सिंधु बॉर्डर पर मजदूर दिवस, मजदूर-किसान एकता दिवस के रूप में मनाया गया.

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रिपोर्ट- संजय वर्मा

रांचीः 1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर सिंघु बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में एकजुटता कायम करते हुए मजदूरों और किसानों ने मजदूर-किसान एकता दिवस के रुप में मनाया। इस अवसर पर अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा झारखण्ड राज्य संयोजक, कॉमरेड वशिष्ठ ने कहा कि आज मजदूर वर्ग के संघर्ष, एवं उनकी शहादत को याद करने का दिन है। मजदूर वर्ग को राजनीति से लैस करते हुए हमें पूंजीवादी- साम्राराज्यवादी एंव फ़ासीवादी बर्बरता के खिलाफ एकजुट होकर लडंना होगा।

कामरेड वशिष्ठ तिवारी ने मजदूर दिवस के इतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि, आज से 135 वर्ष पूर्व 1 मई 1886 को अमेरिका में मजदूरो का सँघर्ष शुरू हुआ था। 4 मई को अमेरिका के शिकागो शहर के हेय मार्केट में दमन का भयावह रूप सामने आया, जिसमें 8 बेगुनाह मजदूर नेताओ को जेल में बंद कर दिया गया और 4 निर्दोष मजदूर नेताओ को फांसी दे दी गई। अल्बर्ट पर्सन्स और ऑगस्ट स्पाइस की आवाज आज भी गुंजायमान है।

मोदी सरकार मौजुदा संकट का बोझ मजदूर-किसानों के पीठ पर लाद देना चाहती हैः तेजराम विद्रोही

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि साम्राज्यवाद, पूंजीवाद मानव जाति की रक्षा नही कर सकता है। इनकी नव-उदारवादी नीतियां, उनका खोखलापन एवं इनकी हकीकत दुनिया के सामने आ चुकी है। कोरोना महामारी को लेकर जारी लॉक डाउन जैसे कठिन समय में भी कॉरपोरेट फासीवादी मोदी सरकार ने एक ओर जहां जाति और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का काम किया है, तो दूसरी ओर चंद बड़े पूंजीपतियों के हित में श्रम कानूनों में बदलाव कर भारी कुर्बानियों से प्राप्त श्रम कानूनों को बदल दिया है। ये सरकार मौजुदा संकट का बोझ मजदूर-किसानों के पीठ पर लाद देना चाहती है। कृषि क्षेत्र को निजी हाथों में देने के लिए तीन कृषि कानून बनाया है, जिसके खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर विगत पांच महीनों से ज्यादा समय से आंदोलनरत है। लगभग 400 किसानों ने शहादत दी है, फिर भी आरएसएस/बीजेपी की फासीवादी सरकार लाशो के ढेरों पर चुनावों में मशगूल है। आज मेहनतकशो पर दमन तेजी से बढ़ने लगी है। 12 घण्टे का कार्य दिवस, ट्रेड यूनियनों पर रोक, वेतन में कटौती जैसे हमलो को रोकने के लिए औऱ मेहनतकशो की मुक्ति के लिए मजदूरों-किसानों को एक साथ मिलकर इस शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष को और भी तेज करने की जरुरत है।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा पश्चिम बंगाल के सचिव सीबू गिरी व क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच पंजाब के संयोजक सुखविंदर सिंह उपस्थित रहें।

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