बागडिगी खान हादसा की बरसी पर मृतक मजदूरों को दी गई श्रद्धांजलि…

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रिपोर्ट- अशोक कुमार, धनबाद…

धनबादः 2 फरवरी 2001, बागडिगी खान हादसे के रुप में दर्ज है। जिसमें 29 मजदूरों की जल समाधि हो गई थी। उस दिन की मंजर आज भी लोगों के जेहन में है और उस दिन को याद कर सिहर उठते हैं। इसी दुर्घटना को याद करते हुए घटना में मारे गए मजदुरों की याद में हर वर्ष 2 फरवरी को बीसीसीएल प्रबंधन, मृतक के परिजन और यूनियन के नेताओं द्वारा श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन कर मृतक मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया जाता है।

बागडिदी खान हादसे के बारे में बताया जाता है कि प्रथम पाली के दौरान 12 नंबर पीट में लगभग 70-80 मजदूर काम करने गए थें, उसी वक्त हवा का तेज झोंका चानक के ऊपर उठा।  हवा इतनी तेज थी कि चानक के ऊपर बैठे मजदूरों में अफरातफरी मच गई। किसी अंदेशा को देखते हुए कुछ मजदूरों ने इसकी सूचना अपने ऊंच अधिकारियों को दी, जिसकी जानकारी मिलने के बाद अधिकारी चानक के समीप पहुंचे ओर मामले की जांच पड़ताल करने लगे। अगले पल अधिकारियों को पता चल गया कि चानक के अंदर का डैम फट गया है और खदान पूरी तरह डूब चुका है।

बागडिगी खदान के अंदर डैम फटने की जानकारी जंगल में लगी आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई। जिसने भी सुना लोगों का हुजूम चानक के समीप उमड़ पड़ा। जो मजदूर खदान के अंदर काम करने गए थे, उनके परिजन भी चानक के समीप पहुंच कर जल्द से जल्द मजदूरों को निकालने की मांग करने लगे। बीसीसीएल के वरीय अधिकारी भी कार्रवाई करते हुए खदान में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू का काम शुरू किया, कई दिनों तक रेस्क्यू चलता रहा। लेकिन खदान में पानी इतना था कि मजदूरों के पास रेस्क्यू टीम का पहुंच पाना मुश्किल हो रहा था। इधर खदान में फंसे मजदूरों के परिजनों का धैर्य भी जवाब दे रहा था। जिसे लेकर मजदूरों के परिजन और आसपास के लोग चानक पर हंगामा करने लगे। इधर घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद जब खदान में फंसे मजदूरों के बचने की संभावना खत्म हो गई तो परिजनों ने बीसीसीएल के वरीय अधिकारी और जिला प्रसासन से शव निकालने की अपील की। जिसके बाद बीसीसीएल के अधिकारियों ने खदान में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए मुंबई से गोताखोरों की टीम मंगाई। उसके बाद गोताखोर की टीम ने चानक से शव निकालना शुरू किया। शव की पहचान कैप लैंप के नंबर से की गई थी। इस घटना में कुल २९ मजदूरों की मौत हुई थी। वहीं घटना के सात दिन बाद रेस्क्यू की टीम ने एक मजदूर मोहम्मद सलीम को खदान से जीवित निकाला था।

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