घरेलू कामगार महिलाएं लगातार हो रही हैं शोषण के शिकार, लेकिन इनके लिए नहीं कोई कानून…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः झारखंड देश का प्रथम राज्य है, जहां के सबसे ज्यादा लड़के और लड़कियां घरेलू कामगार के रुप में विभिन्न राज्यों में कार्य करते हैं। ये कहा जा सकता है की झारखंड राज्य घरेलू कामगारों का हब बन चुका है, बावजुद इसके इन घरेलू कामगारों की दशा और दिशा सुधारने की दिशा में केन्द्र और राज्य सरकार ने कोई कानून नहीं बनाया है।

घरेलू कामगार मुख्यतः झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रवासी मजदूर होते हैः

घरेलू कामगारों पर आये दिन हो रहे शोषण की खबरें लगातार मीडिया के माध्यम से उजागर होते रहती है, बावजुद इसके ना ही अब तक केन्द्र सरकार ने इनकी सुरक्षा के लिए कोई कानून बनाया और ना ही राज्य सरकार ने। राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन सन् 1985 से ही घरेलू कामगारों के हित और अधिकार के लिए संघर्षरत्त है। संगठन के अनुशार घरेलू कामगार मुख्यतः झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रवासी मजदूर होते हैं, जो अत्यंत पिछड़े और संवेदनशील समुदाय से आते हैं।

दिन-रात कड़ी मेहनत करने के बावजुद घरेलू कामगारों की स्थिति काफी भयावहः

शहरी क्षेत्रों में घरेलू काम, महिलाओं के लिए सबसे बड़ा रोजगार है। घरेलू कामगार ज्यादातर पिछड़े समुदाय के प्रवासी मजदूर होते हैं। दिन-रात कड़ी मेहनत करने के बावजुद इन घरेलू कामगारों की स्थिति काफी भयावह है। अत्यधिक कम वेतन, छुवा-छुत शारीरिक शोषण, यौन उत्पीड़न, साप्ताहित अवकाश का नहीं मिलना, मातृत्व लाभ के अंतर्गत वेतनयुक्त छुट्टी नहीं मिलना, पेंशन की सुविधा का नहीं होना जैसे कई लाभ के नहीं मिलने के कारन इनका जीवन मानों एक अभिशाप बन चुका है। इतनी सारी समस्या होने के बावजुद घरेलू कामगारों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। घरेलू कामगार ज्यादातर घरों के अंदर काम करते हैं। ज्यादातर कामगार अशिक्षित होते हैं, जिसके कारन लगातार इनके अधिकारों का हनन किया जाता है। वर्तमान में भी ज्यादातर घरेलू कामगारों को 2-3 घंटे काम करने के एवज में मात्र 10 से 12 रुपये ही भुगतान किया जाता है। किसी कारनवश छुट्टी मांगने पर इन्हें नौकरी से निकाल तक दिया जाता है। इतने सारे अन्याय इनके साथ होने के बावजूद भी इन्हें न्याय दिलाने के लिए अब तक कोई कानून इन घरेलू कामगारों के लिए नहीं बनाया गया है।

राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की सरकार से मांगः

राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन, घरेलू कामगारों के लिए एक अलग राज्य स्तरीय कानून बनाने की मांग राज्य सरकार से करती है। इसके तहते घरेलू कामगारों की निम्नलिखित मांगे हैः

  1. न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की जाए
  2. घरेलू कामगारों को भी साप्ताहिक छुट्टी दिया जाए।
  3. वार्षिक वेतनयुक्त छुट्टी निर्धारित की जाए।
  4. वार्षिक बोनस दिया जाए।
  5. कार्यस्थल पर सुरक्षा की गारंटी हो।
  6. समय पर वेतन दिया जाए।
  7. बीमार होने पर घरेलू कामगारों को वेतनयुक्त छुट्टी दिया जाए।
  8. कार्य स्थल पर सुरक्षा का जिम्मा नियोक्ता की हो।
  9. नियोक्ता द्वारा घरेलू कामगारों के अधिकारों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता को अपराधी मानते हुए दंडात्मक कार्रवाई हो।

राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन सरकार से ये भी मांग करती है कि, सरकार द्वारा दिए जाने वाले सभी अधीकार और लाभ जैसे सामाजिक सुरक्षा, मुफ्त चिकित्सा, 60 वर्ष के बाद पेंशन की सुविधा आदि को भी घरेलू कामगारों के लिए सुनिश्चित करे।

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