पत्थलगड़ी, संविधान द्वारा प्रदत पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में “अबुआ दिशुम अबुवा राज” की मांग करता है…
रिपोर्ट- संजय वर्मा…
पत्थलगड़ी, संविधान द्वारा प्रदत पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में “अबुआ दिशुम अबुवा राज” की मांग करता है…
रांचीः बीते 19 जनवरी को सिंहभूम जिला के गुदड़ी प्रखंड स्थित बुरुगुलीकेरा गांव में 7 युवकों की निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी गई थी। इस घटना पर सिर्फ राज्य सरकार ही नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार भी संज्ञान ले चुकी है। कुछ राजनीतिक दलों ने इस घटना को राजनीति का मुद्दा भी बना डाला, सिर्फ इसलिए की इस घटना को मीडिया खबरों के अनुशार पत्थलगड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए दिनांक 27 और 30 जनवरी को एक जांच दल ने बुरुगुलीकेरा गांव का दौरा कर पुरे मामले की पड़ताल की। इस जांच दल में विभिन संगठनों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता लेखक और पत्रकार भी शामिल थें। यहां जांच दल के सदस्यों ने पीड़ित और आरोपी परिवारों के साथ साथ ग्रामीणों से भी पुरे मामले पर बातचीत की. जहां कई चौंकाने वाले तथ्य निकल कर सामने आयी।
पिछले एस साल से सती पती कल्ट(गुजरात) के सदस्य यहां सक्रीय हैः
जांच के दौरान ये पता चला की इस गांव के अलावा आसपास के गांवों में पिछले एक साल से “सती-पती कल्ट” के लोग सक्रीय थें, जो बुरुगुलीकेरा गांव के लगभग 180 परिवारों को राशन कार्ड, आधार कार्ड, मनरेगा जोब कार्ड और जमीन का खतियान जमा करने की बात कह रहे थें। सती पती कल्ट से जुडे सदस्यों के कहने पर लगभग आधे से अधीक परिवारों ने ये सभी दस्तावेज उनके पास जमा भी कर दिया था, लेकिन सती पती कल्ट से जुड़े लोगों का बुरुगुलीकेरा गांव में एक गुट द्वारा विरोध भी किया जा रहा था। विरोध करने वाले गुट का नेतृत्व उप-मुखिया जेम्स बुड़ कर रहे थें, और सती पती कल्ट समर्थक गुट का नेतृत्व गांव के पूर्व मुखिया राणासी बुड़ कर रहे थें।
पूर्व मुखिया राणासी बुड़(सती पती क्ल्ट समर्थक) ने गांव में माघे पर्व मनाने के लिए मना किया थाः
पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया की दूसरे गुट(सती पती कल्ट समर्थक) के लोगों द्वारा गांव में माघे पर्व मनाने से मना किया गया था, जिसके बाद जेम्स बुड़ गुट के लोग काफी आक्रोशित हो गए थें। इन्होने बताया की सरकारी विकास योजनाओं के बहिष्कार करने की बात से ये लोग पहले ही आक्रोश में थें, और जब माघे पर्व मनाने से भी उन लोगों द्वारा मना कर दिया गया, तब जेम्स बुड़ गुट के लोगों का आक्रोश राणासी गुट(सती पती क्ल्ट समर्थक) के लोगों के उपर काफी बड़ गया था।
16 जनवरी को उप मुखिया जेम्स बुड़ (सती पती सल्ट विरोधी) ने पूर्व मुखिया राणासी बुड़ समर्थको के 5 घरों पर किया था तोड़फोड़ः
ग्रामीणों ने जांच दल के सदस्यों को बताया कि पहले सरकारी विकास योजना नही लेने, फिर जमीन का दस्तावेज जमा करने की बात से जेम्स बुड़ गुट के लोग आक्रोशित तो थें ही, फिर जब सती पती पल्ट समर्थकों द्वारा उन्हें पर्व त्योहार मनाने से भी मना कर दिया गया, तब जेम्स बुड़ गुट के लोग काफी आक्रोशित हो गऐं और आक्रोश में ही राणासी बुड़(सती पती कल्ट) समर्थकों के घर में जा कर तोड़ फोड़ की घटना को अंजाम दिया था।
तोड़-फोड़ की घटना में शामिल 9 लोगों को 19 जनवरी की बैठक में पकड़ कर लाया गया थाः
