रिपोर्ट- वसीम अकरम…
रांचीः झारखंड के मनरेगा कर्मियों के समर्थन में पूरे देश के मनरेगा कर्मियों के द्वारा दो दिवसीय सांकेतिक हड़ताल 26 एवम 27 अगस्त को किया जाएगा। अखिल भारतीय मनरेगा कर्मी संघ द्वारा ये जानकारी दी गई है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पाण्डेय एवं धनबाद के जिला अध्यक्ष मुकेश राम के बर्खास्तगी से आक्रोशित राज्य भर के लगभग 5000 मनरेगाकर्मियों ने हड़ताल पर डटे रहने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा सामुहिक इस्तीफाः
विदित हो कि 10 अगस्त को ग्रामीण मंत्री के साथ हुए सकारात्मक वार्ता में अधिकांश मांगों पर सहमति बन गई थी, जिसके बाद राज्य भर के मनरेगा कर्मियों ने हड़ताल को स्थगित करते हुए काम पर लौटने का मन बना लिया था, लेकिन विभागीय अधिकारियों के आदेश पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं धनबाद के जिला अध्यक्ष को बदले की भावना से ग्रसित होकर, आंदोलन को कुचलने तथा हड़ताली मनरेगा कर्मियों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से, झूठा गबन का आरोप लगाकर बर्खास्तगी का आदेश निर्गत कर दिया गया, जिसके कारण मंगलवार को जूम एप्प के माध्यम से कॉन्फ्रेंस बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक बर्खास्त किए गए साथियों की सेवा वापसी नहीं होती है, तब तक राज्य भर के मनरेगाकर्मी हड़ताल पर डटे रहेंगे तथा आंदोलन को उग्र करते मुख्यमंत्री को सामूहिक इस्तीफा सौंपेंगे।
मनरेगा कमिश्नर मनमाने ढ़ंग से चलाना चाहते हैं मनरेगा योजनाः
मनरेगा कर्मियों ने मनरेगा कमिश्नर पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये पिछले पांच सालों से मनरेगा कमिश्नर के पद पर बने हुए हैं तथा मनरेगा को मनमाने ढंग से चलाना चाहते हैं। हड़ताल के पहले ही दिन से इन्होंने आंदोलन को कुचलने का काम किया है। मनरेगा कमिश्नर हमेशा मनरेगा कर्मियों का अहित करना चाहते हैं। इनके कार्यकाल में दर्जनों मनरेगा कर्मी हाइपोटेंशन ब्रेन हेमरेज तथा आत्महत्या के कारण मृत हो गए। अतः राज्य भर के मनरेगा कर्मियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि मनरेगा कमिश्नर की उपस्थिति में कोई वार्ता नहीं करेंगे और मुख्यमंत्री महोदय एवं विभागीय मंत्री से ऐसे तानाशाह अधिकारियों को हटाने की मांग करते हैं।
लिखित वार्ता के बाद ही हड़ताल होगी समाप्तः
संघ द्वारा निर्णय लिया गया है कि बर्खास्त साथियों की वापसी होने से पहले राज्य भर के कोई भी मनरेगा कर्मी हड़ताल में ही डटे रहेंगे। मंत्री द्वारा वार्ता के दौरान यह भी आश्वासन दिया गया था कि हड़ताल के दौरान जितने भी कार्रवाई हुए हैं, उसे वापस लिया जाएगा। लेकिन अधिकारियों ने मंत्री जी के बातों को हल्के में लेते हुए अनसुना कर दिया तथा प्रदेश अध्यक्ष के बर्खास्तगी का पत्र निरस्त नहीं किया। इसलिए अब इनके बातों पर भरोसा करने का कोई प्रश्न नहीं है। जब तक लिखित रूप से वार्ता नहीं हो जाता है तब तक राज्य भर के मनरेगा कर्मी हड़ताल पर डटे रहेंगे।