मनरेगा(कांके प्रखंड)- सिंचाई कूप निर्माण योजना में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगोत्री, कई लाभुक जमीन गिरवी रख बनवा रहे हैं सिंचाई कूप, तो कईयों का कूप बारिश में धंसा…

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रिपोर्ट- संजय वर्मा, वसीम अकरम…

रांची(कांके प्रखंड)- झारखंड में पंचायत चुनाव होने से पूर्व भ्रष्टाचार सिर्फ प्रखंड स्तर तक ही सिमटा हुआ था, लेकिन पंचायत चुनाव होने के बाद भ्रष्टाचार की जद में प्रखंड के अन्तर्गत आने वाले सभी पंचायत आ चुकी है। यूं कहें कि पंचायत के अन्तर्गत आने वाले हर घर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। राशन कार्ड, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा यानि पंचायत के अंदर जितने भी विकास कार्य लागू किए जा रहे हैं, सभी में भ्रष्टाचार हावी है।

भ्रष्टाचार का ताजा मामला दिखाई पड़ रहा है मनरेगा योजना में। रांची जिला के कांके प्रखंड में इन दिनों मनरेगा योजना के तहत जितने भी विकास कार्य चल रही है, सभी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हावी है। इस प्रखंड में जिला से फंड आने के बाद से ही प्रखंड कार्यालय से लेकर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने गठजोड़ कर फंड का बंदरबाट करना शुरु कर दिया। लाभुकों का कुंआं अभी खुदा भी नही, आपूर्तिकर्ता द्वारा लाभुकों को कूप निर्माण में लगने वाले सामाग्री की आपूर्ति की भी नही गई, लेकिन बिना पड़ताल के आपूर्तिकर्ता को लाखों-लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। अब सवाल ये खड़ा होता है कि बिना सामाग्री देखे और बिना सामाग्री के गुणवत्ता की जांच पड़ताल किए आपूर्तिकर्ता को भुगतान करने में प्रखंड के अधिकारी और ग्राम पंचायत के सदस्यों ने जल्दबाजी क्यों की?

दूसरा ये कि आपूर्तिकर्ताओं ने प्रखंड कार्यालय के इंजीनियर और ग्राम पंचायत के मुखिया और रोजगार सेवक के हस्ताक्षर से सामाग्री के एवज में भुगतान तो प्राप्त कर लिया लेकिन समय पर लाभुकों को सामाग्री की आपूर्ति क्यों नहीं की?

ताजा खबर झारखंड की टीम ने दिनांक 17 जून 2021 को कांके प्रखंड के कई पंचायतों का दौरा कर लाभुकों से बात की और निर्माणाधीन सिंचाई कूप का नीरिक्षण किया, जहां समय पर लाभुकों को सामाग्री उपलब्ध नहीं होने के कारन काफी नुकशान उठाना पड़ा है। कई लाभुक ऐसे भी मिले, जिन्हें कूप निर्माण के लिए अपना खेत, पशु और अन्य किमती सामान तक बेचना पड़ गया।   

आपूर्तिकर्ता को फरवरी 2021 में 1,55,516 रुपये का किया गया भुगतान, लेकिन समय पर सामाग्री नहीं मिलने के कारन कूप धंस गयाः सावधानी कुजूर, लाभुक

कांके प्रखंड सुकुरहुट्टु पंचायत के लाभुक सावधानी कुजूर, जिनका योजना कोड़ 3401007031/आईएफ/7080901523460 है, जो वर्ष 2020-21 की योजना है। सावधानी कुजूर ने फरवरी माह से ही कूप की खुदाई शुरु करवाई जो अप्रैल माह तक 32 फीट तक खुदाई हो चुकी थी, लेकिन इस बीच आपूर्तिकर्ता द्वारा कूप पाटने के लिए सामाग्री नहीं गिराया गया, जबकि एमआईएस रिकार्ड के अनुशार आपूर्तिकर्ता को 1लाख 55 हजार 516 रुपये का भुगतान फरवरी माह में ही किया जा चुका था। मेटेरियल समय पर नही मिलने के कारन सावधानी कुजूर का कूप धंस गया। आपूर्तिकर्ता ने कूप धंसने के बाद एक ट्रैक्टर घटिया क्वालिटी का बोल्डर,एक ट्रैक्टर चिप्स, एक ट्रक ईंटा और 16 बोरा सिमेंट उपलब्ध करवाया, लेकिन अब ये सामान कोई काम का नहीं, क्योंकि बरसात में खूप और भी ज्यादा धंसने लगा है और पानी से लबालब है। स्थिति ये है कि धंस रहे कूप के कारन सावधानी कुजूर के घर को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। इंजीनियर जयंत कुमार द्वारा कार्य स्थल पर जो योजना बोर्ड लगाया गया है, उस पर ना ही कार्य शुरु करने की तिथी लिखी हुए है और ना ही समाप्ति की, इसके अलावा दूसरे पंचायत की मुखिया का नाम और फोन नम्बर भी योजना बोर्ड में लिखवाया गया है। सावधानी कुजूर की मानें तो विभाग से समय पर पैसा नहीं मिलने और मेटेरियल उपलब्ध नही किए जाने के कारन मुझे 2 महिला स्वयं सहायता समुह से 50 हजार रुपये कर्ज लेना पड़ा जिसका ब्याज मुझे हर माह 5 प्रतिशत भरना पड़ रहा है। मई महिने में मुझे 25 हजार रुपये कैस इंजीनियर जयंत कुमार के द्वारा दिया गया, लेकिन हस्ताक्षर 42 हजार के वौचर पर करवाया गया।

