आदिवासियों के सामुदायिक और निजी जमीनों की लूट के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने 21 जूलाई को किया महाधरना का आयोजन
रिपोर्ट- वसीम अकरम…
राँची : आदिवासियों के सामुदायिक और निजी जमीनों की लूट के खिलाफ आदिवासी संगठनों ने 21 जूलाई को महाधरना का आयोजन किया है। शनिवार को आदिवासी जमीन बचाओं अभियान के तहत करमटोली स्थित धूमकुड़िया भवन में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर इसकी जानकारी दी गई।
संवाददाता सम्मेलन में आदिवासी समन्वय समिति के संयोजक लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि राज्य में आदिवासियों की धार्मिक, सामाजिक, सामुदायिक और निजी जमीनों की बड़े पैमाने पर लूट हो रही है। इस लूट में सरकारी तंत्र का पुरा सहयोग जमीन माफिया, बिल्डरों को मिल रहा है। जमीन माफिया, बिल्डर और जमीन कारोबारियों के साथ राजस्व अधिकारियों की मिली भगत है और ये अधिकारी ही दस्तावेजों में हेराफेरी कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस भी जमीन कारोबारी माफिया और बिल्डरों का लठैत बन कर काम कर रही है।
लक्ष्मीनारायण मुंडा ने आगे कहा कि राज्य के आदिवासियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मामला दर्ज कराने पुहंचे आदिवासियों को थाने से ही भगा दिया जाता है। पीड़ित आदिवासी अपनी पीड़ा लेकर पुलिस प्रशासन, अंचल कार्यालय और मुख्यमंत्री के पास भी आवेदन दे चुके हैं, लेकिन ये सभी मौन धारन किये हुए हैं। मानों एक सोंची समझी साजिश के तहत जमीन की लूट करवाई जा रही है।
विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने एक सुर में कहा कि अब और बर्दास्त नहीं किया जाएगा। अगर यही स्थिति रही तो राज्य से आदिवासियों का नामों निशान मिट जाएगा, इसलिए आदिवासी संगठनों ने लोकतांत्रिक तरीके से आंदोसन करने का मन बनाया है। आंदोलन की पहली कड़ी में 21 जूलाई को राँची के मोरहाबादी मैदान में महाधारना कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें कई आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि और पीड़ित जनता शामिल रहेंगे।
संवाददाता सम्मेलन में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक देवकुमार धान, आदिवासी समन्वय समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायन मुण्डा, आदिवासी-मुलवासी सदान मंच के अध्यक्ष सुरज टोप्पो, कांके रोड सरना समिति के अध्यक्ष डब्लू मुण्डा, केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुण्डा एवं मुख्य पाहन जगलाल पहान, केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फुलचन्द तिर्की, अभय भूटकुवर, मोहन तिर्की, निर्मल पाहन, तानसेन गाड़ी, टिंकल पहान आदि मौजूद थें।