बुड़मू और खेलारी थाना क्षेत्र में शराब माफियाओं का राज, 2 दर्जन से अधीक शराब भट्ठियों में प्रतिदिन होता है हजारों लीटर जहरीली शराब का उत्पादन….
रिपोर्ट- संजय वर्मा…
रांचीः ये जो शराब की भट्ठी आप देख रहे है, ऐसी बीसियों शराब की भट्ठी बुढ़मू प्रखंड के मुरुपीड़ी पंचायत स्थित हाहेटांड गांव के उत्तर दिशा में नदी के किनारे संचालित है, जो बुढ़मू थाना क्षेत्र में पड़ता है। दर्जन भर से भी अधिक इन शराब भट्ठियों का संचालन हाहेटांड गांव निवासी दो सगे भाई मुन्ना यादव और झगरु यादव करते है। यहां कितनी भारी मात्रा में महुवा शराब का निर्माण होता है, इसका अनुमान आप इससे लगा सकते है कि हर माह यहां 12 चक्का ट्रक से लगभग 20 से 25 टन महुवा लाया जाता है, जिसकी खपत एक माह के अंदर हो जाती है। इसके अलावा हाहेटांड गांव के दक्षिण दिशा में जंगल और पहाड़ो के बीच इनके द्वारा महुवा शराब का निर्माण करवा जा रहा है। हाहेटांड से थोड़ी ही दूरी पर पाही बस्ती स्थित है, जो खेलारी थाना क्षेत्र में पड़ता है। इस गांव के कैला महतो और चैता महतो अपने घर पर ही अंडरग्राउंड शराब की भट्ठी लगाए हुए हैं, जहां बड़े पैमाने पर महुआ शराब का निर्माण किया जा रह है।
सरकारी आंगनबाड़ी केंद्र को मुन्ना यादव ने बना रखा है महुआ रखने का गोदाम:
हमारी टीम के हाहेटांड गांव में जाने पर पता चला कि आंगबनबाड़ी केन्द्र को शराब माफिया मुन्ना यादव और झगरु यादव ने महुवा रखने का गोदाम बना दिया है, जिसकी चाबी उनके पास ही रहती है। ट्रक से महुवा लाने के बाद सभी महुआ को एक जगह नहीं रखा जाता है, बल्कि कई घरों में भी रखा जाता है, ताकि छापेमारी हो तो, सभी महुआ की बरामदगी एक साथ ना हो सके। ऐसा पूर्व में कई बार हो चुका है, जब सिर्फ जावा महुवा नष्ट कर पुलिस चलते बनी है, ना ही किसी को गिरफ्तार किया गया और ना ही कई घर और आंगनबाड़ी केन्द्र में छुपा कर रखे गए महुवा को बरामद किया गया।
अवैध चुलईया शराब में यूरिया का उपयोग कर अधीक नशीला बनाया जाता है:
पुख्ता सूचना ये है कि 1 लीटर शुद्ध महुवा शराब में 1 लीटर पानी मिला कर इसकी बिक्री की जाती है, लेकिन यहां निर्मित शुद्ध महुवा शराब में 2 लीटर पानी मिलाने पर भी शराब काफी नशा उत्पन्न करता है, और इसका मुख्य कारण है, शराब में यूरिया और गुड़ का मिला होना। चिकित्सक बताते हैं कि लगातार यूरिया का शरीर में प्रवेश सेहत के लिए काफी हानिकारक है। यूरिया शरीर के कई अंगों पर हानिकारक प्रभाव डालता है, जिससे सेवन करने वाले व्यक्ति की मृत्यु 1-2 वर्षों में हो जाती है।
पिछले 20 वर्षों से लगातार यहां किया जा रहा है अवैध महुवा शराब का निर्माण:
बुडमू प्रखंड के मुरुपीड़ी पंचायत स्थित हाहेटांड गांव में नदी किनारे जिन-जिन शेडों के नीचे भट्ठी का संचालन हो रहा है, वो वर्षों पुराना है। यहां नदी से पानी स्टोर करने के लिए बड़े-बड़े सीमेंट के टंकी का निर्माण किया गया है, जो देखने से काफी पुराना प्रतित होता है, यानी यहां मौजूद साक्ष्या ये प्रमाणित कर रहा है कि अवैध शराब निर्माण का धंधा यहां काफी लंबे समय से चल रहा है, पुलिस की छापेमारी मात्र एक आईवॉश है।
बुड़मू प्रखंड के अलावा खेलारी के कई ईलाकों में किया जाता सप्लाई है:
