फ़ादर स्टैन स्वामी के प्रथम पुण्यतिथि पर राज्य भर में अर्पित की गई श्रद्धांजलि, विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन के कार्यक्रम में “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” पुस्तक का किया गया लोकार्पण.
रिपोर्ट- संजय वर्मा…
(रांची): 5 जुलाई, झारखंड के जल-जंगल और जमीन के प्रहरी के साथ साथ मानव अधिकारों को लेकक सदा मुखर रहने वाले फादर स्टेन स्वामी आज के दिन पांच जुलाई को झारखंड के शोषित-पीड़ित जनता और मानवाधिकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं को रोता-बिलखता छोड़ कर पर लोक में चले गए थें।
पूंजीपतियों के आंखों के किरकिरी और झारखण्डवासियों के चहेते मानवाधिकार कार्यकर्त्ता फादर स्टैन स्वामी के शहादत दिवस मनाने के लिए मंगलवार को पुरुलिया रोड़ स्थित मनरेसा हाउस के सभागार में राज्यभर से सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी, मानवाधिकार कार्यकर्ता मनरेसा हाउस पहुंचे और विस्थापन विरोधी जन विकास आन्दोलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुएं।
श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत शहीद फादर स्टैन स्वामी के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ट्राइबल रिसर्च सेन्टर के डायरेक्टर डॉ. रणेन्द्र ने सर्वप्रथम उन्हें श्रद्धांजलि दी। मौके पर फादर स्टैन स्वामी पर आधारित “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
पुस्तक के संपादनकर्ता, अरुण ज्योति ने फादर स्टैन स्वामी पर आधारित पुस्तक “झारखंड की आवाज स्टैन स्वामी” के विषय-वस्तु से सभी को अवगत करवाया। पुस्तक दो भागों में फादर स्टैन के मित्रों और सहयोगियों द्वारा लिखे आलेख, और फादर द्वारा स्वयं लिखे गए लेखों का हिंदी संकलन है। सभा में सी. डी. आर. ओ (कोऑर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गेनाईजेशन) द्वारा प्रकाशित बुकलेट “फादर स्टैन स्वामी की शहादत” का भी विमोचन किया गया।
स्मृति सभा के मुख्य अतिथि डॉ. रणेन्द्र ने फादर स्टैन स्वामी की मार्क्सवादी चेतना से लोगों को अवगत करवाया और यह भी बताया की आज के दौर में अस्मिता से जुड़े राजनीती से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है मार्क्स के राजनितिक चिंतन को आधार बना कर जन आंदोलन को आगे बढ़ाना। फ़ादर स्टैन के सहायक रह चुकीं डॉ प्रभा लकड़ा ने फादर के चिंतन को कार्यशैली में बदलने की बात कही। झारखण्ड जनाधिकार महासभा के अलोका कुजूर ने फादर स्टैन के ऊपर हुए राजनितिक दमन को झारखण्ड में व्याप्त कॉर्पोरेट द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की लूट से जोड़ कर बताया।
मौके पर टीएसी के पूर्व सदस्य, रतन तिर्की, मानवाधिकार कार्यकर्ता बी.एस.राजू तथा अन्य वक्ताओं ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि फ़ादर स्टैन की संस्थागत हत्या से भारत के लोकतंत्र, संविधान और कानून पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लग चूका है। देश के साथ साथ झारखंड की जनता आज भी न्याय के इंतज़ार में है।
स्वतंत्र पत्रकार रुपेश सिंह ने झारखण्ड सरकार पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार, आदिवासी हितों की रक्षा के वादे के साथ सत्ता में आयी, लेकिन ढाई साल बाद भी राज्य की समस्यांए ज्य़ों की त्यों बनी हुयी है।
सभा का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के दामोदर तुरी ने किया। आयोजन में रिषित, निषाद, विश्वनाथ और प्रताप ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौके पर इलिका प्रिय और विश्वनाथ ने क्रन्तिकारी गीत गाकर सभा में उपस्थित लोगों का उत्साह वर्द्धन किया।