भाजपा और झामुमो में नहीं कोई अंतर, हेमंत सरकार में भी संवैधानिक मुल्य और जनतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का काम जारी है…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः एक तरफ माननीय न्यायालय कहती है कि, अवैध खनन को हम बर्दास्त नहीं करेंगे, वहीं दूसरी तरफ संबंधित विभाग के अधिकारी से लेकर सरकार तक अवैध खनन कर रहे कंपनी और माफियाओं के पक्ष में खड़े नजर आ रही है। जो भी रैयत या जनसंगठन इस गठजोड़ के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से आवाज बुलंद कर रहे हैं, उनके उपर पुलिस लाठियां भांज रही है और माफियाओं को गैरकानूनी कार्यों में सहयोग कर रहे अधिकारी, गठजोड़ का विरोध कर रहे लोगों को झुठे मुकदमें दर्ज करवा कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजने का काम कर रही है। कूल मिला कर देश और राज्य में संवैधानिक मुल्य और संवैधानिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे जेपीएससी अभ्यर्थियों को बलपूर्वक गिरफ्तार करना, संवैधानिक अधिकारो का हननः

राजधानी रांची में बीते शुक्रवार की रात जेपीएससी में हुए गड़बड़ी की लोकतांत्रित तरीके से जांच की मांग कर रहे जेपीएससी अभ्यर्थियों पर जिस तरह पुलिस ने आधी रात को सरकार के इशारे पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की, और जिस तरह अवैध पत्थर खनन के खिलाफ पलामू जिला, पांडू प्रखंड स्थित कुटमु पंचायत के बरवाही गांव में अवैध पत्थर खनन कर रहे कंपनी के खिलाफ बीते 1 माह से आंदोलन कर रहे भू-रैयतों और स्थानीय ग्रामीणों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, उससे ये स्पष्ट हो जाता है कि, राज्य की हेमंत सरकार भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी और खनन माफियाओं को संरक्षण दिए हुए है, इसलिए अधिकारी और पुलिस ऐसे लोगों पर जांचोपरांत कार्रवाई करना छोड़ कर, इन्हें संरक्षण देने का काम कर रही है।

पलामू एसडीओ ने आंदोलनकारियों को खनन कंपनी के खिलाफ जांच का भरोषा देकर, आंदोलनकारियों को करवाया गिरफ्तारः

जानकारी देते चलें कि पांडू प्रखंड के कुटमु पंचायत में अवैध पत्थर खनन कर रहे कंपनी के खिलाफ स्थानीय रैयत, ग्रामीण और कई जनसंगठन अवैध खनन स्थल धजवा पहाड़ पर बीते एक माह से धरने पर बैठे हुए हैं। आंदोलनकारी इस मामले को लेकर उपायुक्त कार्यालय के समक्ष दो-दो बार धरना भी दे चुके हैं। अंचलाधिकारी की जांच में भी ये स्पष्ट है कि, कंपनी को जिस जमीन का लिज मिला है, वो गैरकानूनी तरीके से दिया गया है और जिस धजवा पहाड़ पर कंपनी पत्थर खनन कर रही है, उसका लिज कंपनी को मिला ही नही है। बावजुद संबंधित विभाग के अधिकारी और जिला प्रशासन मौन धारन कर पत्थर माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे स्पष्ट है कि खनन कंपनी को अधिकारी और सरकार का संरक्षण प्राप्त है। गौर करने की बात ये है कि जिले के एसडीओ ने भी इस मामले में जांच कर कंपनी पर कार्रवाई करने का भरोषा आंदोलनकारियों को दिया था, लेकिन दूसरे ही दिन अपने वादे पर अमल नही करते हुए उल्टा आधी रात को आंदोलनकारियों का टेंट उखड़वा देते हैं और धरना दे रहे आंदोलनकारियों को गिरफ्तार भी करवा लेते हैं। इस घटनाक्रम से इस बात को और भी बल मिलता है कि, अधिकारी सच का साथ नहीं दे रहे हैं। इसके पीछे का कारन कुछ भी हो सकता है, भ्रष्टाचार या फिर सत्ता में बैठे सफेदपोशों का अधिकारियों पर दबाव।

