रिपोर्ट- बिनोद सोनी….
रांचीः समान नागरिक संहिता(UCC) के विरोध में झारखंड के आदिवासी भी उठ खड़े हुए हैं। बुधवार को आदिवासी समन्वय समिति के नेतृत्व में विभिन्न आदिवासी संगठनों ने यूसीसी के विरोध में राजभवन के समक्ष धरना दिया।
मौके पर प्रदर्शन कर रहे आदिवासी नेताओं ने एक सूर में कहा कि, समान नागरिक संहिता(यूसीसी) आदिवासियों के हक्-अधिकार के खिलाफ है। अगर इस कानून को वापस नहीं लिया गया, तो आगे चलकर व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
आदिवासियों की अपनी परंपरा और संसकृति हैः देवकुमार धान
आदिवासी नेता देवकुमार धान ने कहा कि, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में सामान्य कानून लागू करना ही गलत है। संविधान मे पांचवी और छठी सूची के क्षेत्रों के लिए अलग व्यवस्था है। आदिवासियों की अपनी अलग परंपरा और संस्कृति है, फिर केन्द्र सरकार गैरकानूनी कार्य कैसे कर सकती है।
भाजपा, आरएसएस और विहीप है आदिवासी विरोधीः गीताश्री उरांव
मौके पर पूर्व मानव संसाधन मंत्री, झारखंड से आदिवासी नेत्री गीताश्री उरांव ने कहा भाजपा सत्ता में आने के बाद से ही आदिवासियों के विरुद्ध गैरकानूनी काम लगातार कर रही है। भाजपा, आरएसएस और विहीप आदिवासी विरोधी है। पहले आदिवासियों का धर्म कोड़ जनगणना की सूची से हटाने का काम किया इसके बाद सीएनटीएसपीटी एक्ट से छेड़छाड़ की कोशिश की, आदिवासियों की जमीन गैरकानूनी तरीके से लूट कर लैंड बैंक बनाया और अब समान नागरिक संहिता लाकर आदिवासियों को उनकी परंपरा, संस्कृति और पूर्व से चली आ रही प्रथा को खत्म करने के प्रयास में है। आदिवासी अपना हक् अधिकार लेना जानते हैं। भगवान बिरसा मुंडा ने अपने जल जंगल और जमीन को बचाने के लिए शहीद हुवें। आदिवासी यूसीसी का विरोध करते हैं। केन्द्र सरकार इसे रद्द करे अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा।
समान नागरिक संहिता(यूसीसी) की विस्तृत जानकारीः