7 नवंबर 2022 को राजभवन के समक्ष स्वामित्व योजना के विरोध में विशाल जनसभाः दयामणि बारला

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रिपोर्ट- संजय वर्मा

रांचीः झारखंड की आयरन लेडी, दयामणि बारला के नेतृत्व में स्वामित्व योजना के तहत बनने वाले संपत्ति/प्रोपर्टी कार्ड के विरोध में खूंटी जिला के कई प्रखंडों में ग्राम प्रधान,  मुंडा-मानकी और अन्य सम्मानित प्रतिनिधियों के साथ-साथ जनता के सहयोग से कई बडे आंदोलन किए गएं। वहीं राजधानी रांची में भी विधानसा के समक्ष धरना प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद माले विधायक बिनोद सिंह ने इस आंदोलन का समर्थन करते हुए आंदोलनकारियों की आवाज विधानसभा में उठाई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने द्रोन से सर्वे का काम फिलहाल कुछ समय के लिए स्थगित करवा दिया है, लेकिन खूंटी जिले के कई गांवों में अब भी सर्वे कार्य से जुडे कर्मचारी चोरी-चुपके भूमि बैंक में शामिल किये गए प्लॉटों का जमीनी सत्यापन अब भी कर रहे है।

7 नवंबर 2022 को राजभवन के समक्ष रैली/जनसभा, पांच प्रमंडल से जुटेंगे लोगः

स्वामित्व योजना के खिलाफ खूंटी जिला से शुरु हुआ विरोध का स्वर अब राज्य के कोने-कोने तक पहुंच चुका है और झारखंड के सभी पांच प्रमंडलों में भी लोग अब इस योजना के विरोध में उठ खड़े हुए हैं। “खतियान-जमीन बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पांचों प्रमंडल के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर इस योजना के विरोध के लिए आंदोलन की रुपरेखा तैयार हो चुकी है। आगामी 7 नवंबर 2022 को राजभवन के समक्ष एक विशाल सभा का कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें सभी प्रमंडल के दर्जनों जन संगठन के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और हजारों की संख्या में जनता उपस्थित रहेंगे।

स्वामित्व योजना के विरोध का कारनः

स्वामित्व योजना के तहत केन्द्र सरकार देश के सभी राज्यों में डिजिटल सर्वे करवा रही है। फिर सर्वे के बाद संपत्ति कार्ड बनाया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के रुप में खूंटी जिला से सर्वे का काम शुरु करवाया गया था। खूंटी मे पहले चरण में कूल 725 गांवों का सर्वे होना है, फिर दूसरे चरण 2022-23 में अन्य जिलों के 12000 गांवों का सर्वे होगा, इसके बाद तिसरे चरण में 20,000 गांवों का द्रोन सर्वे होगा। सर्वे के बाद भू-स्वामियों का डिजिटल नक्शा और डिजिटल खतियान तैयार किया जाएगा। इस योजना को 2024 तक पुरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन दूसरी तरफ झारखंड में जल-जंगल और जमीन आबाद करने में यहां के आदिवासी-मुलनिवासी, और किसान समुदाय का बहुत बड़ा योगदान है। प्रकृति, पर्यावरण के साथ जीवन मुल्यों आदिवासी-मुलवासी और किसान समुदाय के परंपरा और संस्कृति को संरक्षित और विकसित करने के लिए ही सीएनटी एक्ट-1908 और एसपीटी एक्ट-1949 में बनाया गया। इसके अलावा 5वीं अनुसूचि और पेशा कानून में आदिवासी समुदाय के जल-जंगल और जमीन के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक आधार को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए विशेष प्रावधान भी किया गया है। पेशा कानून में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि, गांव के सीमा के अंदर और बाहर जितने भी प्राकृतिक संसाधन, जैसे गिट्टी, बालू, झांड-जंगल, जमीन, नदी-झरना इत्यादि हैं, उन सभी पर गांव वालों का सामुदायिक अधिकार है। ये सभी अधिकार आदिवासी-मुलवासियों को लंबे संघर्ष के बाद मिला है। वर्तमान में केन्द्र सरकार नित नये कानून लाकर आदिवासी-मुलवासी और किसानों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर कर पुंजीपतियों के हित में काम कर रही है। स्वामित्व योजना के तहत जिस जमीन का दस्तावेज जमीन मालिक सरकार को उपलब्ध करवा पाएंगे, उसी जमीन का संपत्ति कार्ड बनेगा। बाकी जमीन सरकार के पास चली जाएगी, जिसे आगे चल कर पूंजीपतियों को उनके जरुरत के हिसाब से बेचा जाएगा।

