रिपोर्ट- बिनोद सोनी…
राँची: आदिवासी/सरना धर्म कोड़ मामले में झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर हमारी सरकार ने अपना कार्य पूरा कर दिया है, अब आगे केन्द्र सरकार को करना है। उक्त बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मीडिया से बात करते हुए कही।
15 नवंबर के बाद अब 11 नवंबर भी बना झारखंड के लिए एतिहासिक दिनः
बताते चलें कि आदिवासी/सरना धर्म कोड़ की मांग को लेकर आदिवासी समाज लगातार आवाज उठा रहे थें, इस मामले में पूर्व की रघुवर सरकार ने केन्द्र सरकार को भेजने का आश्वसन दिया था लेकिन भेजा नहीं। लेकिन हेमंत सरकार के बनते ही आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग एक बार फिर तेजी से तुल पकड़ी, जिसे लेकर 11 नवंबर 2020 को हेमंत सरकार ने झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलवाया और आदिवासी/सरना धर्मकोड़ के प्रस्ताव को सदन से पास कर केन्द्र सरकार को भेज दिया। झारखंड के लिए अब 11 नवंबर भी ऐतिहासिक दिन बन गया है।
आदिवासियों की आबादी का सही आंकलन हो सकेगाः मुख्यमंत्री
सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना धर्म कोड लागू करने के दूरगामी और अच्छे परिणाम सामने आएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के आबादी का सही आंकलन हो सकेगा। आदिवासियों को कई संवैधानिक अधिकार और केंद्रीय लाभ मिल पाएंगे।
विस्तृत चर्चा होने पर तस्वीर और अधीक साफ होतीः बाबूलाल मरांडी
इधर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने पर सदन में चर्चा नहीं होने पर विपक्ष ने अपना विरोध जताया। बीजेपी के नेता विधायक दल बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आनन-फानन में यह बिल पारित कर दिया गया है। इस बिल पर अगर विस्तृत रूप से चर्चा होती तो तस्वीर और भी अधीक साफ होकर सामने आती।
बीजेपी धर्मकोड़ पर लंबे समय से राजनीति कर रही थीः बंधु तिर्की
इधर बंधु तिर्की ने कहा कि आज झारखंड ने वह कर दिखाया है, जो लंबे समय से बीजेपी की सरकार अपना लाभ लेने के लिए ये विषय अटका कर रखा हुआ था। हेमंत सरकार ने ऐतिहासिक क्षण आदिवासियों भाइयों के लिए लिखा है।
फिलहाल झारखंड सरकार ने आदिवासी सरना धर्मकोड को अपनी मंजूरी दे कर गेंद पर केन्द्र सरकार के पाले में डाल दिया है। अब देखने वाली बात ये होगी कि केन्द्र इस मामले पर अपनी मंजुरी कब देती है।