खूंटी जिला के अड़की प्रखंड में एसी भारत कुटुंब परिवार की अब भी है धमक…जम कर हो रही है अफीम की खेती, राशन डीलरो की कट रही है चांदी…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

खूंटीः झारखँड प्रदेश का खूंटी जिला, जो पूर्व में अतिनक्सल प्रभावित जिला के रुप में कुख्यात रहा, इसके बाद पत्थलगड़ी और वर्तमान में अफीम की खेती को लेकर सुर्खियों मे है। माओवादियों का इस प्रखंड से लगभग सफाया हो चुका है, लेकिन एलजीएस के साथ साथ पीएलएफआई अपराधी संगठन अब भी इस प्रखंड के कई क्षेत्रों में सक्रीय है। वर्तमान में अफीम की खेती इस जिले के कई प्रखंडों में बड़े पैमाने पर की जा रही है। जानकार बताते हैं कि अफीम की खेती करने वाले ग्रामीणों को अब स्थानीय पुलिस का भी साथ मिल चुका है, इसलिए बिना किसी डर-भय के सुदूर जंगलों के वन भूमि के साथ-साथ रैयती भूमि पर भी अफीम की खेती लोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। ये कहा जा सकता है कि अफीम की खेती धान के फसल की तरह इस क्षेत्र में एक मुख्य फसल हो चुकी है।

अड़की प्रखंड के कोचांग और कुरुंगा में स्थापित सीआरपीएफ कैंप के आसपास बड़े पैमाने पर की गई है अफीम की खेतीः

नवंबर माह में जैसे ही वर्षा कम होने लगती है, यहां के ग्रामीण अफीम की खेती में जुट जाते हैं। इसके लिए ग्रामीण उबड़-खाबड़ पहाडी भूमि को जेसीबी मशीन लगवा कर समतल करते हैं, फिर उस पर अफीम की खेती करते हैं। आलम ये हैं कि कोचांग और कुरुंगा में स्थापित सीआरपीएफ कैंप के आसपास भी बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है। ऐसा नहीं कि स्थानीय पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों को इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन ये मामला स्थानीय पुलिस से जुड़ा हुआ है, इसलिए सीआरपीएफ के जवान इस पर हस्तक्षेप नही करते हैं, और पुलिस पर पैसे लेकर अफीम की खेती करवाने का आरोप लग रहा है।
बीते 14 मार्च को समाजसेवी मंगल सिंह मुंडा, जो कुरुंगा गांव के निवासी है, लेकिन वर्तमान में रांची शहर में निवास कर रहे है। इनके कहने पर अड़की पुलिस ने कुरुंगा में लगभग 20 डीसमील जमीन पर लगे अफीम की फसल को नष्ट किया। इस दौरान ताजा खबर झारखंड की टीम भी अफीम के खेत पर मौजुद थी। अफीम के फसल के देख कर स्पष्ट पता चल रहा है, कि इससे अफीम निकाला जा चुका है। सिर्फ अफीम के फल से पोस्ता बीज निकालने के लिए इसे खेत में ही सुखने के लिए छोड़ दिया गया था, जिसे अड़की थाने की पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने नष्ट किया। यहां पुलिस ने ग्रामणों को स्वयं से अफीम की फसल नष्ट करने का निर्देश देकर चलते बनें। बड़ा सवाल ये है कि, कुरुंगा, कोचांग और अड़की प्रखंड के कई क्षेत्रों में अफीम की फसल नवंबर 2023 से ही लहलहा रही है, फिर अड़की पुलिस ने फसल से अफीम निकाले जाने के पूर्व ही कार्रवाई क्यों नहीं की? अफीम की फसल नष्ट करने के दौरान जब ताजा खबर झारखंड के संवाददाता ने इस बाबत थाना प्रभारी से सवाल किया तो उन्होंने गोल-मटोल जवाब दिया।

एसी भारत कुटुंब परिवार के फरमान से राशन डीलरों की कट रही है चांदीः

अड़की थाने की पुलिस और सीआरपीएफ जवानों के जाने के बाद गांव में ग्राम प्रधान, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और ग्रामीणों की उपस्थिति में सामाजिक कार्यकर्ता सह कुरुंगा निवासी, मंगल सिंह मुंडा ने एक बैठक की। बैठक के दौरान मंगल सिंह मुंडा ने ग्रामीणों को अफीम की खेती से होने वाले नुकशान और एनडीपीएस एक्ट की जानकारी स्थानीय भाषा में दी। यहां ग्रामीणों ने भी अपनी मजबुरी साझा करते हुए बताया, कि हमलोगों के पास जीने का कोई साधन नही है। मजदुरी में गांव के लोग पलायन कर महानगरों में जाकर काम करते हैं। एसी भारत कुटुंब गरिवार के बारे में बताया गया कि उनके द्वारा भी हमलोगों के उपर दबाव है। हमारे ईलाके में बहुत से परिवार ऐसे हैं, जो सरकारी राशन नहीं लेते हैं। राशन डीलर हमारे हिस्से की राशन को कालाबाजारी कर बेच देता है।

अशिक्षित ग्रामीणों के बीच एसी भारत कुटुंब परिवार की है गहरी पैठ, सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को लेने से करते हैं मनाः स्थानीय ग्रामीण

एक स्थानीय ग्रामीण ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अफीम की खेती ज्यादातर वैसे लोग कर रहे हैं, जो सरकार के विकास योजनाओं का लाभ नही ले रहे हैं। ये सभी “एसी भारत कुटुंब परिवार” के समर्थक हैं और एसी भारत कुटुंब परिवार के सिद्धांतो को ही मान रहे हैं। इनके अशिक्षित होने का फायदा अब भी एसी भारत कुटुंब परिवार के सिद्धांतो को आगे बढ़ाने वाले लोग उठा रहे हैं। यहां के भोले-भाले अशिक्षित ग्रामीणों को बरगला कर अपने मक्सद में कामयाब हो रहे हैं, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नही है। ग्रामीण के इस बात की पुष्टि मंगल सिंह मुंडा ने कैमरे के समक्ष की।

