फर्जी ग्रामसभा कर, किया जा रहा है पहाड़ों को गायब, आदिवासी जल-जंगल और जमीन से हो रहे हैं बेदखल…

रिपोर्ट- संजय वर्मा…

फर्जी ग्रामसभा कर जल-जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है सोगोद गांव के आदिवसियों को…  

रांचीः मामला सोगोद गांव, राजाउलातू पंचायत नामकुम प्रखंड का है, जहां ग्रामीणों ने गांव के ग्रामप्रधान संदीप सांडील पर फर्जी ग्राम सभा करवा कर खनन कंपनी जेपीएल इंटरप्राईजेज को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। यहां के ग्रामीणों ने कहा कि गांव के ग्रामसभा में 600 सदस्य हैं, लेकिन मात्र 15 ग्रामीणों के साथ बैठक कर सादे पेपर में ग्रामीणों का हस्ताक्षर ले लिया गया, और तो और इस बैठक में एक भी महिला सदस्य मौजुद नही थीं। वार्ड सदस्य और पंचायत समिति सदस्य का हस्ताक्षर कंपनी के अधिकारी ने उन दोनों को धोखे में रख कर लिया है।

पत्थर खनन में लगे बड़े वाहनों के परिचालन से ग्रामीण सड़क हो रही है जर्जर.

पंचायत समिति सदस्य, असरीता का पक्षः

पंचायत समिति सदस्य असरीता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जो ग्राम सभा हुई थी, उसमें मैं मौजुद नही थी। ग्राम प्रधान ने मात्र 15 ग्रामीणों के साथ बैठक कर कुछ दिनों बाद मुझे अपने घर पर बुलवाया और हस्ताक्षर करने के लिए कहा, जब मैनें पुछा कि किस बात पर सहमति बनी है, तो उन्होंने मुझे तालाब निर्माण की बात कही, इसलिए मैंने हस्ताक्षर किया था। बाद में मुझे जानकारी हुई कि पत्थर खनन के लिए ग्रामसभा की बैठक हुई थी।

रैयती जमीन पर कंपनी कर रही है मिट्टी भराव.

वार्ड सदस्य, पार्वती पाहन का पक्षः

वार्ड सदस्य पार्वती पाहन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मुझे ग्रामसभा की बैठक होने की कोई जानकारी नही थी। कंपनी के अधिकारी नीरज सिंह गांव के दो-तीन लोगों को लेकर मेरे घर पहुंचे थें और कहा कि गांव के सभी लोगों ने साईन किया है आप भी कर दें, ताबाल का निर्माण करवाना है। उस दौरान मुझे ये जानकारी नही थी कि पत्थर खनन के लिए लीज में गांव का जमीन लिया जा रहा है, मुझे धोखे में रख कर साईन करवाया गया था, जबकि ग्राम प्रधान की मौजुदगी में 15-20 लोगों की बैठक हुई थी, उसकी भी मुझे कोई जानकारी नही थी।

कुसूम के पेड़ पर नहीं हो रहा है लाह का कीट पालन, किसानों को लाखों का नुकसान.

सोगोद ग्राम सभा के सभी सदस्य कंपनी की लीज रद्द करने की मांग को लेकर कर रहे हैं आंदोलनः

कंपनी की लीज रद्द करने की मांग को लेकर ग्रामीण लगातार आंदोलनरत्त हैं। इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री जनसंवाद, प्रखंड विकास पदाधिकारी और उपायुक्त के यहां भी शिकायत की गई है, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नही हुई है। दिसंबर 2019 में विरोध कर रहे सभी ग्रामीणों ने नामकुम प्रखंड कार्यालय में प्रदर्शन करत हुए मांग पत्र भी सौंपा था।

पत्थर खनन और बड़े वाहनों के परिचालन ग्रामीण प्रदुषण की चपेट में.

 ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है आर्थिक नुकसानः

ग्रामीणों ने बताया की अवैध खनन की वजह से गांव के कई किसानों की उपजाउ भूमि बंजर हो रही है, खेतों में माईनिंग को दौरान हो रहे विस्फोट से बड़े-बड़े पत्थरों की बरसात होती है, जिसके कारन किसान अपने खेतों में नहीं जा रहे हैं, और तो और इनके सैंकडों कुसूम के पेड़ नष्ट हो चुके हैं। किसान कुसूम के पेड पर लाह का कीट पालन किया करते थें, जिससे प्रतिवर्ष उन्हें एक पेड़ से 50-60 हजार रुपये की कमाई होती थी, लेकिन उत्खनन शुरु होने के बाद से किसान लाह की खेती नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीण प्रदुषण के भी शिकार हो रहे हैं, कई कच्चे मकान भी विस्फोट के कारन छत्तिग्रस्त हो चुके हैं। पालतु पशुओं का चारागाह नष्ट हो चुका है। ग्रामीण बताते हैं कि खेतों में सब्जी उत्पादन कर और लाह की खेती कर ही हम सभी का जिविकोपार्जन होता था, लेकिन अब सब नष्ट हो चुका है।

पेड़ों की हो रही है अंधाधुंद कटाई

पत्थर उत्खनन कर रहे कंपनी, जेपीएल इंटरप्राईजेज के अधिकारी का पक्षः

मामले में जेपीएल इंटरप्राईजेज कंपनी के अधिकारी सुरजीत सिंह ने कंपनी का पक्ष रखते हुए कहा, कि पैसे के लिए ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। कंपनी की लीज फर्जी नही है, ग्रामसभा से पारीत होने के बाद नामकुम प्रखंड के अंचलाधिकारी ने भी कागजातों की जांच की है, जिसके बाद लीज के लिए आगे का प्रोसेस किया गया। कंपनी 8-10 लोगों को पेड़ का मुआवजा दे चुकी है और उत्खनन एरीया में तीन से चार बार पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है।

कूल मिला कर ये मामला जांच का विषय है, क्योंकि कंपनी के अधिकारी ने ग्रामसभा से पारीत होने की जो बात कही है, उसके उलट ग्रामीण कई ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं, जो ये साबित करता है कि वाकई में ग्राम सभा फर्जी हुई है। इस बात को और भी बल इसलिए भी मिलता है क्योंकि कई बार ग्राम प्रधान संदीप सांडील से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जानकारी मिली कि, अपहरणकर्ताओं से मुक्त होने के बाद से ग्राम प्रधान गांव में नहीं हैं।

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