें। इसके बाद मां-बहन की गाली देते हुए कहा कि साला खेरवार, हरिजन तुम लोगों का कोई कीमत नहीं है। पांच दिन का समय दे रहे हैं। मेरे साथ जुड़ जाओ नहीं तो दूसरी बार आ गएं, तो गोली मार देंगे।

पीड़ित़, शिवलाल सिंह द्वारा जिले के एसपी को सौंपा गया आवेदन की कॉपी.

शंकर साव की धमकी से मेरे परिवार के लोग रोने-चिलाने लगे और शंकर साव मुझे लात घुसे से मारते रहें। जब गांव के लोग वहां जमा होने लगे तो शंकर साव अपने गुर्गों को लेकर वहां से चले गएं। पांच मई को शंकर साव दुबारा शायं के 7 बजे मेरे घर पहुंचे और बोला कि क्या निर्णय लिया? मेरे साथ जुड़ोगे की नहीं? जब मैने फिर इन्कार कर दिया, तो उसने कहा कि तुम नहीं मानोंगे, तुमको भी अब और लोगों की तरह जेल भेजवाना पड़ेगा, तब तुम मानोंगे। शंकर साव ने ये भी कहा कि मेरे पास हथियारों की कमी नहीं है। मैं अपने हथियार वायरल भी कर चुका हूं, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ लेगा।

शिवलाल सिंह ने अपने आवेदन में एसपी से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए कहा है कि, इस घटना से मैं काफी डरा हुआ हूं। चुंकि मैं समाजिक कार्यों में ज्यादा व्यस्त रहता हूं और लगातर समाज के कार्यों को लेकर मेरा घुमना-फिरना लगा रहता है। मुझे डर है कि शंकर साव मुझे मरवा सकता है या फिर किसी ना किसी बहाने झुठा केस में मुझे फंसा सकता है। अतः महाशय से निवेदन है कि शंकर साव के विरुद्ध कानून सम्मत कार्रवाई करते हुए मुझे न्याय दिलाया जाए।

पीड़ित शिवलाल सिंह ने फोन पर बात करते हुए ताजा खबर झारखंड के संवाददाता को बताया कि, मुखिया पति, शंकर साव पंचायत चुनाव के समय से ही मुझ से नाराज हैं। उसने मुझे अपने समुदाय(खेरवार) का वोट अपनी पत्नी के पक्ष में दिलवाने के लिए कहा था, लेकिन मैंने इस बारे में खेरवार समुदाय के लोगों से कोई बात नहीं कि और सभी ने अपने मन से अपने मत का प्रयोग किया था। शंकर सिंह पूर्व में गांव के कई युवकों को झुठा केस करके जेल भिजवा चुका है। गांव वाले जब उन्हें ग्रामसभा की बैठक में बुला कर उनसे बात करना चाहते हैं, तो वे ग्रामसभा की बैठक में भी नहीं आते हैं। शंकर साव स्पष्ट कहता है कि कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ लेगा।

कूल मिला कर ये मामला संविधान के अनुच्छेद-21 का हनन है। अनुच्छेद-21 में स्पष्ट है कि देश के हर नागरीक को गरीमा के साथ जीवन जीने का अधीकार है। अगर कोई भी व्यक्ति, व्यक्ति विशेष के संवैधानिक अधीकारों का उल्लंघन करता है तो, निश्चित तौर पर उसके उपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

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Education अपराध मुद्दा

जी.एस. पब्लिक स्कुल विद्यालय प्रबंधन समिति में अध्यक्ष पिता और पुत्र सचिव, शिक्षा अधिकार कानून के धारा 21 का खुला उल्लंघन : ओंकार विश्वकर्मा

ब्यूरो रिपोर्ट…

डोमचांच (कोडरमा) : डोमचांच स्थित ज्ञान सरोवर पब्लिक स्कुल में शिक्षा अधिकार कानून 2009 का पालन नहीं किया जा रहा है। स्कूल का ये मामला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली में विचाराधीन है।  उक्त बाते मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने कही। ओंकार विश्वकर्मा ने बताया कि, विद्यालय को मान्यता मिलने के बाद, शिक्षा अधिकार कानून का पूर्ण रूपेन पालन करना अनिवार्य है।

विद्यालय के प्रबंधन समिति में अध्यक्ष के पद पर पिता प्रदीप सिंह और सचिव के पद पर पुत्र नितेश सिंह हैं काबिजः