हाहेटांड निवासी निवासी, मुन्ना यादव, झगरु यादव और खेलारी थाना क्षेत्र में पडने वाले पाही बस्ती में प्रतिदन बन रहे हजारों लीटर जहरीले शराब की आपूर्ति बुढ़मू प्रखंड के कई पंचायतों के अलावा खेलारी थाना क्षेत्र के राय, बचरा, डुंडु, चुनाभट्टा, मोहनपुर गांव में किया जाता है। उक्त जगहों पर शराब की बिक्री करने के लिए सैंकड़ों एजेन्ट है, जो इस अवैध शराब की बिक्री करते हैं। अकेले खेलारी थाना क्षेत्र के मोहनपुर गांव में 10 से अधीक घरों और छोटे होटलों में इस शराब की बिक्री होती है।
स्थानीय गंझु, उरांव और अहीर जाति के गरीब ग्रामीणों से मुन्ना और झगरु यादव करवाते है शराब का निर्माण कार्य:
ताजा खबर झारखंड की टीम जब इन शराब भट्ठियों में पहुंची उस वक्त 2 दर्जन से भी अधीक मजदुर शराब निर्माण कार्य में लगे हुए थें, लेकिन जैसे ही टीम द्वारा कैमरा निकाल कर फूटेज बनाना शुरु किया गया, तभी आधे से भी अधीक मजदूर भट्ठी से भाग खड़े हुएं और इसकी सूचना भट्टी संचालकों को दी, जिसके बाद शराब माफिया मुन्ना यादव का पुत्र संजय यादव वहां पहुंचा और हमारी टीम को कवरेज करने से रोक दिया। संजय यादव से जब शराब भट्ठी के बारे में कई सवाल किया गया तो उसने काफी बेबाकी से कहा कि हमलोग यहां के गरीबों को रोजगार दिए हुए हैं। यहां के लोग काफी गरीब है। इसके बाद संजय यादव ने किसी भी सवाल का जवाब नही दिया।
अवैध शराब मामले में बुड़मू और खेलारी पुलिस डीजीपी के आदेश की कर रहे हैं अवहेलनाः
कुछ माह पूर्व डीजीपी एम.वी. ने सुबे के थाना प्रभारियों को शख्त आदेश दिया था, हर हाल में अवैध शराब निर्माण कार्य को रोका जाए, उन पर शख्त कार्रवाई करें। डीजीपी के इस आदेश के बाद कई थाना क्षेत्रों में अभियान चला कर अवैध शराब निर्माण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। लेकिन इस अभियान की गाज उन बड़े शराब माफियाओं पर नहीं गिरी, जिनसे मोटी रकम थाना तक पहुंचती है। उदाहरण के तौर पर मुन्ना यादव, झगरु यादव और पाही बस्ती के कैला और चैता महतो। इनके भट्टी पर उपर से निर्देश मिलने के बाद सिर्फ आईवॉश के लिए जावा महुआ नष्ट किया जाता है और कुछ बर्तनों को जब्त किया जाता है, लेकिन इन आरोपियों की गिरफ्तारी नही होती। या यूं कहें कि जानबुझ कर इन्हें अभियुक्त नही बनाया जाता है, जिससे इन्हें फिर से शराब निर्माण करने और गरीबों को जहरीली शराब बेच कर जान मारने का मौका मिल जाता है। लगातार 20 वर्षों से चल रहे ये शराब भट्ठी इस बात का प्रमाण है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी है अवैध शराब भट्टियों की जानकारीः
हकीकत ये है कि इन क्षेत्रों में चल रहे अवैध शराब की भट्ठी और शराब निर्माण करवा रहे लोगों की जानकारी क्षेत्र के जिला परिषद् सदस्य से लेकर मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधियों को भी है, लेकिन ये लोग सब कुछ जानते हुए भी मौन धारन किए हुए हैं, जिससे प्रतित होता है कि इस गलत धंधे पर लगाम नहीं लगाने की इनकी मंशा के पीछे इन जनप्रतिनिधियों का शराब माफियों से कोई ना कोई स्वार्थ जरुर छुपा हुआ है, इसलिए ये लोग भी अपनी जिम्मेवारी से पीछे भाग रहे हैं।
अब देखने वाली बात ये होगी की इस सूचना के बाद राज्य पुलिस बड़े शराब माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए कितना गंभीर होती है