मांडर विधानसभा के 90 प्रतिशत सब्जी उत्पादक किसानों के साथ-साथ मुस्लिम समाज का एक बड़ा तबका पूर्व के दोनों विधायकों से है नाराज…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा

रांचीः मांडर विधानसभा में चुनाव प्रचार का शोर 21 जून की शांय को थम जाएगा। चुनाव प्रचार खत्म होने में अब गिनती के मात्र कुछ घंटे ही बचे हैं। इसी बीच ताजा खबर संवाददाता ने मांडर विधानसभा का दौरा कर जमीनी हकीकत क्या है? प्रत्याशियों को लेकर मतदाताओं के बीच क्या रुझान है? इस बारे में जानने की कोशिश की।

90 प्रतिशत आबादी कृषि कार्य से जुड़े हैः

इससे पूर्व यहां ये बताना जरुरी है कि मांडर एक कृषि प्रधान क्षेत्र है। यहां लगभग 90 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। मांडर विधानसभा में मतदाताओं की कूल संख्या लगभग 3 लाख 50 हजार है। जाति के आधार पर यहां 1 लाख 75 हजार आदिवासी, 70 हजार मुस्लिम, 30 हजार ईसाई और 75 हजार मुस्लिम मतदाता है।

बंधु तिर्की से किसानों की नाराजगीः

मांडर विधानसभा की ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान ताजा खबर झारखंड के संवाददाता ने अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों से बात की और उनकी समस्याओं को जाना। यहां के किसानों ने बताया कि मांडर विधानसभा में सालों भर हरी सब्जी की खेती है। लेकिन 12 साल विधायक रहने के बावजुद बंधु तिर्की मांडर विधानसभा में एक कोल्ड स्टोरेज तक नहीं बनवा पाए हैं। क्षेत्र में सिंचाई की कोई सुविधा नही हैं। गर्मी के दिनों में यहां के किसान सुखी नदी-नालों में गड्डा खोद कर पंप सेट से पानी निकालते हैं और खेती करते हैं। किसान बताते हैं कि कोविड-19 के कारन लगातार दो बार लगे लॉकडाउन में किसानों को भारी नुकशान उठाना पड़ा था। किसानों ने बंधु तिर्की से सरकार से मदद दिलवाने की गुहार लगाई थी, लेकिन बंधु तिर्की ने किसानों की इस मांग पर कोई ध्यान नही दिया। ऐसे और भी कई कारन है, जिससे यहां का एक बड़ा किसान वर्ग बंधु तिर्की से नाराज है।

सिलागांई में एकलव्य विद्यालय निर्माण को लेकर भी बंधु तिर्की से आदिवासियों का एक तबका है नाराजः

मांडर विधानसभा के सिलागांई में शहीद वीर बुधु भगत स्मारक टोंगरी परिसर में एकलव्य आवासीय विद्यालय के निर्माण का विरोध कुछ आदिवासी संगठनों ने किया था, जिसमें मुख्य रुप से केन्द्रीय सरना समिति, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, बिरसा यंग वेलफेयर, भारतीय आदिवासी विकास परिषद् जैसे आदिवासी संगठन भी शामिल थें। इन सभी संगठनों से जुड़े आदिवासी समाज के लोग लगातार इस परिसर में बनने वाले आवासीय विद्यालय का विरोध करते रहें, यहां तक की मशाल जुलूस निकालने के साथ-साथ आदिवासी समाज ने सड़कों पर उतर कर भी आंदोलन किया, लेकिन विधायक बंधु तिर्की ने इस आंदोलन में विरोध कर रहे आदिवासियों का साथ नही दिया, जिसे लेकर मांडर विधानसभा के आदिवासियों का एक बड़ा तबका भी बंधु तिर्की से नाराज चल रहा है। इनकी मानें तो बंधु सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं के लिए विधायकी करते हैं, मतदाताओं से उनका संबंध वोट मात्र का होता है।

गंगोत्री कुजूर जनता से डायरेक्ट रुबरु नही होतीं, जनता की समस्याओं का समाधान कार्यकर्ताओं पर थोप देती हैः मतदाता

मांडर विधानसभा की जनता ने भाजपा के वर्तमान प्रत्याशी सह पूर्व में विधायक रह चुकीं गंगोत्री कुजूर के खिलाफ भी अपनी जुबान खोली। यहां के जनता का आरोप है कि गंगोत्री कुजूर (भाजपा) को भी यहां कि जनता ने एक मौका दिया, ये सोंच कर कि शायद गंगोत्री कुजूर क्षेत्र का विकास करेगी, लेकिन गंगोत्री कुजूर भी जनता के विश्वास पर खरी नही उतरी। उन्होंने भी बंधु तिर्की की तरह सिर्फ आश्वासन दिया। जनता का ये भी आरोप है कि गंगोत्री कुजूर के समक्ष जब भी कोई समस्या क्षेत्र की जनता रखती है, वो स्वयं उस समस्या का समाधान नही करती है, बल्कि अपने इर्द-गिर्द परिक्रमा करने वाले कार्यकर्ताओं को जनता की समस्याओं का निराकरण करने के लिए कहती है, और उनके परिक्रमा करने वाले भाजपा कार्यकर्ता एक कान से सून कर दूसरे कान से निकाल देते हैं। इस विधानसभा में कई ऐसे गांव है, जहां वर्षों से सड़क की मरम्मति नही हुई, है जिसके कारन किसानों को अपने कृषि उत्पाद बाजार तक ले जाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

AIMIM प्रमुख, असुद्दीन ओवैसी की जनसभा के बाद मुस्लिम समुदाय का वोट बंधु तिर्की से खिसकता दिख रहा हैः

मांडर विधानसभा के चान्हों प्रखंड में बीते 19 जून को एआईएमआईएम प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने एक जनसभा को संबोधित किया जिसमें मांडर विधानसभा के मतदाता भारी संख्या में शामिल हुए। इस जनसभा में जिस तरह ओवैसी ने हाल ही में हुए रांची के गोलीकांड और मृतकों के मामले को उठाया उसका असर भी मतदाताओं पर पड़ा है। मांडर विधानसभा के 70 हजार मुस्लिम मतदाताओं ने असुद्दीन ओवैसी की बातों को काफी गंभीरता से लिया है। इससे पता चलता है कि मस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण भी इस उप चुनाव में होगा। स्वभाविक है कि सरना प्रार्थना सभा के साथ-साथ मुस्लिम और नाराज चल रहे आदिवासी मतदाताओं का वोट इस बार एआईएमआईएम पार्टी के प्रत्याशी, देवकुमार धान की ओर जाएगा, जो बंधु तिर्की की बेटी नेहा तिर्की के लिए खतरे की घंटी है।

नेहा तिर्की को भुगतना पड़ सकता है खामियाजाः

जानकारी देते चलें कि बीते 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके बंधु तिर्की को कूल 92,491 मत मिले थें, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के देवकुमार धान को 69,364 मत प्राप्त हुए थें। वहीं तीसरे स्थान पर रहे एआईएमआईएम के उम्मीदवार शिशिर लकड़ा को 23592 मत प्राप्त हुए थें। वर्तमान में जिस तरह मांडर विधानसभा के मतदाताओं की नाराजगी बंधु तिर्की के खिलाफ देखने को मील रहा है, उसका खामियाजा बंधु की बेटी सह कांग्रेस उम्मीदवार नेका तिर्की को भुगतना पड़ सकता है।

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