गुमला और सिमडेगा की लडकियों को अपने प्रेमजाल में फांस कर करता है विमल सिंह मानव तस्करी.

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः जिन लोगों को अवैध कार्य करके धन जमा करने की लत लग जाती है, तो उस व्यक्ति के लिए सगे रिश्ते के लोग और मानवता कोई मायने नहीं रखता। ऐसे ही लोगों में से एक है विमल सिंह, जिसने पत्नी द्वारा गैर कानूनी काम करने से मना करने पर अपनी पत्नी को लाठी से पीट-पीट कर जान मारने की कोशिश की, लेकिन  भला हो उन पड़ोसियों का जिन्होंने बेरहमी से पीट रहे पति विमल सिंह को ऐसा करने से रोका। पति द्वारा लाठी से पीटे जाने से तीन बच्चों की मां रंजीता देवी बुरी तरह जख्मी हो चुकी थी। ऐसा करते वक्त महिला के पति को अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों का भी ख्याल नही रहा। लगातार एक महीने की इलाज के बाद महिला फिलहाल स्वस्थ है। इस घटना के बाद महिला अपने पति से संबंध तोड़ कर अपने दो छोटे-छोटे बच्चों का घरेलू कामगार का काम कर लालन पालन कर रही है।

कई बार चोरी और मानव तस्करी के आरोप में जा चुका है जेलः

दरअसल विमल सिंह मानव तस्करी के साथ-साथ चोरी-डकैति के अपराध में भी संलिप्त रहा है। 2002 से लेकर अब तक वह कई बार सलाखों के पीछे जा चुका है और अब अपनी पत्नी, रंजीता के जान के पीछे पड़ा हुआ है, सिर्फ इसलिए क्योंकि रंजीता उसके हर हरकत से वाकिफ है। मानव तस्कर विमल सिंह को डर है कि, कहीं रंजीता पुलिस के समक्ष पुरे मामले का पर्दाफास ना कर दे। रंजीता देवी ने उक्त बातें ताजा खबर झारखंड के संवाददाता से बातचीत में कही।

अपने पति विमल सिंह से लागातार प्रताड़ित होने के बाद जब रंजीता देवी को ऐसा महसूस हुआ कि, विमल कभी ना कभी उसे मार डालेगा इस डर से रंजीता देवी अपने तीन में से दो बच्चों को लेकर अपने पति का घर छोड़ कर रांची में रहने लगी है और यहीं घरेलू कामगार का काम कर अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही है।

बांयें तरफ विमल सिंह अपनी पत्नी रंजीता और बच्चों के साथ,  दांयी तरफ अपने प्रेमिका सुनीता(सिमडेगा निवासी) के साथ.

 

2006 में विमल अपनी शादी के रिशेप्सन वाले दिन फिल्मी स्टाईल में पुलिस की गिरफ्त से बच निकला थाः

रंजीता देवी घर छोड़ने का कारन बताते हुए कहती है कि, विमल से मेरी शादी 2006 में हुई थी। जिस दिन हमलोगों के यहां चुमावन का कार्यक्रम चल रहा था, उसी वक्त कर्रा थाने की पुलिस पहुंची और पुरे घर को घेर कर विमल को खोजने लगी थी, लेकिन विमल पुलिस के पहुंचने की भनक मिलते ही वहां से फरार हो चुका था। दूसरे दिन मुझे पता चला कि विमल 2002 में चोरी की घटना में शामिल था, उसी मामले में पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। इसके बाद विमल लगातार मैंने विमल को गलत कार्यों में संलिप्त देखा। वह लड़कियों को लेकर घर आता था और एक साथ कई लड़कियों को घर में रखने के बाद उसे लेकर 10-15 दिनों के लिए बाहर चला जाता था। वापस आने पर जब में उनसे पुछती तो वह कहता अपने काम से मतलब रखो। यही काम करके हम घर का खर्च चलाते हैं। विमल का ये काम लगातार जारी रहा। हद तो तब हो गई जब वह सुनीता नाम की एक लड़की को लेकर घर पहुंचा, जो सिमडेगा जिला लुकीबार गांव की रहने वाली थी। विमल ने मुझे बताया कि मैं इससे शादी कर चुका हूं। तुम दोनों एक साथ ठीक से रहो। जब मैंने विरोध किया तो उसने मुझे बहुता पीटा। गुस्से में मैंने किटनाशक खा कर जान देने की कोशिश की, लेकिन उसी ने मुझे अस्पताल में भर्ती करवा कर मेरा जान बचाया था। सुनीता अब भी मेरे ससुराल कर्रा में ही रह रही है।

 

विमल सिंह सिमडेगा में रहने वाली दो सगी बहनों को अपने प्रेम जाल में फांस रखा थाः

विमल का गलत काम यहीं नहीं रुका। उसने संगीता की छोटी बहन को भी अपने प्रेमजाल में फांस लिया और उसके माध्यम से गांव के भोली-भाली लड़कियों को महानगर में अच्छा वेतन दिलाने के नाम पर बरगला कर महानगर भेजने लगा। महिनों वह घर से गायब रहने लगा था। 2017 में छत्तीतगड़ जिले के पत्थलगांव पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। दो सालों तक वह जेल में रहा। इसके बाद रांची के कोतवाली थाना की पुलिस ने उसे मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया था, फिर बानों थाना की पुलिस ने भी उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