पूर्तिकर्ता को फरवरी 2021 में किया गया 1,11,500 का भुगतान, और कूप खुदाई के एवज में 40,456 रुपये का आवंटन, लेकिन कूप खुदाई का काम शुरु किया गया जून 2021 मेः

वहीं सुकुरहुट्टू पंचायत(उत्तरी) के ही लाभुक सोना लाल महतो जिनका योजना कोड़ 3401007031/आईएफ/7080901510060 है, जो 2020-21 की योजना है। यहां कूप खुदाई कार्य शुरु होने से पहले ही आपूर्तिकर्ता को 1 लाख 11 हजार 500 रुपये का भुगतान फरवरी 2021 में ही कर दिया गया और मजदूरी भुगतान 40 हजार 446 रुपये एमआईएस रिपोर्ट में दिखाया जा रहा। लेकिन जब दिनांक 17 जून 2021 को “ताजा खबर झारखंड” की टीम ने स्थल निरीक्षण किया, तब वहां मात्र 4 फीट कूप खोदा हुआ देखा। स्थानीय जांच समिति के सदस्यों ने इस भ्रष्टाचार की पुरी जानकारी दी, कि कैसे मामला उजागर होने के बाद इंनजीनियर ने बाहर से मजदूर लाकर रातों रात चार फीट गड्डा खुदवा दिया।

आपूर्तिकर्ता को हुआ 159,000 का भुगतान, लेकिन सामाग्री दिया मात्र दो ट्रक इंट, जमीन बेच कर बना रहे हैं कूपः धुनधुन महतो, लाभुक

अब बात करते हैं कांके प्रखंड सुकुरहुट्टु पंचायत(दक्षिणी) के लाभुक धुनधुन महतो की, जिनका योजना कोड़ 3401007032/आईएफ/7080901528605 है और ये भी 2020-21 की योजना है। यहां आपूर्तिकर्ता को फरवरी माह में ही 1 लाख 59 हजार रुपये का भुगतान किया गया और मजदूरी भुगतान 74332 रुपये एमआईएस रिपोर्ट में दर्शाया गया है। लेकिन आपूर्तिकर्ता द्वारा मात्र दो ट्रक ईंट ही लाभुक धुनधुन महतो को उपलब्ध करवाया गया। लाभुक धुनधुन महतो के बेटे ने पुरे मामले की जानकारी देते हुए कहा कि जमीन बेच कर 150,000/- मिला, उसी रुपये से हमलोगों ने कूप पाटने का काम शुरु किया जो लगभग 80 प्रतिशत पुरा हो चुका है। इससे पहले इंजीनियर जयंत ने मुझ से दो ब्लैंक वौचर पर हस्ताक्षर करवा लिया हैं, जिसके बाद मेरे अकाउंट में 50 हजार डाला गया और कैस 18 हजार दिया गया। जबकि मनरेगा में जो मानदंड निर्धारित है, उसके अनुशार लाभुक को सामाग्री का कैस भुगतान नही करना है। वर्तमान में कुछ और ब्लैंक बाउचर पर साईन करने के लिए इंजीनियर जयंत लगातार उन पर दबाव डाल रहे हैं। ऐसा नही करने पर उन्हें झुठे मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दे रहे हैं।

रोजगार सेवक ने मैटेरियल के एवज में 43 हजार नगद दिया और 6 हजार घुस ले लियाः मादी उरांव, लाभुक

कांके प्रखंड ईचापीढ़ी पंचायत के लाभुक मादी उरांव को 2018 में ही कूप मिला था। मादी उरांव लगभग 32 फीट की खुदाई कर 2021 में अपना कूप निर्माण पुरा कर चुके हैं। लाभुक को मैटेरियल के लिए अब तक मात्र 43 हजार का भुगतान रोजगार सेवक के द्वारा किया गया है। मादी उरांव का कूप दो बार पूर्व में धंस चुका है। मादी उरांव ने अपना खेत बंधक रख कर 1 लाख 30 हजार रुपया लगाया है, तब जाकर इनका कूप निर्माण कार्य पुरा हुआ। मादी उरांव के बेटे ने बताया कि पंचायत सेवक द्वारा 43 हजार नगद दिया गया था, लेकिन 6 हजार रुपया पंचायत सेवक वापस घुस ले लिया। लगभग एक सप्ताह पूर्व पंचायत सेवक उनके घर आया और उनके पिताजी मादी उपांव से ब्लैंक पेपर पर अंगुठे का निशान लेकर चला गया। पुछने पर कुछ भी नही बताया। वर्तमान में बंधक रखे हुए खेत को छुड़ाने की चिंता परिवार वालों को सता रही है।

