सारंडा वन प्रक्षेत्र के पांच गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाया पुलिया और सड़क, जबकि पूर्व में विकास के नाम पर खर्च किया जा चुका है अरबों रुपये….
रिपोर्ट- ताजा खबर झारखंड ब्यूरो…
प. सिंहभूम(मनोहरपुर)- जगनाथपुर विधानसभा के मनोहरपुर प्रखण्ड अन्तर्गत सारण्डा वन प्रक्षेत्र अंतर्गत बालिबा, थोलकोबाद, कुलायबुरू, कुदलीबाद, उसरूईया एवं होलोगंउली के ग्रामीणों को उसरूईया-मरंगपोंगा एवं मरंगपोंगा-हतनाबुरू के बीच पुल नहीं रहने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खाश कर बरसात के दिनों में और भी ज्यादा परेशानी होती है। नाले में पुल छत्तिग्रस्त रहने के कारन 108 चिकित्सा वाहन भी उक्त गाँवों में नहीं जा पाती है, जिससे आकास्मिक गंभीर रुप से बीमार व्यक्ति की गांव में ही मौत भी हो जाती है। जबकि सारंडा वन प्रक्षेत्र अन्तर्गत गांवों के विकास के लिए पूर्व में 420 करोड़ की राशी सारंडा एक्शन प्लान के नाम से खर्च किया जा चुका है।
ग्रामीण बताते हैं कि बरसात में उक्त गाँव जिला/प्रखण्ड एवं पंचायत मुख्यालय से पुरी तरह कट जाता है। आजादी के 75 साल एवं अलग झारखण्ड राज्य बने 20 साल हो चुके हैं, बावजुद इन पाँच गाँवों के ग्रामीणों को मौलिक सुविधाओं से वंचित रखा गया है, जो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
कई बार ग्रामीणों द्वारा जनप्रतिनिधियों और प्रखंड से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारियों को उक्त पुल के निर्माण के लिए आवेदन दिया गया, लेकिन समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है। सरकार के उदासीनपूर्ण रवैये से नाराज ग्रामीण ये भी कहते हैं कि, सारंडा वन क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को विकास के नाम पर छला जा रहा है। सरकार/जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से माँग करते हैं कि, तत्काल सारण्डा के इन स्थानों पर पुल का निर्माण किया जाय। अन्यथा इन गांवों के ग्रामीण जिला मुख्यालय में आकर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
श्रमदान कर पुलिया निर्माण करने में आदिवासी समन्वय समिति, झारखण्ड के संयोजक सुशील बारला, ओड़ेया देवगम, बुधराम तोरकोड़, प्रधान होनहाग्गा, बेसरा देवगम, बिजराय गुड़िया का महत्वपूर्ण योगदान रहा।