ग्रामीणों ने जांच दल को बताया की जेम्स बुड़ गुट द्वारा तोड़-फोड़ की घटना को अंजाम देने के बाद 19 जनवरी को गांव में ही पंचायत लगाया गया था, जिसमें तोड़-फोड़ करने वाले लोगों को भी लाया गया था, और उसी पंचायत के दौरान जेम्स बुड़ समेत 9 लोगों को पकड़ कर कुछ दूर ले जाया गया था, जहां जेम्स बुड़ समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
घटना से झारखंड में गुजरात के सती पती कल्ट का बढ़ता प्रभाव उजागर हुआ हैः आलोका कुजूर
जांच दल की सदस्या, आदिवासी मंच की आलोका कुजूर ने घटना को झारखंड में गुजारत के सती पती कल्ट का बढ़ता प्रभाव बताया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कहीं भी खूंटी जिले की तरह पत्थलगड़ी नही हुई है, जिससे ये अंदेशा जाहिर किया जा सके कि घटना में उन लोगों का हांथ हो सकता है, लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर ये दिखाई पड़ा, कि क्षेत्र में सती पती कल्ट(गुजरात) के सदस्य सक्रीय हैं जो मुंडा बहुल 180 परिवारों पर लगातार सरकारी विकास योजनाओं का बहिष्कार करने और जमीन का पेपर जमा करने का दबाव दे रहे थें, साथ ही साथ यहां के मुंडा आदिवासियों को उनका धर्म पर्व त्योहार मनाने से भी मना कर रहे थें। इससे साफ होता है कि इस घटना में कहीं ना कहीं उनका हांथ हो सकता है।
पत्थलगड़ी का इस मामले से कोई लेना-देना नही, घटना में गुजरात के सती पती कल्ट के लोगों के होने की संभावनाः रामजी मुंडा
जांच टीम के सदस्य रामजी मुंडा ने बताया कि पत्थलगड़ी करने का उदेश्य “अबुआ दिशुम अबुआ राज” था। इसके तहत संवैधानिक तरीके से पांचवीं अनुसूचि क्षेत्रों में संविधान द्वारा प्रदत पेशा कानून को लागू करने, आदिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन पर अधिकार देने की बात कही जा रही थी। लेकिन सती पती कल्ट के लोग गुजरात से आकर यहां के आदिवासियों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। जबरन उनसे सरकारी सुविधाओं का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं, जो पुरी तरह गलत है। इस हत्याकांड से पत्थलगड़ी का कोई लेना देना नही है।
जांच दल ने सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखीः
- सरकार पत्थलगड़ी क्षेत्र के ग्रामीण और एसी कुटुंब परिवार कल्ट के प्रतिनिधियों के साथ साथ आदिवासी बुद्धिजिवी और सामाजिक संगठनों से वार्ता करे।
- सरकार को गुजरात के एसी कुटुंब परिवार के बारे में जांच करवानी चाहिए और इनके द्वारा जो झुठे दावे किए जा रहे हैं उसका भी खुलाशा करना चाहिए।
- सरकार को चाहिए कि पांचवीं अनुसूचि क्षेत्रों में पेशा कानून सख्ती से लागू करवाऐ और लोगों को उनकी जमीन की लूट नही होगी इसका भरोषा दे, साथ ही समता जजमेन्ट और आदिवासियों के लिए जितने भी कानून बने हुए हैं उसे सख्ती से लागू किया जाए।
- सरकार को चाहिए कि आदिवासियों के विकासोन्मुखी योजनाओं को पुरी ईमानदारी के साथ धरातल पर उतारा जाए और इसके लिए कार्यक्रम तैयार किया जाए।
संवैधानिक पत्थरगाड़ी एक साजिश का शिकार हो गया है,जो मूल जायज मांग से भटक गई हैजिससे न सिर्फ आदिवासियत परम्परा जल जंगल जमीन और जन भी असुरछित है बल्कि खुट्कट्ठी व्ववस्था और प्रकृतिक के साथसाथ समावेशी विकास के विपरीत है।लेकिन इस आन्दोलन के तहत साजिश के शिकार लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करना सरासर गलत और अनैतिक है!!