हजारीबाग में कोरोना संक्रमित मरीजों ने किया भूख हड़ताल, मरीज लचर व्यवस्था से हैं नाराज….

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रिपोर्ट- बिनोद सोनी…

रांचीः  झारखण्ड में कोविड अस्पतालों के अंदर अव्यवस्था की खबरे अक्सर सामने आती रही है। सरकार हर व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कहते रही है, लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर है।

ताजा मामला हैं हजारीबाग के एचएमसीएच हॉस्पिटल के कोविड वार्ड का, जहां अव्यवस्था के खिलाफ कोरोना मरीजों ने भूख हड़ताल शुरु कर सरकारी दावों की हवा निकाल दी है। गुरुवार को कोरोना मरीज जो एचएमसीएच में भर्ती हैं, उन लोगों ने विभिन्न मांगों को लेकर भूख हड़ताल किया और अस्पताल प्रबंधन पर मरीजों के साथ लापरवाही बरतने का कई गंभीर आरोप लगाया।

कई व्यक्ति 20 दिनों से कोविड वार्ड में हैं, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट नहीं बताया गयाः

आंदोलनरत् मरीजो का कहना है कि इस महामारी में एचएमसीएच हॉस्पिटल प्रबंधन ने पूरे अस्पताल को लूट का अड्डा बना कर रख दिया है। बहुत सारे मरीज ऐसे हैं जिन्हें 20 दिनों से यहां रखा गया है, लेकिन अब तक उनका टेस्ट रिपोर्ट नही बताया गया। इसके अलावे बहुत ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें 4 दिनों तक कोविड वार्ड में रख कर जांच रिपोर्ट नेगेटिव बता कर छोड़ दिया जा रहा है। इसके अलावे कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें कोरोना नहीं होने के बावजूद भी कोविड-वार्ड में भर्ती कर दिया जाता है, जब जांच रिपोर्ट आती है, तो पता चलता है कि रिपोर्ट नेगेटिव है, फिर आनन-फानन में उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है।

मरीजों का आयुष्मान भारत कार्ड बनवा कर 3500 रुपये की निकासी कर ली जा रही हैः

भूख हड़ताल पर डटे मरीजों ने ये भी बताया कि, वैसे मरीज जिनका राशन कार्ड है, उनका अस्पताल प्रबंधन द्वारा जल्दबाजी में आयुष्मान कार्ड बनवा दिया जाता है, फिर उस आयुष्मान कार्ड के माध्यम से 3500 रुपये की निकासी कर ली जाती है। यहां गंभीर बीमार मरीज और जनरल मरीज दोनों को एक साथ ही रखा जा रहा है, जिसके कारन जो मरीज ठीक हैं उनके भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।

सरकार के गाइडलाइन के अनुरूप भोजन नहीं दिया जा रहा हैः

मरीजों ने आगे बताया कि अस्पताल और कोविड वार्ड के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है, लेकिन इसे साफ करवाने में अस्पताल प्रबंधन को कोई दिलचस्पी नही है। वार्ड के बाथरूम और शौचालय में पानी भी हमेशा नही रहती है, कई बाथरुम में बल्ब भी नही है, जिसके कारन मरीजों को काफी परेशानी हो रही है, मरीज यहां जेल से भी बदतर स्थिति में जीने को बाध्य हैं।

मरीजों द्वारा कई बार इस बाबत सिविल सर्जन और कर्मचारियों से बात की गई लेकिन किसी ने भी इस अव्यवस्था पर ध्यान नही दिया। मजबूर हो कर वार्ड के सभी लोगों को भूख हड़ताल पर जाना पड़ा है।

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