आदिवासी अपने हक् अधिकारों के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार, 20 अक्टूबर को देशभर में आदिवासी राष्ट्रपति के नाम सौंपेंगे ज्ञापन

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

रांचीः शनिवार को राजधानी रांची स्थित प्रेस कल्ब में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रेस को संबोधित करते हुए पूर्व मानव संसाधन मंत्री सह अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष, गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिकाल से ही आदिवासी समाज प्रकृति को आधार मानकर अपनी जीवन पद्धति को रुढ़ी परंपरा, रीति-रिवाज, विधि-विधान का स्वरुप प्रदान किया है। पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पुरखों के पद चिन्हों पर चलते और अनुसरण करते हुए आज भी कस्टमरी लॉ से गाईड होते हैं, जिसे पूर्णतः संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। अलग विशिष्ट जीवन शैली के कारन ही आदिवासी समाज को ब्रिटिश शासन काल से शुरु हुए देशभर के जनगणना सर्वेक्षण कार्य (1871-1951) में स्पष्ट रुप से अलग कॉलम में रखा गया।


गीताश्री उरांव ने आगे कहा कि, सरना धर्मावलंबी सिर्फ 6 राज्यों में हैं, लेकिन भील, गौंड जैसे और भी सैंकड़ों आदिवासी समुदाय हैं। इसलिए सभी आदिवासी समुदायों के लिए एक अलग जनगणना कॉलम हो। देश भर के आदिवासी समुदायों की सहमति से “आदिवासी धर्म कोड़” की मांग की जा रही है, जिसमें सभी आदिवासी आ जाएंगे।

विगत कई वर्षों से चली आ रही आदिवासी धर्म कोड़ को आगामी जनगणना सर्वेक्षण का हिस्सा बनाने के लिए इस बार संपूर्ण भारत वर्ष के आदिवासी अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् के बैनर तले, अपनी एकजुटता का परिचय देते हुए आगामी 20 अक्टूबर को एक दिन, एक ही समय सड़क पर उतर का महामहिम के नाम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपायुक्त और प्रखंडों में प्रखंड विकास पदाधिकारी को ज्ञापन सौंप कर अपनी मांग महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रजिस्ट्रार जेनरल ऑफ इंडिया तक पहुंचाने का काम करेंगे।

राजधानी रांची में 20 अक्टूबर को सुबह 10 बजे सर्जना चौक से लेकर राजभवन तक विशाल मानव श्रृंखला बनाया जाएगा, इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके अलावा सुबे के विभिन्न प्रखंडों में भी ग्रामीण प्रखंड विकास पदाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने का काम करेंगे।


विदित हो कि माननीय सोमजी भाई दामोर, भूतपूर्व सांसद, गुजरात, केन्द्रीय अध्यक्ष अ.भा.आ. विकास परिषद्, नई दिल्ली के निर्देशानुसार देश के विभिन्न आदिवासी बहुल राज्यों में जिला, अनुमंडल, तथा प्रखंड स्तर पर आदिवासी धर्मकोड़ की मांग हेतु राष्ट्रव्यापी धरना-प्रदर्शन,रैली, मानव श्रृंखला का आयोजन कर उचित माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
गीताश्री उरांव ने ये भी कहा कि जब तक देश के सभी आदिवासियों को उनका मान-सम्मान और अधिकार आदिवासी धर्म कोड़ के रुप में नहीं मील जाता है, तब तक संघर्ष और आंदोलन चरणबडद्ध तरीके से जारी रखा जाएगा।

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