सारंडा वन क्षेत्र के रैयतों का नाम पंजी-2 में दर्ज करने और मौलिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए सौंपा गया मांग पत्र…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः प. सिंहभूम जिला अंतर्गत मनोहरपुर अंचल के थोलकोबाद, तिरिलपोशी, नायागांव, करमपदा, दीघा, विटकिलसोय, बालिबा और करमडीह गांव को लगभग 116 साल पहले अंग्रेजों ने बसाया था, लेकिन इन गांवों के रैयतों का नाम पंजी-2 में अंकित नहीं किया गया है, जिसके कारन इन गांवों के निवासियों को आवासीय, जाति प्रमाण पत्र, एवं अन्य दस्तावेज बनाने में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

इन गांव के ग्रामीणों को दिया गया वन पट्टा, लेकिन पंजी-2 में नाम अंकित नहीः

सारंडा वन क्षेत्र में बसे गुंडीजोड़ा, राटामाटी, नुरदा, दुमागदिरी, कुलातुपू, कोएनाबेड़ा, हिनुवा, नुईयागाड़ा, जोम्बाई, टोंटोगाड़ा और रोगाड़ा गांव के ग्रामीणों को सन् 1980 से सन् 2005 के बीच वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत भू-पट्टा दिया गया था, लेकिन इनका भी नाम पंजी-2 में दर्ज नहीं किया गया है, जिसके कारन यहां के भी ग्रामीण सड़क, बिजली-पानी, शिक्षा, आवास और स्वस्थ्य जैसी मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं।

मनोहरपुर अंचल के अंचलाधिकारी को सौंपा गया मांग पत्रः

इस मुद्दे को लेकर बुधवार दिनांक 22 दिसंबर 2021 को आदिवासी समन्वय समिति ने भू-राजस्व मंत्री, झारखंड, राजस्व सचिव, झारखंड और आयुक्त कोल्हान प्रमंडल के नाम एक मांग पत्र अंचल अधिकारी, मनोहरपुर को सौंपा। मांग पत्र में ये मांग किया गया है कि, सारंडा के 8 वन ग्रामों के रैयतों एवं वनाधिकार अधिनियम-2006 के तहत दिए गए पट्टाधारकों का नाम भी पंजी-2 में दर्ज कर मौलिक सुविधाएं दिलाने के लिए साकारात्मक पहल की जाए।

प्रतिनिधिमंडल में ये रहें शामिलः

प्रतिनिधिमंडल में “आस” के संयोजक सुशील बारला, सागर बिरुवा, बिलचुस खलखो समेत और भी कई लोग शामिल थें।  

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