प. सिंहभूम, पोड़ाहाट और खूंटी में किया जाएगा पंचायत चुनाव का विरोध, 13 पंचायतों के मुंडा, मानकी और डाकुआ के साथ क्षेत्र की जनता ने लिया निर्णय…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः संविधान की पांचवी अनुसूची, अनुसूचित जनजातियों के लिए एक वरदान है। लेकिन पांचवी अनुसूची अब तक संविधान की पुस्तक में ही दम तोड़ रही है। अनुसूचित जनजाति के लोग संविधान पर पूर्ण आस्था रखते हैं, लेकिन अब उनके सब्र का बांध टुटने लगा है।

सोमवार (दिनांक-25 अक्टूबार 2021) को प. सिंहभूम जिले के बंदगांव प्रखंड स्थित बाजारटांड में मानकी एवं मुंडा संघ अंचल समिति बंदगांव, पोड़ाहाट, प. सिंहभूम झारखंड की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें 13 पंचायतों के मुंडा एवं मानकी के साथ सैंकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहें। बैठक में मुख्य रुप से तीन बिन्दुओं पर चर्चा की गई।

1)पंचायत चुनाव होना चाहिए या नहीं?

2)पांचवी अनुसूची के संबंध में-अब तक क्यों लागू नहीं?

3)आदिवासी संगठनों के संबंध में।

सभा में वक्ताओं ने स्पष्ट रुप से कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार संविधान का लगातार उल्लंघन कर रही है। मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा नें संविधान प्रस्तावना के दौरान कहा था, कि आदिवासियों को लोकतंत्र सीखाने की जरुरत नहीं है, बल्कि आदिवासियों से लोकतंत्र सीखने की जरुरत है। हमे सुरक्षा के साधन नहीं, हमें सिर्फ सुरक्षा चाहिए।

पांचवी अनुसूची का मूल प्रारुप आदिवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषायी एवं आर्थिक अस्तित्व की सुरक्षा का अति महत्वपूर्ण प्रावधान है। पांचवीं अनुसूची, आदिवासियों के भाषा संस्कृति, परंपरा एवं जल-जंगल और जमीन पर आधारित उनकी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए बनाया गया कानून है, लेकिन इसे अनुसूचित जिलों में लागू नही कर सरकार भारत के 9 राज्यों के अंतर्गत पड़ने वाले अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही है। आदिवासी कुंवें के पास खड़े हैं, लेकिन अपनी प्यास बुझा नही सकतें।

अनुसूचित क्षेत्रों में सामान्य कानून लागू करने की ईजाजत नहीः

मानकी एवं मुंडा संघ अंचल समिति बंदगांव, पोड़ाहाट, प. सिंहभूम के संयोजक, जोहन चम्पिया ने कहा कि, भारत के संविधान के अनुशार पांचवी अनुसूचि क्षेत्रों में सामान्य कानून लागू करने की ईजाजत नही है। लेकिन सरकार लगातार पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में चुनाव करवा कर पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। ये सर्वविदित है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में सारी शक्ति ग्रामसभा को दी गई है। लेकिन 2008 में पेशा कानून में संशोधन कर ग्रामसभा की जगह “ग्राम न्यायालय” का गठन कर ग्रामसभा की शक्तियों को ही खत्म कर दिया गया है, जो आदिवासियों के लिए अन्याय है। यही कारण है कि अनुसूचित क्षेत्रों के आदिवासी लगातार जनआंदोलन करने के लिए बाध्य हुए हैं।

बंदगांव के बाजार टांड में सभा को संबोधित करते अब्राहम हंस

अनुसूचित क्षेत्र की जनता अपना विकास स्वयं करना चाहती हैं, सरकार सिर्फ सहयोग करेः अब्राहम हंस

सभा में मौजुद अब्राहम हंस मुंडा ने कहा कि पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में वोट सिस्टम नही है। सरकार इन क्षेत्रों में जबरन वोटिंग करवाती है। हम आदिवासियों को वोट सिस्टम नही चाहिए, हमलोगों को स्वशासन व्यवस्था चाहिए जिसमें जनता ही सरकार होती है। हमलोग अपने समुदाय का विकास स्वयं करना चाहते हैं। लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि विकास योजनाओं की रुप रेखा तैयार करते हैं, लेकिन ग्रामसभा वो संसद है, जहां पंचायत की जनता अपने जरुरत के हिसाब से विकास योजना तैयार करते हैं, यहां विकास योजना जनता पर थोपा नही जाता, जबकि अन्य तीन सभाओं में विकास योजना जबरन जनता पर थोपा जाता है। अब्राहम हंस ने स्वच्छ भारत योजना अंतर्गत बने शौचालय का उदाहरण देते हुए कहा कि, जहां पीने के लिए पानी लोग 5-10 किलोमीटर दूर से ढो कर लाते हैं, वहां शौचालय बना जो ग्रामीणों के किसी काम का नही है। इस योजना में मुखिया से लेकर ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने सिर्फ लूट किया है।

74 सालों से पांचवी अनुसूची के प्रावधानों को पैरों तले रौंदा जा रहा हैः मंगल सिंह मुंडा

सभा में मौजुद खूंटी जिले से मुंडा समाज के प्रतिनिधि, मंगल सिंह मुंडा ने कहा कि, 74 सालों से पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को सिर्फ और सिर्फ रौंदा जा रहा है। मंगल सिंह मुंडा ने आंदोलन से पैदा हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, झामुमो अपने आप को आदिवासियों का हितैषी पार्टी बताती है। चुनाव से पूर्व घोषणा किया था कि, पांचवी अनुसूची के प्रावधानों को हमारी सरकार बनने के बाद लागू कर दिया जाएगा, लेकिन सत्ता में काबिज होने के बाद से ही हेमंत सरकार इस मामले में मौन है। इसलिए ये साफ हो गया है कि सरकारों पर भरोषा ना करते हुए अब आदिवासियों को एकजुट होकर एक और उलगुलान करने की जरुरत है।  

राज्यपाल को सौंपा जाएगा ज्ञापनः

सभा में मौजुद मुंडा, मानकी, डाकुआ और सैंकड़ों आदिवासियों ने एक सुर में कहा कि जब तक पांचवी अनुसूची के प्रावधानों को लागू नही किया जाता है, हम लोग पंचायत चुनाव का बहिष्कार करते रहेंगे। जल्द ही राज्यपाल, मुख्यमंत्री, चुनाव आयोग और जिलाधिकारी को अपनी मांगो से संबंधित ज्ञापन सौंपा जाएगा।

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