अड़की प्रखंड के कई राशन डीलर हजारों क्लींटल चावल और गेहूं की करते हैं कालाबाजारीः मंगल सिंह मुंडा

सामाजिक कार्यकर्ता मंगल सिंह मुंडा आगे बताते हैं कि अड़की प्रखंड के परासो, रमदा, हरलदामा, कंडेर, कोचांग, कुरुंगा, कुदा, लोंगा कटोई, तिलमा, तिनतिला गांव के सैंकड़ों ग्रामीण जो एसी भारत कुटुंब परिवार के नीति सिद्धांतों को मान रहे हैं, वे लोग राशन का उठाव नही करते हैं। इन गांवों के सैंकड़ों लाभुकों का राशन डीलर के पास सरकार द्वारा पहुंच रहा है, लेकिन डीलर फर्जी हस्ताक्षर और ठेपा लगा कर इनके हिस्से के राशन का कालाबाजारी कर रहा है। अगर खाद्य आपूर्ति विभाग इस मामले की जांच करे, तो कई राशन डीलर सलाखों के अंदर होंगे। बीते 7-8 वर्षों में डीलरों ने हजारों क्विंटल चावल और गेंहू का कालाबाजारी किया है। इस ईलाके में सबसे ज्यादा कार्डधारी तिनतिला के राशऩ डीलर के पास है। उनके यहां से सबसे ज्यादा सरकारी राशन की कालाबाजारी होती है।

अफीम की खेती करना गलत, लेकिन मैं ग्रामीणों के घर का बुझा चुल्हा नहीं देख सकतीः मुखिया

मुखिया, गीता समद कहती हैं कि, अफीम की खेती करना गलत है। मैं भी इसका विरोध करती हूं। क्षेत्र के सांसद और विधायक कभी भी इस क्षेत्र में नहीं आते हैं। ग्रामीणों के पास काफी समस्या है। यहां रोजगार की कोई सुविधा नही है। पानी के अभाव में लोग खेती नहीं कर पाते हैं। इस क्षेत्र में कई लोग गंभीर बीमारी से पीड़ित है। मजबुरी में क्षेत्र के लोग बड़े पैमाने पर पलायन करते हैं। क्षेत्र के विधायक और सांसद को इन ग्रामीणों की सुध लेनी चाहिए। मैं अफीम की खेती करने से इनको मना नहीं कर सकती हूं, क्योंकि यहां के लोग व्यवस्था से लाचार होकर अफीम की खेती कर रहे हैं। मैं इनके घरों का चुल्हा नहीं जला सकती हूं।

गरीबी के कारन लोग अपना ईलाज नही करवा पाते हैं, हर घर में एनिमिया के मरीजः

पंचायत समिति सदस्य, बताते हैं कि ग्रामीण बरसात में धान की खेती करके तीन महिने का चावल जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन इन्हें पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता है। यहां के लोग कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए लोग अफीम की खेती करने के लिए बाध्य हैं। सरकार की ओर से यहां के लोगों की ईलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों को बहुत परेशानी होती है। बच्चों को हाईस्कूल की शिक्षा के लिए काफी लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। गांव से स्कूल की दूरी अधीक होने के कारन कई बच्चे स्कूल नही जा पाते हैं। इस बात की पुष्टि लंबी दूरी तय कर स्कूल से अपने गांव पैदल लौट रहे बच्चों ने भी की।

खूंटी जिला में चर्म रोग और एनिमिया के मरीजों की संख्या अधीक हैः चिकित्सक

ताजा खबर झारखंड की टीम जब कुरुंगा गांव में समाचार संकलन कर ही थी, उसी दौरान कुरुंगा गांव में हंस फाउंडेसन की मोबाईल मेडिकल टीम पहुंची हुई थी। हंस मेडिकल टीम में चिकित्सक, नर्स, और कंपाउंडर मौजुद थें। फाउंडेशन के इस एंबुलेंस में ब्लड प्रेशर, शुगर, खून जांच के साथ-साथ अन्य आधुनिक चिकित्सा उपकरण मौजुद थी। यहां मरीजों की जांच कर रही महिला चिकित्सक ज्योत्सना चौटुरी ने मरीजो की जांच के क्रम में ताजा खबर झारखंड की टीम से बात करते हुए जानकारी दी कि हमारे फाउंडेशन की मेडिकल टीम हर 15 दिनों पर इन गांवों में कैंप लगाती है। जांच के बाद मरीजों को दवा भी उपलब्ध करवाया जाता है। इन ईलाकों में एनीमिया और चर्म रोग के मरीजों की संख्या काफी अधीक हैं। पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं हो पाने के कारन यहां के लोगों में खून में हिमोग्लोबीन की काफी कमी है।

कूल मिला कर अफीम की खेती के लिए सिस्टम का फेल होना भी एक बहुत बड़ा कारन है। यहां के लोग काफी सरल और सीधे हैं। इनके अशिक्षित होने का फायदा असामाजिक लोग उठा रहे हैं। क्षेत्र के सांसद और विधायक इन ग्रामीणों को सिर्फ अपना वोट बैंक मानते हैं। चुनाव के समय इनके दरवाजे में दस्तक देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद इनकी समस्याओं के निराकरण पर कोई ध्यान नहीं देते हैं।

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