अब तक की सभी सरकारें करते रही है संविधान का उल्लंघनः डा. मिथिलेश दांगी, सामाजिक कार्यकर्ता

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः कर्णपुरा बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बड़कागांव के डाड़ीकला मेला टांड मैदान में एकदिवसीय विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। आयोजित विचारगोष्ठी में झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता सह एच.आर.एल.एन के राज्य प्रमुख अनूप अग्रवाल मुख्य अतिथि के तौर पर मौजुद रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता मानवाधिकार कार्यकर्ता इलियास अंसारी ने किया।

गीता, रामायण, बाईबल और कुरान के साथ सभी धर्म के लोग संविधान की पुस्तक भी पढ़ेः राजू हेम्ब्रोम, अधिवक्ता

विचार गोष्ठी में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता सह एचआरएनएल के साथी राजु हेम्ब्रोम ने कहा कि, हम सभी संविधान की बात करत हैं, लेकिन भारत के संविधान में नागरीकों को क्या-क्या अधिकार दिया गया है, इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यही कारन है कि आए दिन हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है और हम मौन बैठ कर सरकार, नौकरशाहों के जुल्म का शिकार हो रहे हैं। इस लिए अब लोगों को शोषण और जुल्म से बचना है, तो अपने संवैधानिक अधिकारों को समझना होगा और ये तभी संभव है, जब हम संविधान की भी पढाई करें और अपने अधिकारों की जानकारी रखें।

नेता और नौकरशाह जनता की सेवा के लिए हैं, मालिक नहीः दीपक दास, महासचिव, जमैक

कार्यक्रम में उपस्थित बादम पंचायत के मुखिया सह झारखंड माईन्स एरिया कोर्डिनेशन कमेटी के महासचिव, दीपक दास ने बड़कागांव में पिछले कई वर्षों से कोयला खनन कार्य में लगे कंपनियों द्वारा यहां के भू-मालिको, स्थानीय निवासियों के मानवाधिकारों का हो रहे हनन पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी है। नेता और नौकरशाह जनता के नौकर होते हैं। इनका काम जनता की सेवा करना है, लेकिन ये लोग जनता के मालिक बन बैठे हैं। जनता अपने संवैधानिक अधिकारों को नही समझ पा रही है, जिसके कारन इनके अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। कोयला कंपनी शाम-दाम-दण्ड-भेद का उपयोग कर यहां के लोगों की जमीनें छीन्न कर इन्हें बेघर कर रही है, इनके जल-जंगल और जमीन को तहस नहस कर रही है। समय रहते अगर हम अपने संवैधानिक अधिकारों के बारे में नहीं जानें और इसका उपयोग नही करेंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब हम सभी को ऑक्सीजन भी पानी के बोतल की तरह बैग में ढ़ो कर चलना पड़ेगा, ना जाने कहां ऑक्सीजन के बगैर दम घुटने लगे।

खनन या औद्योगिक कंपनी हमेशा ग्रामीणों से आगे रहती है, क्योंकि वो पेपर वर्क में मजबुत रहती हैः अनूप अग्रवाल, राज्य प्रमुख, एच.आर.एल.एन.

विचार गोष्ठी में स्थानीय लोगों की समस्या और गोष्ठी के संबोधनकर्ताओं को सुनने के बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनूप कुमार अग्रवाल ने कहा कि 2004 से इस क्षेत्र में मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन हो रहा है। चाहे वो जमीन अधिग्रहण से पूर्व जन सुनवाई हो या फिर ग्राम सभा। हर जगह कंपनी ने साम-दाम-दंड-भेद का उपयोग किया है। कई बार कंपनी द्वारा संविधान के विरुद्ध जा कर किए गए कार्यों का भू-रैयत और स्थानीय प्रभावित ग्रामीणों ने विरोध किया तो उन पर कंपनी के कहने पर पारा मिलिट्री फोर्स और स्थानीय पुलिस द्वारा लाठी और गोलियां भी बरसाई गई, जिसमें कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। कंपनी हमेशा पेपर वर्क में ग्रामीणों से आगे रहती है, लेकिन ग्रामीणों को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं रहने के कारन कई बार मुंह की खानी पड़ी है। इसलिए जरुरी है कि हम अपने अधिकारों के बारे में जाने और तटस्थ एवं एकजुट होकर कंपनी के गलत कार्यों का विरोध करें। अनूप अग्रवाल ने विचारगोष्ठी में उपस्थित लोगों को भरोषा दिलाया कि शोषण और जुल्म के खिलाफ लड़ाई में एच.आर.एल.एन. उनके साथ खड़ा है।

