मजदूर यूनियन, MSS पर प्रतिबंध का खामियाजा भुगत रहे हैं मधुवन के हजारों मजदूर, प्रबंधन ने वेतन में की 35 प्रतिशत तक कटौति….

0
6

रिपोर्ट- संजय वर्मा…

गिरिडीहः गिरिडीह जिला में स्थित पारसनाथ पहाड़ी जैन धर्मावलंबियों का मुख्य धार्मिक स्थल होने के साथ साथ एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। यहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में जैन धर्मावलंबी और पर्यटक पहुंचते हैं, जिसके कारन यहां काफी संख्या में होटल, धर्मशाला, दुकानें और ट्रैवल एजेन्सी अपना व्यवसाय संचालित कर रहे हैं, जिसमें हजारों की संख्या में स्थानीय मजदूर काम करते हैं। ये मजदूर MSS मजदूर यूनियन के सदस्य थें।

माओवादियों का फ्रंटल ऑर्गेनाईजेशन बता कर एमएसएस पर प्रतिबंध लगाया गयाः

22  Dec. 2017 को सरकार ने एमएसएस मजदूर यूनियन को माओवादियों का फ्रंटल ऑर्गेनाईजेशन बता कर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद से मधुवन के सैंकडों होटल, धर्मशाला, ट्रैवल एजेन्सी और दुकानों में काम करने वाले हजारों मजदुरों के वेतन में प्रबंधकों द्वारा 30 से 35 प्रतिशत तक की कटौति कर दी गई है।

डोली मजदूर, मोतीलाल बास्के की हत्या का न्यायीक जांच कराने की मांग के कारन प्रतिबंध लगाया गयाः बच्चा सिंह, महासचिव, एमएसएस

एमएसएस पर प्रतिबंध के सवाल पर यूनियन के महासचिव, बच्चा सिंह ने बताया कि 2017 में डोली मजदूर, मोतीलाल बास्के को पारा मिलिट्री फोर्स ने फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। चुंकि मोतीलाल बास्के एमएसएस का सदस्य था, इसलिए यूनियन ने इस मामले को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया और मोतीलाल बास्के की हत्या का न्यायीक जांच कराने की मांग सरकार से की, जिसके बाद तात्कालीन विपक्ष के बड़े-बड़े नेता, झामुमो के हेमंत सोरेन, जेवीएम के बाबूलाल मरांडी ने इस आंदोलन का साथ देते हुए तात्कालीन रघुवर सरकार का घेराव किया। यही कारन रहा कि रघुवर सरकार ने एमएसएस को माओवादियों के फ्रंटल ऑर्गेनाईजेन से जोड़ते हुए प्रतिबंध लगवाने का काम किया। बच्चा सिंह ने ये भी बताया कि एमएसएस के गठन के बाद से मधुवन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ था। यूनियन ने मजदूरों को एक सम्मान जनक वेतन दिलवाने का काम किया। इनके लिए मधुवन में ही एक छोटा अस्पताल भी खोला गया जहां मजदूरों के साथ इनके परिवार वालों का भी ईलाज होता था, इसके एवज में मजदूरों से यूनियन 10 रुपये चंदा लिया करता था, तो मजदूर यूनियन के आय का मुख्य स्त्रोत था, लेकिन सरकार ने चंदे की इसी राशि को दूसरे स्त्रोत से जमा किया गया राशि बताया, जो बिल्कूल ही गलत है।

मधुवन में ज्यादातर बड़े पूंजीपतियों का व्यवसाय है संचालितः     

सूत्र बताते हैं कि मधुवन में ज्यादातर दूसरे राज्यों के बड़े पूंजीपती व्यवसाय कर रहे हैं। पूर्व में यहां के मजदुरों से ये लोग बंधुवा मजदूर की तरह काम करवाते थें। यहां के ज्यादातर धर्मशाला और होटल गरीब आदिवासियों की जमीन और वन विभाग के जमीन पर चल रहा है। आदिवासियों को बहला-फुसला कर जमीन गलत तरीके से लिया गया है। इसके अलावा जितना जमीन लिया गया है, उससे ज्यादा पर अवैध कब्जा भी किया गया है। विश्वसनीय सुत्रों से ये भी जानकारी मिली है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेता, अमीत शाह का बेटा भी मधुवन में कल्याण निकेतन के समीप हजारों करोड़ रुपये इंवेस्ट किया है, जिससे भव्य होटल का निर्माण कार्य चल रहा है।

MSS पर प्रतिबंध के बाद वेतन 9000 से घटा कर प्रतिमाह 6 हजार रुपये कर दिया गया, जिसके बाद मजदुरों ने अनिश्चितकालीन असहयोग आन्दोलन शुरु कियाः

मधुवन में स्थित भरत कुसुम मोदी जैन भवन के 21 कर्मचारी विगत 23 सितंबर 2019 से अनिश्चितकालीन असहयोग आंदोलन चला रहे हैं। मजदूरों के इस आंदोलन को वर्तमान में कार्यरत हजारों मजदूरों का समर्थन प्राप्त है।

मजदूरों ने आंदोलन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यहां स्थाई मजदूरों को प्रतिमाह 9 हजार रुपये वेतन दिया जाता था, लेकिन एमएसएस पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिए जाने के बाद से एकाएक प्रबंधन ने बिना कारन बताए मजदुरों का वेतन 6 हजार रुपये कर दिया और 21 स्थाई मजदूरों में से 11 मजदूरों को सेवा मुक्त कर दिया। जिसके आक्रोशित होकर सभी 21 मजदूर “झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन” के बैनर तले 23 सितंबर 2019 से असहयोग आंदोलन चला रहे हैं, जो वर्तमान में भी जारी है।        

असहयोग आंदोलन कर रहे मजदूरों की मांगः

1)अकारन सेवा मुक्त किए गए 11 कर्मचारियों का सेवा मुक्त आदेश अविलंब वापस लिया जाए।

2)वर्ष 2017-18 से बकाया बोनस, सवैतनिक मेडिकल का भुगतान किया जाए।

3)दिनांक 01 अक्टूबर 2016 से बकाया महंगाई भत्ता का भुगतान किया जाये।

4)अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई किया जाये एवं वर्ष 2012 से बकाया बोनस, मेडिकल सवैतनिक का भुगतान किया जाये।

5)21 स्थाई कर्मचारियों का सितंबर माह 2019 से अब तक का बकाया वेतन का भुगतान किया जाये।

फिलहाल 21 मजदूर जो धर्मशाला में काम करते थें, ये सभी बेरोजगार हैं। इनके समक्ष परिवार के जिविकोपार्जन की समस्या मुंह बांये खड़ी है, लेकिन प्रबंधन वार्ता करने के लिए भी तैयार नही है। इस मामले को लेकर “झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन” के अध्यक्ष अजीत राय ने जिला प्रशासन से भी बात करते हुए लिखित शिकायत की है, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब तक असहयोग आंदोलन खत्म करवाने और मजदूरों को उनके हक् अधिकार दिलवाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

ये भी देखेंः

धनबाद अंचल के रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर मुनिन्द्र झा घुस लेते गिरफ्तार.

Leave A Reply

Your email address will not be published.