आगे ओंकार विश्वकर्मा ने बताया गया कि इस पुरे मामले की क्रॉस जाँच मेरे द्वारा की गई थी, जिसमे यह पुष्टि हुआ था कि, उक्त विद्यालय शिक्षा अधिकार कानून का पालन नहीं कर रहा है। स्कूल में जिन बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने की बात कही जा रही थी, जांच में ये पाया गया की बच्चों से शुल्क लिया जा रहा था। जिसके बाद माननीय आयोग ने पुनः उक्त विद्यालय के जाँच के आदेश दिए थे, जिस पर दिनांक 15 मई 2023 को उपायुक्त, कोडरमा द्वारा आयोग को सौंपे गए रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई है कि, उक्त विद्यालय के प्रबंधन समिति में अध्यक्ष के पद पर प्रदीप सिंह एवं सचिव के पद पर नितेश सिंह है जो रिश्ते में पिता और पुत्र हैं, जो शिक्षा अधिकार कानून 2009 के धारा 21 का उलंघन है। अधिनियम की धारा 21 के तहत खून के रिश्ते के लोग पद पर सदस्य नहीं हो सकते हैं।

कोडरमा उपायुक्त द्वारा बाल संरक्षण आयोग को सौंपा गया जांच प्रतिवेदन का पत्र.

स्कूल में कई ऐसे शिक्षकों का नाम दिया गया है, जो दुसरे राज्यों में काम कर रहे हैः

विद्यालय प्रबंधक ने इस बात की जानकारी नहीं दी है, कि उनके विद्यालय में कितने बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है और कितने बच्चे शिक्षा अधिकार कानून के सेक्शन 12 (1) (c) के तहत नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे है। वहीं स्कूल में कई ऐसे शिक्षकों का नाम दिया गया है, जो दुसरे राज्यों में काम कर रहे है, और उनका नाम विद्यालय के शिक्षण कार्य में दिखाया गया है

क्या कहता है शिक्षा अधिकार कानून का धारा 12 (1) (c)

शिक्षा अधिकार कानून के धारा 12 (1) (c) कहता है कि गैर अल्पसंख्यक निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूल ऐसे बच्चों को जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से हैं और शिक्षा से वंचित हैं ऐसे बच्चों को प्रवेश स्तर ग्रेड में कम से कम 25 प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया जाए, और वर्ग 8 अर्थात 14 वर्ष के उम्र तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाए|

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मुद्दा

“ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे”  के अवसर पर “टेक्नोलॉजी एक्सेसिबल फॉर एवरीवन”  थीम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन दीपशिखा रांची में किया गया.

रांचीः “ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे”  के अवसर पर गुरुवार, दिनांक 18.05.2023 को  “टेक्नोलॉजी एक्सेसिबल फॉर एवरीवन”  थीम पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन दीपशिखा रांची में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय न्यास के द्वारा 10  सी. पी. चेयर  दीपशिखा स्टेट नोडल एजेंसी को प्रदान किया गया है, जिसे झारखंड के विभिन्न जिलों के सीपी बच्चों को प्रदान किया जाएगा।

कार्यक्रम में ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे के बारे में विस्तार से चर्चा किया गया और इसके महत्व के बारे में बताया गया। एक्सेसिबिलिटी प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। दिव्यांग व्यक्ति जहां कहीं भी जाना चाहें, घूमना चाहे वे जा सकते है, लेकिन वर्तमान समय में एक्सेसिबिलिटी की  समस्या हर स्थान पर होने के कारण दिव्यांग व्यक्ति नहीं जा पाते हैं, जिससे बच्चों  और व्यक्ति का विकास अवरूद्ध होता है और समाज में समावेशित नहीं हो पाते हैं, इस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है।

10 सी. पी. चेयर दीपशिखा स्टेट नोडल एजेंसी को दिया गया.

इस कार्यक्रम में सेरेब्रल पाल्सी  उसके विभिन्न प्रकार ,कारण और प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा किया गया, साथ ही राष्ट्रीय न्यास के विभिन्न स्कीम एवं राष्ट्रीय न्यास द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान किया गया।

इस कार्यक्रम में  डॉ अनुराधा वत्स क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, प्रमोद कुमार स्टेट कोऑर्डिनेटर राष्ट्रीय न्यास एवं अमिता सिन्हा विशेष तौर पर उपस्थित रहें।

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मुद्दा Latest News

सुबे में 107 लोक अभियोजक किये गएं नियुक्त, सीएम ने वितरीत किया नियुक्ति पत्र….

रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

रांचीः मंगलवार को गृह, कार्य एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड सरकार द्वारा आयोजित समारोह में 107 अभ्यर्थियों के बीच सहायक लोक अभियोजकों को नियुक्ति पत्र का वितरण किया गया। इस दौरान लोक अभियोजकों के चेहरे में खुशी, इरादों में आत्मविश्वास और आंखों में नौकरी मिलने की सुकून स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी।

साल 2018 से शुरू हुई निय़ुक्ति प्रक्रिया 2023 में आ कर पूर्ण हुई। तकरीबन 5 साल के लंबे इंतजार के बाद जब नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ और लोकअभियोजकों की नियुक्ति हुई। नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि, लोग डॉक्टर और वकील को भगवान मानते है। पर इस विश्वास को बनाना और कायम रखना आप सभी नव नियुक्त लोक अभियोजकों का काम है। सीएम हेमंत सोरेन ने लोक अभियोजकों से कहा कि जनता आप सभी को भगवान का दर्जा देती है। आप सभी जनता के हित मे काम करें, ताकि जनता को न्याय मील सके। सीएम ने कहा कि, झारखंड के लोग ठीक से हिंदी तक नहीं जानते। स्थानीय भाषा की जानकारी होना बहुत जरूरी है। आज आदिवासी और गरीब लोग कानून की जानकारी और पैसे के अभाव में जेल में बंद है, उनको मदद करने की जरुरत है।

मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने नव नियुक्त लोक अभियोजकों से कहा कि जटिल प्रक्रिया से त्वरित न्याय दिलाने के लिए रणनीति बनानी होगी। किसी निर्दोष को हम जेल नहीं भेजें, और दोषी बचे नहीं, ये ध्यान रखने की जरूरत है।

जानकारी देते चलें कि साल 2018 में सहायक लोक अभियोजक पद के लिये विज्ञापन प्रकाशित हुई थी, उसके बाद से तमाम अड़चनों और प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए नियुक्ति पत्र इन युवाओं के हाथों तक पहुंची है। सहायक लोक अभियोजक बनने वाले युवा झारखंड के लोगों के साथ न्याय करने का संकल्प दोहराते नजर आएं।

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SOCIETY for BRIGHT FUTURE की ओर से इस्लाम नगर, रांची में 74 गरीबों को ईदी कपड़ा का वितरण किया गया…

रिपोर्ट- इमामुल हक़

रांचीः  दिनांक 18/04/2023 को SOCIETY for BRIGHT FUTURE की ओर से कपड़ा बैंक लगाकर इस्लाम नगर रांची में 74 गरीबों को कपड़ा बैंक के तहत ईदी कपड़ा का वितरण किया गया ।

SBF झारखण्ड के संचालक, सुहैल अख्तर ने बताया कि आपदाओं को रोकने और कम करने की दृष्टि से मानवीय गतिविधियों के विभिन्न रूपों को प्रेरित, प्रोत्साहित, सुविधा और बढा़वा देना और इस प्रकार विश्व शांति रखरखाव और प्रचार में योगदान देना,  स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर आपदा प्रबंधन के लिए एक प्रभावी और उत्तर दायी तंत्र का निर्माण करना है ।

पीड़ितों के पुनर्वास और आपदा के दौरान के साथ बाद में भी प्रभावी तरीके से आवासों के पुर्ननिर्माण के उपयुक्त योजनाएं और रणनीतियां तैयार करना SBF का उद्देश्य है । इस अवसर पर जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द यूनिट रांची शहर के अध्यक्ष के साथ और भी लोग शामिल थें ।

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गुदड़ी प्रखंड में मौलिक सुविधा बहाल करने समेत अन्य मांगो को लेकर उपायुक्त के नाम बीडीओ को सौंपा गया मांग पत्र…

ब्यूरो रिपोर्ट….

मनोहरपुरः बुधवार दिनांक 5 अप्रैल को प्रखण्ड़ मुख्यालय गुदड़ी में “आस” झारखण्ड और ग्रामसभा समन्वय मंच गुदड़ी के संयुक्त तत्वावधान में क्षेत्र की ज्वलंन्त जन समस्याओं के समाधान को लेकर एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया गया। मौके पर उपायुक्त प. सिंहभूम चाईबासा के नाम 10 सूत्री माँग पत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा गया।

प्रखंड विकास पदाधिकारी को मांग पत्र सौंपते प्रतिनिधि मंडल के सदस्य.

