“ताजा खबर झारखंड” के खबर का हुआ असर, वन विभाग ने पहाड़टोली जंगल में की छापेमारी, 25 पीस साल का बोटा किया बरामद…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा

रांचीः खूंटी जिला, कर्रा प्रखंड के बंबरजा स्थित पहाड़ टोली के जंगल में लंबे समय से साल के पेड़ों की कटाई कर, साल बोटों की तस्करी की जा रही थी। ये खबर ताजा खबर झारखंड में 7 दिसंबर को काफी प्रमुखता के साथ प्रसारित किया गया था, जिसके बाद 8 दिसंबर को वन विभाग की टीम ने पहाड़टोली जंगल में छापेमारी कर, काट कर जंगल के बीचोबीच जमा कर रखे गए 25 पीस साल का बोटा बरामद किया।

छापेमारी के दौरान लकड़ी तस्कर भागने में रहे सफलः

स्थानीय ग्रामीणों ने फोन कर “ताजा खबर झारखंड” के संवाददाता को सूचना दी कि, बुधवार को जब वन विभाग की टीम पहाड़टोली के जंगल में पहुंची, तो साल वृक्षों की कटाई करने में लगे मजदूर और लकड़ी तस्कर भागने में सफल रहें। इस दौरान वन विभाग की टीम ने 25 पीस साल का बोटा जंगल से बरामद किया जो काट कर जंगल में ही रखा हुआ था।

समाचार संकलन के दौरान अलग-अलग हिस्सों में 100 से अधीक बोटा जंगल में देखा गया थाः

6 दिसंबर को जब ताजा खबर झारखंड की टीम कुछ स्थानीय ग्रामीणों के साथ पहाड़ टोली के जंगल में समाचार संकलन के लिए पहुंची थी, उस वक्त जंगल के अलग-अलग हिस्सों में 100 से अधीक साल का बोटा रखा हुआ देखा गया था, जिसकी तस्वीर भी “ताजा खबर झारखंड के पास मौजुद है। लेकिन छापेमारी के दौरान मात्र 25 पीस ही साल का बोटा बरामद किया गया, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अन्य साल के बोटों की ढुलाई 6 दिसंबर की रात में ही हो चुकी है।

आरोपी लकड़ी तस्कर, पुलिस थाना, वन विभाग का कार्यालय और मुखिया का घर 100 मीटर के दायरे के अंदरः

कर्रा प्रखंड के मुख्य चौराहे पर ही कर्रा थाना, वन विभाग का कार्यालय और मुखिया का आवास है, और थाने से मात्र कुछ ही दूरी पर ही लकड़ी तस्कर का भी आवास है। मुखिया ने ताजा खबर झारखंड के संवाददाता से फोन पर बात करते हुए इस बात से साफ ईन्कार किया था कि, उसके पंचायत में स्थित पहाड़टोली के जंगल से साल के बोटों की बड़े पैमाने पर तस्करी हो रही है। मुखिया के कथन से स्पष्ट होता है कि या तो मुखिया अपने क्षेत्र में जाती ही नही है या फिर किसी ना किसी कारनवश बड़े पैमाने में हो रहे जंगल कटाई के मामले को छुपाना चाह रही थीं। जबकि स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि, लकड़ी तस्कर का भी घर, मुखिया के घर से कुछ ही दूरी पर कर्रा थाना के पास है।

7 दिसंबर को खबर किया गया था प्रसारित.

व्हाट्सएप्प पर ताजा खबर संवाददाता द्वारा भेजे गए दर्जनों साल के बोटों की तस्वीर देख कर भी डीएफओ ने संवाददाता से बात करना मुनासिब नही समझाः

पहाड़ टोली में ताजा खबर संवाददाता द्वारा समाचार संकलन करने के बाद जंगल में काट कर रखे हुए दर्जनों साल के बोटों की तस्वीर डीएफओ खूंटी को भेजी गई थी, और कई बार उन्हें फोन भी किया गया, लेकिन डीएफओ ने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं कर्रा प्रखंड के मुख्य चौराहे पर जिस वन अधिकारी का नंबर अंकित है वो नंबर लगातार स्वीच ऑफ पाया गया। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति उक्त वन अधिकारी को सूचना देना चाहे, तो वह नहीं दे सकता है। अब सवाल ये कि, आखिर वन विभाग इतना लापरवाह क्यों? जंगल की देखरेख करने वाला वनपाल क्या निगरानी कर रहा है? क्या इस तरह के अधिकारी झारखंड के जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा कर सकते हैं?

 

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