रघुवर सरकार का झूठ एक बार फिर हुआ उजागर, रद्द किए गएं 90 प्रतिशत राशन कार्ड फर्जी नहीं थें…

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ब्यूरो रिपोर्ट…

रघुवर सरकार का झूठ एक बार फिर हुआ उजागर, रद्द किए गएं 90 प्रतिशत राशन कार्ड फर्जी नहीं थें…

रांचीः तात्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में(2017) रद्द किया गया लाखों राशन कार्ड फर्जी नहीं था। राज्य सरकार ने दावा किया था कि रद्द किया गया राशन कार्ड फर्जी था, लेकिन हाल ही में किए गए J-PAL के अध्ययन से इस बात का खुलाशा हुआ है कि रद्द किया गया सभी राशन कार्ड फर्जी नही था। भूख से मौत होने की सूचना पर जांच कर रहे स्थानीय जांच दल के सदस्यों ने भी तात्कालीन रघुवर सरकार के दावों को गलत ठहराया था।

राज्य सरकार ने 11लाख 64 हजार फर्जी राशन कार्ड रद्द कर, 225 करोड़ रुपया बचाने की बात कही थीः

जानकारी देते चलें कि 27 मार्च 2017 को झारखंड के तात्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा था कि वैसे सभी राशन कार्ड, जिन्हें आधार नंबर के साथ जोड़ा नही गया है, वे सभी राशन कार्ड 5 अप्रैल 2017 से निरर्थक हो जाएंगे। इस दौरान लगभग 3 लाख राशन कार्ड अवैध घोषित कर दिया गया था।  वहीं 22 सितंबर 2017 को रघुवर सरकार ने अपने 1000 दिनों की सफलता को गिनवाते हुए एक पुस्तक जारी किया था, जिसमें उन्होंने ये कहा था कि  आधार नंबर के साथ राशन कार्ड को सीड करने का काम शुरु हो चुका है। इस प्रक्रिया के दौरान 11 लाख 64 हजार राशन कार्ड फर्जी पाए गए हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर रघुवर सरकार ने कहा था कि ये प्रक्रिया प्रारंभ कर राज्य सरकार ने 225 करोड़ रुपया बचाया है, जिसका उपयोग गरीब परिवारों के विकास में किया जाएगा।

तात्कालीन खाद्य आपूर्ति मंत्री ने 6.96 लाख राशन कार्ड रद्द होने की जानकारी दी थीः

10 नवंबर 2017 को खाद्य आपूर्ति विभाग के तात्कालीन मंत्री सरयू राय ने स्पष्ट किया था कि हटाए गए राशन कार्डों की संख्या 11 लाख 64 हजार नहीं बल्कि 6.96 लाख थी।

बताते चलें कि 28 सितंबर 2017 में सिमडेगा जिले में 11 वर्षीय गरीब छात्रा संतोषी कुमारी की मौत भूख से हो गई थी। स्थानीय जांच दल के जांच के दौरान पाया कि संतोषी कुमारी के परिवार का राशन कार्ड आधार नंबर से सीड नही होने के कारन पहले ही रद्द किया जा चुका था। संतोषी की मौत पर तात्कालीन खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा था कि 11 वर्षीय संतोषी की मौत ने पूरे देश की अंतरात्मा को हिला कर रख दिया है।

झारखंड में 2016-19 के बीच 18 से भी अधीक लोगों की मौत भूख से हुई थीः

इंद्रदेव माली   40 वर्ष हजारीबाग
2) संतोषी कुमारी 11 वर्ष जलडेगा, सिमडेगा  
3) रुपलाल मरांडी   60 वर्ष मनोहरपुर, मधुपुर
4) ललिता कुंवर  45 वर्ष गढ़वा  
5) प्रेमनी कुंवर 64 वर्ष   डंडा, गढ़वा
6) एतवरिया देवी     67 वर्ष मंझियांव, गढ़वा
7) बुधनी सोरेन   40 वर्ष तिसरी, गिरिडीह
8) लुखी मुर्मू     30 वर्ष हिरणपुर, पाकुड़
9) सारथी महतवाईन        धनबाद  
10) सावित्री देवी   60 वर्ष डुमरी, गिरिडीह
11) चिंतामन मल्हार   50 वर्ष मांडु, रामगड़
12) राजेन्द्र बिरहोर   39 वर्ष   मांडु, रामगड़
13) चमटू सबर 45 वर्ष धालभूमगड़, पू.सिंहभूम
14) सीता देवी 35 वर्ष बसिया, गुमला  
15) कलेश्वर सोरेन   45 वर्ष जामा, दुमका
16) बुधनी बिरजिया,   85 वर्ष महुआडांढ, लातेहार
17) मोटका मांझी   50 वर्ष जामा, दुमका
18) रामचरण मुंडा   65 वर्ष महुआडांड, लातेहार

भूखमरी से हुई इन 18 मौतों में से लगभग आधी मौतें किसी ना किसी रुप से आधार संबंधित समस्याओं से जुड़ी हुई थी। विख्यात अर्थशास्त्री कार्तिक मुरलीधरन, पॉलनी हाउस और संदीप सुखटणकर द्वारा इस अध्ययन के तहत झारखंड में 10 रैंडम तरीके से चुने गए जिलों में से 2016-18 में रद्द हुए राशन कार्डो का शोध किया गया। जिसका परिणाम निम्नलिखित हैः

  • 2016-18 के बीच 10 जिलों में 1.44 लाख राशन कार्ड रद्द किया गया, जो कूल 6 प्रतिशत था।
  • 10 जिलों में रद्द किए गए 1.44 लाख राशन कार्डों में से 56 प्रतिशत राशन कार्ड आधार से जुडे नही थें।
  • रद्द किए गए राशन कार्डों में से 4 हजार रैंडम तरीके से चुने गए कार्डों के जांच में ये पाया गया, कि लगभग 90 प्रतिशत राशन कार्ड फर्जी नही थें। मात्र 10 प्रतिशत राशन कार्ड फर्जी परिवारों के थें, जिन परिवारों का पता नहीं लगाया जा सका।

इस अध्ययन के माध्यम से ये अनुमान लगाया गया, कि रद्द किए गए राशन कार्डों में से मात्र 3 प्रतिशत ही फर्जी थें। लेकिन तात्कालीन रघुवर सरकार द्वारा मात्र 3 प्रतिशत फर्जी राशन कार्डों को रद्द करने के लिए जो कदम उठाया गया, उसे सिर्फ एक चुहे को पकड़ने के लिए पूरे घर को जलाना माना जा सकता है, जो संतोषी कुमारी जैसे हजारों गरीबों को काफी भारी पड़ा। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम में पारदर्शिता का मुद्दा भी उठता है, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा राशन कार्डों को रद्द करने की प्रक्रिया अब तक स्पष्ट नही हो पाई है और बार-बार मांग के बावजुद राज्य सरकार ने रद्द किए गए राशन कार्डों की सूची अब तक सार्वजनिक नही की है। पूरे मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी पूरी प्रक्रिया को और भी ज्यादा आपत्तिजनक बनाती है। इन सबके बावजुद वर्तमान झारखंड सरकार एक बार फिर से बड़े पैमाने में राशन कार्डों को रद्द करने की तैयारी में जुटी हुई है।    

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2 Responses

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