आंदोलन के कारन नहीं, मेरे कारन हटाया गया धनबाद-बोकारो से भोजपुरी और मगही भाषाः शिक्षा मंत्री

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

राँची: झारखंड के धनबाद और बोकारो जिले की क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही भाषा को हटा दिया गया है, लेकिन उर्दू भाषा को रहने दिया गया है, इसके लिए शिक्षा मंत्री, जगरनाथ महतो ने एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद दिया है।

झारखंड सरकार के इस निर्णय का जहां तमाम विपक्षी पार्टियों ने आलोचना की है, वहीं दूसरी ओर राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन कर धन्यवाद दिया है।

बोकारो और धनबाद में मगही और भोजपुरी भाषी एक भी गांव नहीं, सभी बाहर के हैः शिक्षा मंत्री

गौरतलब है कि बोकारो और धनबाद जिले की क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही भाषा को हटा दिया गया है। वहीं उर्दू भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल रहने दिया गया है। इसकी अधिसूचना कार्मिक प्रशासनिक राजभाषा विभाग ने जारी भी कर दी है। गौरतलब है कि इन दोनों भाषाओं को हटाने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से धनबाद बोकारो जिले में आंदोलन चल रहा था। जिसका समर्थन राज्य के शिक्षा मंत्री कर रहे थें। उनका कहना था कि इन जिलों में यह भाषा बोलने वाला एक गांव भी नहीं है। सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है।

आंदोलन से नहीं मिली जीत, मेरे कारन सूची से हटाया गया हैः जगरनाथ महतो, शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने धनबाद और बोकारो जिले की क्षेत्रीय भाषा की सूचि से भोजपुरी और मगही भाषा हटाए जाने का सेहरा अपने सर पर बांधते हुए कहा कि, ये आंदोलनकारियों की वजह से नही हुई है। इस मामले को मैंने विधानसभा में उठाया था, अगर आंदोलनकारियों में ताकत है, तो पलामू, गढ़वा और चतरा जिले की क्षेत्रीय भाषा की सूचि से भोजपुरी और मगही को हटा कर दिखाए।

उर्दू भाषा को सभी जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूचि में शामिल किया गयाः

जानकारी देते चलें कि, इस बार सभी 24 जिलों की क्षेत्रीय भाषा की सूची में उर्दू भाषा को भी शामिल किया गया है, जिसका तमाम विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि राज्य सरकार किस आधार पर उर्दू को सभी जिलों में क्षेत्रीय भाषा की सूची में डाला है, यह समझ से परे है। हेमंत सरकार राजनीतिक दांव खेल रही है, जो झारखंड की जनता के साथ छलावा होगा। इस मामले को लेकर जब सवाल पूछा गया तो, शिक्षा मंत्री ने कहा कि उर्दू बोलने वाले लोग राज्य भर में रहते हैं। इस भाषा को शामिल करने से हर्ज ही क्या है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है।

मार्च के पहले हफ्ते से क्लास 1 में भी पढ़ाई शुरु हो जाएगीः

मौके पर शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि, झारखंड में कोरोना संक्रमण की दर अब सामान्य स्तर पर है। इसलिए मार्च के पहले हफ्ते में क्लास 1 से स्कूल खोले जा सकते हैं। सरकार ने कुछ दिन पहले राज्य में स्कूलों को खोलने का फैसला संक्रमण दर का आंकलन करने के बाद लिया था। जिसमें आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा झारखंड के सात जिलों में संक्रमण दर अधिक होने के कारण कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई की अनुमति नहीं दी गई थी। इन जिलों में रांची, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, चतरा, देवघर, सरायकेला और सिमडेगा शामिल थें। लेकिन अब इन जिलों में भी संक्रमण दर 5% से भी कम है, इस वजह से संभावना जताई जा रही है कि मार्च महीने से स्कूल खोले जा सकते हैं।

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