समता मूलक और शोषण रहित समाज की स्थापना ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उद्देश्यः मोहन भागवत
रिपोर्ट- बिनोद सोनी…
समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उद्देश्यः मोहन भागवत
राँची : हिन्दू समाज को संगठित करने के अलावा संघ का कोई अन्य कार्य नही है। हिंदुत्व के भाव से राष्ट्रीय भावना को प्रबल करते हुए एक समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य है। संघ की नीतियां और कार्यपद्धति समाज के लिए अनुकरणीय है, लेकिन इसका ये अर्थ नही की संघ सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है, ऐसा लोग कहते हैं, लेकिन आरएसएस के स्वयंसेवक अपने उद्देश्य के प्रति संकल्पित है। ये कहना है आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का।
देश हमें सब कुछ देता है, इसलिए हमें भी देश को कुछ देना चाहिएः आरएसएस प्रमुख
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन मधुकर भागवत ने उक्त बातें राँची में आयोजित तीन प्रांतों के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम के दौरान मोरहाबादी मैदान में कही। उन्होंने स्वयंसेवको को संबोधित करते हुए कहा, कि अपने संस्कृति पर गर्व करते हुए देश को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए कार्य करे। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए सब लोगों को साथ लेकर चलने का कार्य संघ करता है। स्वयं सेवक समाज में एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत हो और ये आदर्श संघ की नित्य शाखा से ही संभव है। मोहन भागवत ने ये भी कहा कि संघ की भाषणों से ही भारत विश्व गुरु बनेगा ऐसा नही है। शाखा की नित्य साधना को अपने व्यवहार में उतारना होगा। राष्ट्र निर्माण के कार्य में ना ही कोई आपको धन्यवाद देगा ना ही कोई आभार प्रकट करेगा। देश हमें सब कुछ देता है, हमें भी देश को कुछ देना चाहिए। समाज में कोई भी आपत्ति-विपत्ति आये संघ के स्वयंसेवकों को दौड़ कर आगे आना चाहिये। हमारा समाज सम्पूर्ण विश्व को कुटुंब मानता है, इस धारना को समाज में स्थापित करने की जरुरत है।
सर संघ चालक के उद्बोद्धन से पूर्व स्वयंसेवकों ने योग व्यायाम, दण्ड प्रहार और सूर्य नमस्कार का प्रदर्शन किया। इस समागम कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, राँची सांसद संजय सेठ के अलावा भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी भाग लिया।