धजवा पहाड़ मामले में सुनवाई के दौरान एन.जी.टी. ने सरकार को लगाई फटकार, प्रथम दृष्टया अवैध माईनिंग लगा, तो कार्रवाई क्यों नही हुई?

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः पलामू जिला के पांडू प्रखंड स्थित धजवा पहाड़ में हुए अवैध उत्खनन मामले में आज सुनवाई हुई।

अधिवक्ता, अनूप अग्रवाल ने सुनवाई की जानकारी देते हुए बताया कि, सरकार की ओर से कहा गया है कि, प्रथम दृष्टया ये लगता है कि धजवा पहाड़ पर अवैध उत्खनन हुआ है। इसे देखते हुए फिलहाल माईनिंग बंद करवा दिया गया है। सरकार की ओर से ये जवाब में ये भी बताया गया है कि, फिलहाल पुरे मामले की जांच के लिए एक हाईलेबल कमेटी का गठन कर, जांच करने का आदेश दिया गया है। जांच के बाद जो रिपोर्ट जांच कमेटी जमा करेगी, उसके आधार पर एक्शन लिया जाएगा।

सरकार का जवाब- जांच के लिए हाई लेबल कमेटी का गठन किया गया हैः

सरकार के जवाब से एनजीटी के जज् काफी नाराज हुएं और उन्होंने कहा कि अगर प्रथम दृष्ट्या ये मामला अवैध उत्खनन का लग रहा है, तो इस पर अब तक एक्शन क्यों नहीं लिया गया? जांच कमेटी बना कर सरकार क्या साबित करना चाहती है? इसके बाद एनजीटी ने सरकार को दो सप्ताह का समय जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए दिया, साथ ही ये भी निर्देश दिया है कि, हाईलेबल कमेटी की जांच में ये बात सामने आती है कि, वहां अवैध माईनिंग हुआ है, तो राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ये आंकलन करेगा कि, अवैध माईनिंग के दौरान वहां पर्यावरण को कितना नुकशान पहुंचाया गया है, और उसे रिस्टोर करने में कितना पैसा खर्च होगा। साथ ही साथ एनजीटी द्वारा ये भी कहा गया है कि, राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड आंकलन के बाद ये भी बताए कि, जिस व्यक्ति द्वारा अवैध खनन किया गया है, उस पर कितना पेनाल्टी लगाया जाए। कूल मिला कर तीन प्रमुख बिन्दुओं पर राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड को अपनी बात रखनी है। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।

अंचल अधिकारी के लिए गले की फांसः

इस मामले में पांडू प्रखंड के अंचल अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। अंचल अधिकारी द्वारा दो बार अब तक जांच रिपोर्ट दिया गया है, जिसमें उन्होंने प्रथम दृष्टया ये माना है कि, अवैध उत्खनन होता प्रतित हो रहा है। अब सरकार की ओर से ये कहा गया है कि मामले की जांच के लिए एक हाई लेबल जांच कमेटी का गठन किया गया है और इस जांच कमेटी में अंचलाधिकारी भी शामिल हैं। ऐसे में ये देखने वाली बात होगी कि हाई लेबल जांच कमेटी की रिपोर्ट, जिसमें अंचलाधिकारी भी शामिल हैं, इस बार क्या रिपोर्ट देते हैं।

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