दाल-भात केन्द्र…गरीबों के निवाले में भी लूट….

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रिपोर्ट – संजय वर्मा…

रांचीः गरीबों की मौत भूख से ना हो, इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जून मुंडा के कार्यकाल में गरीबों के लिए दाल-भात योजना की शुरुआत की गई थी। इसके तहत गरीबों को 5 रुपये में भरपेट भोजन की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान में इस योजना पर भी ग्रहण लगाने का प्रयास सिस्टम के भ्रष्ट लोग और अधिकारियों की मिली भगत से किया जा रहा है। दो दिन पूर्व हमारी टीम ने कई दाल भात केन्द्रों का दौरा किया और पूरे मामले की जानकारी ली।

आईटीआई बस स्टैण्ड रांची के समीप संचालित दाल भात केन्द्र में पाया गया पांच बोरा (250किलोग्राम) सड़ा हुआ चावलः

बिते मई महिने में लॉक डाउन के दौरान आईटीआई बस स्टैंड के समीप संचालित दाल भात केन्द्र में प्रवासी मजदूरों की खाने के लिए लंबी कतार लगी रहती थी, यहां तक कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल के जवानों को दाल-भात केन्द्र में तैनात रहना पड़ता था। इस केन्द्र की सचिव मनोहरि तिर्की अपने महिला मंडल की सदस्यों के साथ अहले सुबह से ही भोजन तैयार करने में जुट जाती थी। इस खबर का प्रसारण“ताजा खबर झारखंड” में काफी प्रमुखता के साथ किया गया था।  दो दिन पूर्व समाचार संकलन के लिए जाने के दौरान हमारी टीम ने मनोहरि तिर्की से मुलाकात की, तभी मनोहरि तिर्की ने बताया कि इस बार तो हमलोगों को डबल मेहनत करना पड़ रहा है। ऐसा चावल भेजा गया है तो जानवर भी ना खाए। ये जानकारी मिलने के बाद टीम ने केन्द्र में रखे पांच बोरों के चावल की जांच की जो बिल्कूल ही सड़ा हुआ था, स्थिति ये थी कि बदबू के साथ-साथ चावल पर रेंगते हुए कीड़े भी नजर आ रहे थें, जो आप भी वीडियों में देख सकते हैं। इस बाबत जब मनोहरि तिर्की से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सप्लायर ऐसा ही चावल दिया है, बोरा खोलने के बाद ये पता चला कि चावल सड़ा हुआ है। जब हमारी टीम ने सवाल किया कि आपने उपर के अधिकारियों से शिकायत किया या नहीं, तब उसने बताया कि एरीया के एमओ को जानकारी दे दी गई है।

एमओ ने सप्लायर की गलतियों पर पर्दा डालने का प्रयास कियाः

शुक्रवार को हमारी टीम एक बार फिर मनोहरि तिर्की के दाल-भात केन्द्र में पहुंची और ये पुछा कि चावल बदला गया है या नहीं, इस पर मनोहरि तिर्की ने बताया कि अब तक चालव वैसा ही पडा हुआ है, जिसके बाद हमारी टीम ने एम.ओ. रवीन्द्र सिंह से फोन पर बात की। पुछे जाने पर एम.ओ. ने कहा कि सप्लायर से चावल बदलने के लिए कहा गया है। लेकिन जब ये सवाल किया गया की सप्लायर द्वारा घटिया चावल आपूर्ति किए जाने की जानकारी मिलने के बाद आपने क्या एक्शन लिया, तो एम ने जवाब दिया कि सप्लायर भी व्यापारी से चावल लेते हैं, कहीं कुछ उन्नीस-बीस हो गया होगा, लेकिन उसे चावल बदलने के लिए कहा गया है। फिर एम. ओ, रविन्द्र सिंह ने मनोहरि तिर्की से बात कर सड़े हुए चावल से खाना बनाने के लिए मना किया। बातचीत के क्रम में एम.ओ. रवीन्द्र सिंह सप्लायर के प्रति काफी शॉफ्ट प्रतित हुएं, कारन आप भी समझ सकते हैं।

मामले की जानकारी मुझे नही हैः डी.एस.ओ.

इस मामले पर आपूर्ति विभाग के डी.एस.ओ, मीना कुमारी से भी बात की गई, उन्होंने मामले पर अनभिज्ञता जाहीर करते हुए कहा कि मुझे इस मामले की जानकारी नही है, अब तक किसी ने मेरे पास शिकायत नही किया है। फिर उन्होंने मीटिंग में शामिल होने की बात कह कर व्यस्तता जाहीर करते हुए फोन काट दिया।

कूल मिला कर इस मामले में नीचे से उपर तक लोचा ही नजर आया। क्योंकि विभाग के एमओ को मनोहरि तिर्की शिकायत कर चुकी थी, लेकिन डीएसओ से शिकायत नही की थी, शायद एमओ इस मामले का समाधान अपने स्तर से ही करने में जुटे हुए हों। या फिर डीएसओ मैडम जान कर भी अनभिज्ञता जाहीर कर रही हैं।

दाल-भात केन्द्रों की जांच करने की जरुरतः

हमारी टीम ने सुखदेव नगर थाना, खादगढा के समीप संचालित दाल-भात केन्द्र का भी दौरा किया। जहां पुछताछ के दौरान उपस्थित दो महिलाओं ने अपने आप को समिति का अध्यक्ष बताया। इनमें से एक महिला से जब मैनें उनका नाम पुछा तो वह डर गई और कहा कि सर आप कौन हैं, जब मैनें कहा कि मैं मीडिया से हूं, तो वह रजिस्टर में पेज पलटने लगी, जब मैनें कहा कि आपसे मैनें आपका नाम पुछा है, इस पर महिला और भी तेजी से पेज पलटने लगी। फिर एक पेज पर समिति के सदस्यों का नाम दिखाते हुए कहा कि सर ये है मेरा नाम। इस पर हमारी टीम को उसके अध्यक्ष होने पर शक् हुआ और कड़ाई से पुछा गया कि सच बोलिए आपको नाम जानने के लिए रजिस्टर क्यों पलटना पड़ा? इस पर महिला ने कहा कि सर मैं स्टाफ हूं, दीपक जी ने मुझे नौकरी पर रखा है। अब सवाल ये खड़ा होता है कि जब दाल-भात केन्द्र महिला स्वयं सहायता समुहों द्वारा चलाया जा रहा है, तो फिर इस समुह में पुरुष सदस्य कहां से आ गएं, और दीपक नामक व्यक्ति ने दालभात केन्द्र में स्टाफ कैसे रखा? इस पूरे वाक्या से प्रतित होता है कि कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ जरुर है। इसलिए जांच होना अनिवार्य है, तभी सच का पता चल पाएगा।

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