“आस” झारखण्ड और ग्रामसभा समन्वय मंच गुदड़ी की मुख्य मांगः

  • प्रखण्ड मुख्यालय गुदड़ी में राष्ट्रीयकृत बैंक की स्थापना की जाय।

  • प्रखण्ड़ मुख्यालय में अस्पताल की स्थापना की जाय।

  • प्रखंड में महाविद्यालय की स्थापना की जाय।

  • तत्काल राशन गोदाम की स्थापना की जाय।

  • प्रखण्ड़ मुख्यालय के साथ-साथ प्रत्येक पंचायत में दूरसंचार की व्यवस्था की जाय।

  • गुदड़ी से रनियां तक सड़क का निर्माण करवाया जाय।

  • सरकारी योजनाओं में कार्य आरम्भ होने के पूर्व योजना से संबंधित बोर्ड कार्य स्थल पर लगवाया जाना सुनिश्चित किया जाय और अकुशल मजदुरों को 46 रुपये, कुशल मजदुरों को 464.95 रूपये न्युनतम मजदूरी सुनिश्चित किया जाय।

  • प्रखण्ड़ के सभी माध्यामिक एवं +2 उच्च विद्यालयों में स्वीकृत सभी पदों में शिक्षकों को पदस्थापित किया जाय।

  • प्रखण्ड मुख्यालय में प्रतिदिन चिकित्सकों के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।

  • प्रत्येक गाँव के खराब पड़े चापानलों की तत्काल मरम्मति करवाई जाय।

गुदड़ी प्रखंड के ग्रामीण अब भी मौलिक सुविधाओं से हैं वंचितः सुशील बारला

प्रखण्ड़ विकास पदाधिकारी को मांग पत्र सौंपने के बाद एक सभा का भी आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए सुशील बारला ने कहा कि, 8 साल पूर्व प्रखंड की स्थापना हुई थी, लेकिन प्रखंड में जिन मौलिक सुविधाओं को अविलंब बहाल किया जाना चाहिए था, वो आज तक नही हुआ है। प्रखण्ड़ वासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखना ये अपने आप में संविधान का उल्लंघन है। इसके लिए सीधे तौर पर सरकार और सरकार के अधिकारी दोषी हैं।

सभा को जेवियर कासेरा, मनोहर लोमगा, बिरसा बुढ़, लेचा बरजो, शान्तिएल काडयबुरू, नरेन्द्र केरकेट्टा, और बलदेव जाते समेत कई लोगों ने सम्बोधित किया। कार्यक्रम में विभिन्न गाँव से काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थें।

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मुद्दा Latest News अपराध

रांची में 10 जून को हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार 2 लोगों की ज़मानत मंजुर, एपीसीआर कर रही है पैरवी…

ब्यूरो रिपोर्ट…

रांची- कुछ महीनों पहले पूर्व बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के राष्ट्रीय टेलीविजन पर पैगंबर मुहम्मद साहब पर दिए अशोभनीय बयान के विरोध में देश के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए थें। इसी कड़ी में 10 जून 2022 को रांची में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा भड़क गई थी, जिसमे कथित पुलिस फायरिंग में 2 लोगों की मौत और कई अन्य लोगों को गोली लगी थी। इस घटना में तबारक कुरैशी और सरफराज भी गोली लगने से बुरी तरह ज़ख़्मी हुए थे और इलाज के उपरांत ही पुलिस ने इन सभी पर मुक़दमा दर्ज करके अस्पताल से ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। झारखंड पुलिस ने डेलीमार्केट थाना में FIR संख्या 16/2022 में 147, 148, 149, 341, 353, 295A, 153A, 504, और 120B भारतीय दंड सहिंता की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) इन सभी और अन्य प्रदर्शनकारियों के मुकदमों की मुफ्त कानूनी पैरवी कर रही हैः

एपीसीआर के अधिवक्ता मोहम्मद शादाब को सुनने के बाद माननीय झारखंड हाई कोर्ट ने दो लोगों की जमानत अर्ज़ी मंजूर कर दी है, लेकिन इन दोनों को अभी भी जेल में ही रहना होगा, क्योंकि इन पर दो मुकदमे और भी दर्ज हैं, जिनमे अभी ज़मानत मिलना बाकी है।

एपीसीआर झारखंड के राज्य सचिव जियाउल्लाह ने कहा- एपीसीआर बेकसूर, कमज़ोर और मज़लूमो को इंसाफ दिलाने की अपनी कोशिशें जारी रखेगीः

एपीसीआर के महासचिव, मलिक मोहतसिम खान ने कहा, “एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की अपनी विरासत को जारी रखेगा, ताकि कानून का शासन बना रहे। हम आशा करते हैं कि भारत में विभिन्न न्यायालयों में लंबित सैकड़ों अन्य मामलों में मौलिक अधिकारों को इसी तरह सुनिश्चित कराया जाएगा।

दोषी साबित होने तक प्रत्येक आरोपी व्यक्ति निर्दोष होता हैः

एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) का दृढ़ विश्वास है कि, दोषी साबित होने तक प्रत्येक आरोपी व्यक्ति निर्दोष होता है और “जमानत एक नियम है, जेल एक अपवाद है,” जैसा कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय अपने ऐतिहासिक फैसले राजस्थान बनाम बालचंद उर्फ ​​बलिया में भी कह चुकी है।