जिस मज़हब में शवों को जलाने का रिवाज़ नहीं, उस धर्म के मानने वाले कोरोना मृतकों का कर रहे हैं अंतिम संस्कार…..

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

राँची: जिस मज़हब में मौत के बाद भी शवों को जलाने का रिवाज़ नहीं है, उस धर्म के ब्यक्ति मोहम्मद खालिद, कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं….जी हां राजधानी रांची में जब कोरोना संक्रमित शवों को जलाने के लिए कोई आगे नहीं आया, तब मारवाड़ी सहायक समिति और ज़िला प्रशासन की ओर  से हजारीबाग निवासी मोहम्मद खालिद को रांची बुलाया गया, जिसके बाद शवों का अंतिम संस्कार हो सका। मोहम्मल खालिद अपनी उंची सोंच के साथ कहते हैं कि, धर्म कोई भी हो लेकिन मरने के बाद शवों को सम्मान मिलना चाहिए।

हज़ारीबाग़ मुर्दा कल्याण समिति के संस्थापक मोहम्मद खालिद पिछले 14 सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में जब लोग अपनों से दूरी बना रहे हैं, उस दौरान मोहम्मद खालिद कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।

दरअसल, रांची में मारवाड़ी सहायक समिति द्वारा मुक्तिधाम में कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है, लेकिन शवों को जलाने के लिए कोई आगे नहीं आया। जिसके बाद समिति के साथ ही ज़िला प्रशासन के लिए शवों का अंतिम संस्कार करना एक बड़ी चुनौती बन गई थी। फिर हज़ारीबाग़ के रहने वाले मोहम्मद खालिद को रांची बुलाया गया तब जाकर शवों का अंतिम संस्कार शुरू हुआ।

रांची में जैसे-जैसे कोरोना का संक्रमण बढ़ता गया, मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया। जब हरमू मुक्तिधाम में कोरोना संक्रमित शवों को अंतिम संस्कार करने के लिए लाया गया, तब यहां शवों का अंतिम संस्कार करने वाला शख्स कल्लू, कोरोना के भय से बिना किसी को कुछ बताए वहां से फरार हो गया। जब मोहम्मद खालिद के हज़ारीबाग़ से पहुंचने की खबर उसे मिली तब वह भी मुक्तिधाम पहुंचा और शवों के अंतिम संस्कार में हांथ बंटाया

मोहम्मद खालिद अबतक 35 से ज्यादा कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। खालिद कहते हैं कि, कोरोना संक्रमण का उन्हे भी डर है, लेकिन वो पूरी एहतियात के साथ शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि, जब समाज में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नफरत फैलाई जा रही है, वैसे समय में मोहम्मद खालिद लोगों के सामने मिसाल पेश कर रहे हैँ। उनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है।

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