विमल की प्रेमिका गुमला से लडकियों को कर्रा भेजती थी फिर विमल लड़कियों को दिल्ली पहुंचाता थाः

रंजीता देवी बताती है कि गांव में खेती बारी कुछ नहीं रहने के कारन मैं अपने मायकों वालों की मदद से अपने बच्चों और बुढ़ी सास को पाल रही थी। जेल से निकल कर जब वह बाहर आया तब भी लड़कियों को घर में लाने लगा। जब मैंने पुछा तो उसने बताया कि ईंट भट्टा भेजना है। मैंने फिर इस बारे में विमल से कोई बात नहीं की, लेकिन कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि लड़कियों को दिल्ली लेजाकर काम में लगाया गया है। तब मैंने उसे ऐसा करने से मना किया, लेकिन वह फिर मुझे पीटने लगा। कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि गुमला में भी वह एक लड़की को फंसा कर रखा हुआ है, और वो लड़की वहां से विमल को लड़की भेजा करता था, फिर विमल उन लड़कियों को दिल्ली पहुंचा कर किसी एजेंसी के हवाले कर देता था।

रामनवमी के दिन 2022 में विमल सिंह ने अपनी पत्नी रंजीत देवी पर किया था जानलेवा हमलाः 

विमल सिंह की पत्नी रंजीता आगे बताती है कि 2022 रामनवमी के दिन उसने मुझे लाठी से पीटा, जिससे मैं काफी जख्मी हो चुकी थी। मुझे पीटता देख आस पड़ोस के लोग आकर मुझे बचाएं। मैं एक महिने तक बेड पर ही पड़ी रही। मेरे शरीर पर जगह-जगह खून का थक्का जमा हो गया था। जब मेरी तबियत कुछ ठीक हुई, तो मैं अपने बड़े बेटे को ससुराल में ही छोड़ कर अपनी बेटी और छोटे बेटे को लेकर रांची आ गई। यहां सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी बाखला ने मेरी मदद की। उसने मुझे रहने के लिए भाड़े में घर कुछ घरेलू उपयोग का सामान और चावल दिया। इसके बाद में यहां काम करने लगी। इसी से जो वेतन मिलता है उसी से अपने बच्चों को पाल रही हूं।

मानव तस्कर, विमल सिंह से रंजीता देवी  संबंध तोड़ चुकी हैः 

रंजीता देवी बताती है कि मैं यहां मेहनत मजदुरी करके अपने दोनों बच्चों को पाल रही हूं, लेकिन विमल मुझे बार-बार मोबाईल पर मैसेज भेज कर परेशान कर रहा है। 10 अक्टूबर की रात खरसीदाग थाना की पुलिस मुझे खोजते हुए मेरे घर पहुंची और मुझे एक लड़की का तस्वीर दिखाते हुए पुछा कि इसे जानती हो, तो मैंने कहा नहीं, क्योंकि इस लड़की को मैंने कभी भी नहीं देखा था और ना ही जानती थी। मैं 2022 से रांची में ही रह कर काम कर रही हूं। पुलिस रात में चली गई, लेकिन मुझे थाने में आने के लिए कहा। दूसरे दिन मैं थाना पहुंची तो पुलिस ने मुझसे बहुत कुछ पुछा। मैं जो भी जानती थी, और मैंने विमल से संबंध तोड़ कर क्यों अलग रहने लगी, इस बारे में भी पुलिस को जानकारी दिया। घंटों पुछताछ के बाद पुलिस ने मेरा आधार कार्ड, पैन कार्ड और दो मोबाईल फोन अपने पास रख लिया है। पुलिस से मैंने पुछा भी कि मुझे क्यों थाना बुलाया गया है, तो इसका कोई स्पष्ट कारन पुलिस ने नहीं बताया। इस बारे में मैंने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिख कर अवगत करवाया है। मुझे आशंका है कि विमल ने मुझे झुठे मुकदमें में फंसाने का धमकी दिया था। हो सकता है की वही मेरी खिलाफ कोई साजिश रचा हो और मुझे फंसाना चाह रहा हो।

नामकुम प्रखंड अंतर्गत खरसीदाग थाना के प्रभारी ने कहाः

इस बाबत खरसीदाग थाना प्रभारी से बात की गई। उन्होंने बताया की मानव तस्करी का मामला है, जिसकी जांच चल रही है। इसी मामले में रंजीता देवी से पुछ-ताछ करने के लिए थाने में बुलाया गया था। चुंकि अभी जांच चल रही है, इसलिए इस मामले में ज्यादा जानकारी देना उचित नहीं होगा।

पिछले पांच सालों में 1574 लोग मानव तस्करी के शिकार हो चुके हैंः

एक आंकड़े के अनुशार झारखंड में पिछले पांच सालो में 1574 लोग मानव तस्करी के शिकार हुवे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक मानव तस्करी के कूल 656 केस दर्ज किये गए हैं, इनमें मानव तस्करी के शिकार हो चुके लोगों की संख्या 1574 थी। झारखंड में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले गुमला, सिमडेगा, खूंटी, साहेबगंज और रांची जिला में दर्ज किया गया है। पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक 212 लोग सिमडेगा जिले से मानव तस्करी के शिकार हुए हैं।

 

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