10 मार्च को बिहार के 1 और झारखंड के तीन प्रमंडलों में सीपीआई माओवादी संगठन ने किया बंद का आह्वान…
रिपोर्ट- “ताजा खबर झारखंड” ब्यूरो…
रांचीः बिहार-झारखंड, उत्तरी छत्तीसगड़-उ. प्रदेश सीमांत रिजनल कमेटी के प्रवक्ता मानस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 10 मार्च को बिहार के मगध प्रमंडल और झारखंड के तीन प्रमंडलों में बंद की घोषणा की है।
सीमांत रिजनल कमेटी ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि, यूक्रेनिया पूर्व में सोवियत समाजवादी राष्ट्रसंघ का सदस्य देश था। समाजवाद के पतन के बाद सोवियत समाजवादी संघ के सारे देश उससे अलग हो गया।रुस में समाजवाद के स्थापना से पूर्व रुस सम्राट के अधीन एक सामंती साम्राज्यवादी देश था और अगल-बगल के सारे राज्य उसके उपनिवेश हुआ करते थें।1917 में कामरेड लेनिन और स्तालिन के नेतृत्व में वहा का सम्राट के पूर्ण खात्मे के बाद रुस में समाजवाद की स्थापना हुई और इसके बाद रुस के अधीन तमाम उपनिवेश राष्ट्रों को मुक्त कर दिया गया था। लेकिन वर्तमान में रुस एक साम्राज्यवादी राष्ट्र है, ऐसे में स्वाभाविक है कि साम्राज्यवाद किसी भी राष्ट्र की स्वाधीनता बर्दास्त नहीं कर सकता, उसे लूट के लिए उपनिवेश चाहिए और इसी कड़ी में रुस द्वारा यूक्रेनिया पर हमले के मर्म को समझना चाहिए।
प्रवक्ता मानस ने विज्ञप्ति में आगे लिखा है कि, भारत सरकार अपने ही देश की जनता के उपर बमबारी कर रही है, फिर सवालिया निशान खड़ा करते हुए पुछा है कि, आखिर जनता पर युद्ध थोपने का राज क्या है? प्रवक्ता मानस ने बताया कि 2022 के शुरु होते ही औरंगाबाद जिले के मदनपूर थाना क्षेत्र स्थित पचरुखिया-दुमुहान जंगल में बमबारी शुरु किया गया। यहां 5-6 जनवरी, 3-4-10-23-25-26 फरवरी और 3 मार्च को भी बमबारी किया गया। यहां अब तक डेढ़ से 2000 बम गिराए जा चुके हैं। इसी तरह गुमला-लोहरदगा जिले के बॉर्डर क्षेत्र बुलबुल जंगल में 8 से 28 फरवरी तक भीषण बमबारी की गई। इसी तरह झारखंड के कई पहाड़ी-जंगली क्षेत्रों में भी बमबारी की गई है। मानस ने विज्ञप्ति मे लिखा है कि भारत साम्राज्यवाद का पिछलग्गू बन गया है और यहां एक अर्ध-औपनिवेशिक, अर्ध सामंती व्यवस्था बन कर साम्राज्यवाद और उसके पीछलग्गू दलाल नौकरशाह, पूंजीवाद व सामंतवाद का सेवा करने वाला तथाकथित स्वतंत्र देश ही बना हुआ है। साम्राज्यवाद का युग जारी है, साम्राज्यवाद का विश्व व्यापी आर्थिक-राजनीतिक संकट उतरोत्तर बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी वह पूरे विश्व को अपने अधीन रखने के लिए तरह-तरह से बमों का भय विश्व की जनता को दिखाता आ रहा है। विश्व क्रांति की आम धारा “देश चाहता है स्वाधीनता, राष्ट्र चाहता है मुक्ति और जनता चाहती है क्रांति” यही सच है।
प्रवक्ता मानस ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि, नरेन्द्र मोदी सत्ता में स्थान ग्रहण करने के बाद साम्राज्यवाद, दलाल नौकरशाह पूंजीवाद के कुछ मुट्ठीभर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों के हांथ में देश के तमाम प्राकृतिक और सामाजिक संपदा का एकाधिपत्य हेतू आम जनता से जल-जंगल-जमीन पर से उनके अधिकार और उससे संविधान द्वारा पूर्व में दिए गए तमाम अधिकारों को खत्म करने और नये कानूनों के जरिये उन्हें पूर्णतः गुलामी के जंजीर में जकड़ने के सारे कानूनी प्रावधान संसद द्वारा पारित करवा लिये। ये भी सर्वविदित है कि उच्च न्यायालय द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में पहले ही 21 राज्यों के आदिवासियों को विस्थापित कराने का निर्देश सरकार को दिया जा चुका है। इस कार्य में सबसे बड़ा बाधक सरकार के सामने सर्वहारा वर्ग और यहां की तमाम उत्पीड़ित जनता के पक्ष में खड़ी राजनीतिक पार्टी भाकपा(माओवादी) और उसके नेतृत्व में संचालित जनता की सेना जनमुक्ति छापामार सेना बनी है। इसलिए माओवादियों पर हमले का बहाना बना कर देश के तमाम माओवाद प्रभावित और उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं के आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग पर आंदोलन संचालित कर रहे विभिन्न राजनीतिक दलों और सैन्य संगठऩों पर हमले को जायज ठहराने के लिए इन्हें उग्रवाद, आतंकवाद का लेबल लगा कर वन क्षेत्र में रहने वाले जनता को जंगलों से विस्थापित कराने के लिए भारत सरकार अपनी सेना, अर्धसैन्य बल और पुलिस बलों को “सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम” की ताकत देकर अंधाधुंद गोले बरसा रही है। जिससे हजारों साल से गरीब और पिछड़े वनवासियों को तथा आस-पास के लोगों का यहां तक कि पालतू पशु, जंगली पशुओं जैसे असंख्य जीवों का जीवन समाप्त हो चुका है और दांव पर लगा हुआ है।
अंत में माओवादी प्रवक्ता मानस ने अनुरोध किया है कि फासिस्ट सरकार और इस राज्य के उन्मुलन के लिए तमाम क्रांतिकारी व जनवादी शक्तियां, मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान, व्यापक बुद्धिजीवी समुदाय इस फासीवाद द्वारा संचालित अत्याचार को समाप्त करने के लिए आगे आएं।
बिहार-झारखंड, उत्तरी छत्तीसगड़-उ. प्रदेश सीमांत रिजनल कमेटी ने आगामी 10 मार्च को बिहार के मगध प्रमंडल और झारखंड के उत्तरी-दक्षिणी प्रमंडल और पलामू प्रमंडल में बंद का आह्वान किया है। इस बंद से मेडिकल, हॉस्पीटल, एबुलेंस, पानी सप्लाई, दूध विक्रेता, अग्निशमन दस्ता, प्रेस वाहन और बाराती वाहनों को मुक्त रखा गया है।