कर्जमाफी नहीं होने और ऋण वसूली पर सख्ती से नाराज किसानों ने खेत में लगाई समाधि..
रिपोर्ट- बिनोद सोनी…
कर्जमाफी नहीं होने और ऋण वसूली पर सख्ती से नाराज किसानों ने खेत में लगाई समाधि..
रांचीः लातेहार जिला चंदवा प्रखंड के किसान केन्द्र और राज्य सरकार के वादा खिलाफी के विरुद्ध तीन फीट जमीन के नीचे धंस कर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य हो चुके हैं. किसानों की कर्ज माफी नही होने और बैंकों द्वारा किसानों से कर्ज वसूली के दौरान सख्ती बरते जाने से यहां के किसान काफी नाराज हैं. सोमवार को झारखंड राज्य किसान महासभा से जुडे किसानों ने बाजारटांड़ स्थित खेत की जमीन में दो फीट गहरे गड्ढे में समाधि लगा कर विरोध प्रदर्शन किया.
किसानों की मांग है कि सरकार अविलंब कर्ज माफी करे, बैंक प्रबंधकों द्वारा ऋण वसूली में बरती जा रही सख्ती में अंकुश लगाया जाए. झारखंड राज्य किसान सभा के जिलाध्यक्ष अयुब खान ने कहा है कि झामुमो और कांग्रेस दोनों ही दलों ने विधानसभा के अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्रों में किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया था. कहा था कि राज्य में सरकार बनते ही तुरंत किसानों की ऋण माफ कर दिया जाएगा, लेकिन राज्य में युपीए सरकार का गठन हुए दो माह हो गए हैं, लेकिन अबतक कर्ज माफी नहीं कि गई है. कई प्रदेशों में सरकार बनते ही कॉग्रेस ने तुरंत कर्जमाफी का फैसला लिया था, इसी तरह के फैसले की उम्मीद झारखंड के किसानों को भी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुंजीपति घरानों की लोन शीघ्र माफ कर दिए जाते हैं, किंतु किसानों का कर्जमाफी मामले को लटका दिया जाता है, केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी किसानों के साथ छल किया है, कहा था किसानों के अच्छे दिन आएंगे, उनके लागत फसल के दुगुने दाम दिये जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. किसानों को नोटिस भेजकर कानुनी कार्रवाई की भी धमकी उन्हें दी जा रही है, इससे किसान काफी परेशान है. बैंकों की सख्ती से कई किसान घर छोड़ने को मजबुर हो रहे हैं, वहीं कई किसानों ने कहा कि जिले में लगातार अकाल, सुखाड़ के साथ वर्ष दर वर्ष कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि तो कभी फसलों पर जैविक प्रकोप व दुर्घटनाओं से किसानों की स्थिति बद से बदतर होते जा रही है.
दुसरों का पेट भरने वाले अन्नदाता वर्तमान में स्वयं भुखा रहने को विवश हैं. किसान समाधि पर बैठ रहे हैं, और सरकारें चैन की नींद सो रही है. किसानों कि मांग है कि राज्य सरकार किसानों से किया गया वादा पूरा करे. किसानों के समर्थन में दर्जनों महिलाएं भी समाधि स्थल पर बैठी हुई थीं.
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