झारखंड में जल-जंगल और जमीन की लूट, सरकार के संरक्षण में हो रहा हैः वशिष्ठ तिवारी, सचिव, सीपीआई(एमएल), रेड स्टार

झारखंड की जनता ने पूंजीपतियों को संरक्षण देने वाली पार्टी भाजपा से छुटकारा पाने के लिए जल जंगल और जमीन के आंदोलन से जुड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को सत्ता सौंपने का काम किया था। इस उम्मीद से कि, झामुमो सत्ता में आने के बाद पूंजीपतियों के खिलाफ कार्य करते हुए झारखंड के जल-जंगल और जमीन की रक्षा करेगी। लेकिन हेमंत सरकार के अब तक के कार्यों को देख कर ये प्रतित हो रहा है कि, भाजपा और झामुमो में अब कोई अंतर नही रहा। झामुमो भी संवैधानिक मुल्यों और अधिकारों को कुचलते हुए हर वो कार्य कर रही है जो कार्य रघुवर दास की सरकार कर रही थी। हेमंत सरकार के शासन में भी झारखंड के हर माईन्स मिनरल से भरपुर जिलों में अवैध खनन बड़े पैमाने पर जारी है। जंगलों की अवैध कटाई हो रही है और इन सभी विभागों के अधिकारी मौन रह कर सब कुछ देख रहे हैं। पीड़ित जनता इन अधिकारियों और सरकार के पास जल-जंगल जमीन की रक्षा करने की फरियाद लेकर पहुंच रहे है, लेकिन अधिकारी इनकी फरियाद पर कोई कार्रवाई नही कर रहे हैं, जिससे प्रतित होता है कि सरकार में बैठे लोगों द्वारा इन अधिकारियों को ये आदेश दिया गया है कि इन्हें लूटने से ना रोका जाए, आप लोग मौन बैठे रहें।

केन्द्र में भाजपा और झारखंड में हेमंत सरकार कर रही है संवैधानिक मुल्य और अधिकारो का हननः अरविन्द अविनाश, महासचिव, पीयूसीएल, झारखंड

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज(PUCL) के झारखंड महासचिव, अरविन्द अविनाश भी हेमंत सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल को पूर्ववर्ती सरकार रघुवर दास के कार्यकाल के रुप में ही देखते हैं। इन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि हेमंत सरकार के वर्तमान कार्यकाल में दो साल के अंदर कई लोगों की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है। माओवादी होने के शक् पर निर्दोष ग्रामीणों पर गोलियां बरसाई गई है। लातेहार और राजधानी रांची के मधुकम की घटना हुए ज्यादा दिन नहीं बीती है। वहीं लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत गलत के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे जेपीएससी के छात्रों को पुलिस ने जिस तरह बल प्रयोग कर धरना से उठाया उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। वहीं पलामू जिला, के पांडू प्रखंड के बरवाही में भी जिस तरह एसडीओ ने अवैध तरीके से पत्थर खनन कर रहे कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन देकर आधी रात को आंदोलनकारियों का टेंट हटाते हुए आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करवाने का काम किया, इससे भी स्पष्ट होता है कि, सरकार के इशारे पर झारखंड के अधिकारी काम कर रहे हैं। यहां न्याय नाम की कोई चीज नहीं रही। न्याय दिलाने में सहायक, वर्दीधारी ही इस सरकार में गुंडा, माफिया और अवैध कार्यों मे संलिप्त लोगों की रक्षा करते नजर आ रहे हैं। न्यायपालिका सिर्फ आदेश भर देने तक सिमट कर रह गई है। आदेश को अमली जामा पहनाने वाले अधिकारी और पुलिस के कानों में जूं तक नही रेंग रही है। इन हालतों से स्पष्ट है कि हर सरकार झारखंड को लूट-खंड के रुप मे देखती है।  इसलिए अब जनता को ज्यादा सचेत रहने की जरुरत है, क्योंकि झारखंड में राज करने वाले सभी दल सिर्फ अपनी नीजि और पार्टी के स्वार्थ पूर्ति के लिए काम कर रही है।     

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