संविधान का उल्लंघन देश की सभी सरकारें करती रही हैः मिथिलेश दांगी, सामाजिक कार्यकर्ता

बड़कागांव के स्थानीय निवासी सह देश के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, मिथिलेश दांगी ने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, धारा 40सी कहता है कि, राज्य ग्राम पंचायतों को संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उन्हें एसी शक्तियां प्रदान करेगा, जो उन्हें स्वायत शासन इकाईयों के रुप में कार्य करने के लिए आवश्यक है। लेकिन वर्तमान में मुखिया या ग्राम प्रधान गांव में क्या विकास होना है, इसका निर्णय नहीं ले पाते हैं। सरकार फंड के साथ-साथ योजना भी भेज देती है कि, इस फंड का उपयोग इस योजना में करना है, फिर स्वायतता कहां है? सरकार फंड भेजती है और कहती है कि शौचालय बनाना है। क्या सरकार ने मुखिया या ग्राम प्रधानों से ये पुछा कि, गांव में शौचालय की जरुरत है या किसी और विकास की? सरकार ने पुछना मुनासीब नही समझा, क्योंकि वो अपनी योजना गांव में थोपने का काम कर रही है, ऐसे में स्वायतता कहां चली गई? क्या सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 40सी का पालन किया? सरकार स्वयं संविधान के विरुद्ध जा कर कार्य कर रही है, या यूं कहें की सरकार ही संविधान का उल्लंघन कर रही है। संविधान कहता है कि, 6 से 14 साल तक के बच्चों को लिए निःशुल्क शिक्षा अनिवार्य है। अब सवाल ये कि जो प्राईवेट स्कूल संचालित हैं, ये संवैधानिक है या असंवैधानिक है? इस तरह हर कदम पर संविधान की धज्जियां उड़ती नजर आ रही है। इसी तरह संविधान में अनुच्छेद 14 से लेकर 35 तक मौलिक अधिकारों के बारे में चर्चा की गई है कि, हमारे अधिकार क्या है। इस देश में विकास के नाम पर जो भी कंपनियों को खनन के नाम पर लिज दी जा रही है, वो असंवैधानिक है। इस देश में जो भी सरकारें रही है, वो सरकार जनता के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के लिए काम करती नजर आई है। संविधान के अनुच्छेद 39बी में स्पष्ट लिखा है, कि देश के संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण समुदाय के पास रहेगा। लेकिन क्या नियंत्रण समुदाय के हांथ में है? बिल्कुल नहीं। इस तरह कई उदाहरण हैं, जहां संविधान का उल्लंघन सरकार ही करती नजर आ रही है। इसलिए जरुरी है कि हम हर मोर्चे जहां सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है, उसका विरोध तटस्थ हो कर करें और सरकार पर संविधान के विरुद्ध जा कर कार्य का विरोध करें। जरुरत पड़ने पर न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाने का काम करें। विचार गोष्ठी को समाजसेवी डा. मिथिलिश दांगी, हाईकोर्ट के अधिवक्ता सह एचआरएलएन के अधिवक्ता राजू हेम्ब्रोम, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता, गिरजा भुइयां, इंद्रदेव राम, झारखंड माईंस एरिया कोर्डिनेशन कमेटी के महासचिव दीपक दास, शंकर भुइंया समेत कई लोगों ने संबोधित किया।

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