खतियान-जमीन बचाओ संघर्ष मोर्चा के सदस्य बैठक करते.
स्वामित्व योजना लागू होने से आदिवासी-मुलवासी समुदाय को होने वाला खतराः
  • परंपरागत आदिवासी-मुलवासी ईलाकों का डेमोग्राफी पुरी तरह बदल जाएगा।
  • पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी ईलाकों में स्थित नदी-नालों, बालू-गिट्टी, जंगल और जमीन पर बाहरी लोगों का कब्जा हो जाएगा।
  • स्वामित्व योजना लागू होने के बाद 1932 के खतियान का अस्तित्व बना रहेगा या स्वतः खत्म हो जाएगा ये अब तक स्पष्ट नही है।
  • ग्रामीणों के जिस सामुदायिक जमीन का रशीद नही काटा जा रहा है, उस जमीन का क्या होगा?
  • स्वामित्व कार्ड योजना के लागू हो जाने से आदिवासी ईलाकों में बाहरी लोगों का प्रवेश होगा, जिससे क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या तेजी से घटेगी, साथ ही आदिवासियों की सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति कमजोर होगी।
सरकार से मांगः
  1. केन्द्र सरकार द्वारा कॉर्पोरेट घरानों एवं पूंजीपतियों के लिए लायी गई स्वामित्व योजना के तहत प्रोपर्टी/संपत्ति कार्ड योजना को लागू नहीं किया जाए।
  2. झारखंड में सीएनटी/एसपीटी एक्ट, पांचवीं अनुसूची एवं पेसा कानून के प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जाए।
  3. आदिवासी बहुल पांचवी अनुसूची क्षेत्र, खूंटी जिला में ड्रोन से सर्वे कार्य, जो वर्तमान में रोका गया है, उसे स्थायी रुप से बंद किया जाए साथ ही गांव-गांव में जाकर चोरी चुपके भूमि बैंक में शामिल किये गए प्लॉटों का जमीनी सत्यापन कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है, उसे अविलंब रोका जाए।
  4. रघुवर सरकार द्वारा बनाए गए भूमि बैंक को रद्द किया जाए।
  5. राज्य के सभी जिलों में स्थित जल स्त्रोतों, नदी-नाला, झील-झरना का पानी लिफ्ट एरिगेशन के तहत पाईप लाईन द्वारा किसानों के खेत तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाए।
  6. जमीन के दस्तावेजों के साथ किए जा रहे ऑनलाईन छेड़-छाड़ पर रोक लगाया जाए।
  7. जमीन का लगान रशीद ऑफ लाईन काटा जाए।
  8. सीएनटी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासी समुदाय की जमीन गैर कानूनी तरीके से ली गई है। इस मामले में एसएआर कोर्ट में फैसले के बाद जमीन वापसी का आदेश दिया जाए। जिन रैयतों का दखल दिहानी आज तक नही हुआ है, ऐसे सभी जमीन पर आदिवासी समुदाय को दखल दिलाया जाए।
  9. 2013 के जमीन अधिग्रहण कानून का कड़ाई से पालन करते हुए विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए जहां भी किसानों से जमीन लिया गया था, जिसका उपयोग आज तक नहीं किया गया है, या सरप्लस जमीन है, उसे जमीन मालिकों को वापस किया जाए।

उपरोक्त सभी मांगो को लेकर आगामी 7 नवंबर 2022 को राजभवन के समक्ष विशाल रैली करते हुए धरना/सभा का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में राज्य के सभी जिलों से कई संगठनों के प्रतिनिधि, सामाजिक-मानवाधिकार कार्यकर्ता और हजारों की संख्या में आम जनता भी शिरकत् करेंगे। सभा के बाद मांगों से संबंधित मांग पत्र, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, ग्रामीण विकास सह पंचायती राजमंत्री, जनजातिय कल्याण मंत्री और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नाम सौंपा जाएगा।

खतियान-जमीन बचाओ संघर्ष मोर्चा का समर्थन कर रहे  संगठनों के नाम निम्नलिखित हैः
  1. आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच।
  2. केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति गुमला-लातेहार।
  3. जबड़ा डैम प्रभावित संघर्ष समिति कर्रा।
  4. स्थानीय जागरूकता मंच गुमला।
  5. विस्थापीत मुक्ति वाहिनी चांडिल।
  6. पहाड़िया दामिन जमीन संघर्ष समिति साहेबगंज।
  7. आजादी बचाओ आंदोलन हजारीबाग।
  8. टाना भगत जमीन बचाओ मोर्चा भरनो।
  9. झारखंड जनाधिकार महासभा।

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