बुड़मू प्रखंड में दुध बहाने को बेबस हुएं दुग्ध उत्पादक, 10 रुपये लीटर भी नहीं बिक रहा है दूध…

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रिपोर्ट- अन्नू साहू…

बुड़मू प्रखंड में दुध बहाने को बेबस हुएं दुग्ध उत्पादक, 10 रुपये लीटर भी नहीं बिक रहा है दूध…

रांचीः लॉक आउट के बाद सरकार ने वादा किया था कि, जनता घरों में ही रहें उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नही होने दी जाएगी, लेकिन राजधानी रांची से महज 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बुड़मू प्रखंड के ठाकुरगांव समेत कई गांवों में दुग्ध उत्पादक किसान दूध बहाने के लिए बेबस हो चुके हैं।

मेधा डेयरी दुग्ध उत्पादकों से नही कर रही है दुध की खरीदः

दरअसल इस क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों से मेधा डेयरी दुध की खरीद करती थी, लेकिन बीते 27 मार्च से मेधा डेयरी ने दूध की खरीद बंद कर दी है, जिसके कारन किसानों के पास काफी मात्रा में दूध का स्टॉक जमा हो चुका है। गांव में 10 रुपये लीटर भी लोग दुध खरीदने के लिए तैयार नही, और इनके पास दुध को सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था भी नही है, जिसके कारन दुध खराब हो जा रहा है।

दुग्ध उत्पादकों को हो रहा है भारी नुकसानः

दुग्ध उत्पादक बताते हैं कि एक दुधारू गाय के पीछे कम से कम 200 रुपये प्रतिदिन खर्च होता है। कुछ किसान 80 से 90 लीटर तक प्रतिदिन दुध का उत्पादन कर लेते हैं, लेकिन दुध की बिक्री नही होने से इन्हें प्रतिदिन 3 से 4 हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। शनिवार को ठाकुर गांव के दर्जनों किसानों ने हजारों लीटर दुध बहा दिया। इनकी मानें तो काफी मात्रा में दुध जमा हो गया था और मेधा डेयरी की गाड़ी गांव में दुध खरीद के लिए नही पहुंची, जिसके कारन दुध बहाना पड़ गया।

सबसे ज्यादा हरी सब्जी और दुग्ध उत्पादकोंं को हो रहा है नुकसानः किसान

किसानों की मानें तो कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों को पडा है। सरकारी और प्राईवेट नौकरी वालों को वेतन मील जाएगा। लेकिन लॉक डाउन के कारन किसान ना ही अपनी हरी सब्जियों को बाजार तक पहुंचा पा रहे हैं, और ना ही दुध, उपर से खर्च अधीक है। सुधा डेयरी बिहार से दुध लाकर यहां बेच रही है, लेकिन स्थानीय दुग्ध उत्पादकों से दुध की खरीद नही हो कर रही है, जो दुग्ध उत्पादक किसानों के साथ अन्याय है। सरकार अविलंब स्थानीय किसानों से दुध की खरीद शुरु करवाए साथ ही सब्जी उत्पादक किसानों से भी हरी सब्जी खरीद की व्यवस्था सरकार करे।

सरकार को गंभीर होना होगाः

कूल मिला सरकारी अधिकारी अब तक ये सुनिश्चित नही कर पाए हैं कि लॉक डाउन की इस भयावह स्थिति में दुग्ध उत्पादक और हरी सब्जी बिक्रेताओं को किस तरह लाभ पहुंचाया जाए। ताकि इनके जिविकोपार्जन का साधन बना रहे और इनकी रोजी रोटी चलती रही। इस विषय पर गंभीरता पूर्वक सरकार को ध्यान देने की जरुरत है।

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