जमीन गिरवी रखना पड़ा, बकरी बेच दिएं महिला समिति से कर्ज लेना पड़ा, फिर भी कूप पुरा नही हुआः लाभुक

वहीं कांके प्रखंड, पिठोरिया पंचायत के लाभुक मुमताजुल अंसारी की मानें तो मेरी मति मारी गई थी, जो मैंने सिंचाई कूप के लिए आवेदन दिया था। अगर मुझे पहले पता होता की मनरेगा योजना से कूप लेकर मेरा पुरा परिवार सड़क में आ जाएग, तो हम कभी भी सिंचाई कूप के लिए आवेदन नही देते। कर्ज भरने की चिंता से मेरी तबियत खराब हो गई है। दरअसल मुमताजुल अंसारी के कूप निर्माण के नाम पर आपूर्तिकर्ता द्वारा 77 हजार 908 रुपये की निकासी पहले ही कर ली गई है, लेकिन मुमताजुल को मात्र 1 टर्बो ईंट और तीन ट्रैक्टर अनसाईज पत्थर आपूर्तिकर्ता द्वारा दिया गया, जबकि कूप पाटने के लिए मुमताजुल ने अपने परिजन, महिला स्वयं सहायता समुह से कर्ज लेकर और अपनी बकरी बेच कर अब तक 1,30,000 रुपये घर से कूप निर्माण में लगा चुके हैं। मुमताजुल ने ये भी बताया कि समय पर मैटेरियल मिला होता तो अब तक मेरा कूप बन कर तैयार हो जाता, और कूप धंसने से बच जाता।

कांके प्रखंड में दर्जन भर से अधीक अन्य लाभुकों का सिंचाई कूप बन रहा है, जो आपूर्तिकर्ता द्वारा समय पर मैटेरियल आपूर्ति नहीं किए जाने के कारन बांधा नहीं जा सका और भारी बारिश के कारन धंस रहा है। कई जगहों पर घटिया से भी घटिया निर्माण सामाग्री की आपूर्ति की गई है। सबसे बड़ी बात ये है कि ज्यादातर जगहों पर आपूर्तिकर्ता द्वारा रुपये की निकासी कई माह पूर्व ही कर ली गई है, यहां तक की लाभुकों से ब्लैंक वाउचर पर हस्ताक्षर भी करवाया गया है। दूसरी ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि मनरेगा योजना के कूप सिंचाई के निर्माण कार्य ग्राम पंचायत के सदस्यों की निगरानी में होना है। उनके सहमति के बाद ही आपूर्तिकर्ता को भुगतान किया जाना है, लेकिन कांके प्रखंड के किसी भी पंचायत के मुखिया, रोजगार सेवक या इंजीनियर ने कार्य स्थल पर जाकर ना ही आपूर्तिकर्ता द्वारा आपूर्ति किए जा रहे सामाग्रियों की जांच की और ना ही लाभुकों से बातचीत की। सिर्फ अपने फायदे के लिए बिना सामाग्री दिए ही आपूर्तिकर्ता को भुगतान करते रहें, जिसका खामियाजा लाभुक भुगत रहे हैं।

पंचायत सेविका का सफेद झुठः

पंचायत सेविका रितु केरकेट्टा से हमारी टीम ने फोन पर बात कर पुरे वस्तु स्थिति के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की। पंचायत सेविका ने बताया कि सुकुरहुट्टु उत्तरी भाग के लाभुक सोनालाल महतो का कूप निर्माण कार्य मैंने पुरा करवा लिया है, लेकिन धरातल पर जब इसकी जांच की गई तो कूप अभी मात्र तीन से चार फीट ही खोदा हुआ पाया गया। वर्तमान में यहां काम बंद है। जबकि कूप खुदाई के एवज में पूर्व में लेबर भुगतान के मद में 40446 रुपये की निकासी हो चुकी है।

बीडीओ कर रहे हैं डिजिटल हस्ताक्षर का गलत उपयोगः मुखिया( सुकुरहुट्टु पंचायत उत्तरी और दक्षिणी भाग)

इस पूरे मुद्दे पर ताजा खबर झारखंड की टीम ने इंजीनियर जयंत कुमार, मुखिया और रोजगार सेवक से भी बात की। लेकिन इन लोगों ने हमारे किसी भी सवाल का सही तरीके से जवाब नहीं दिया बल्कि एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते रहें। सुकुरहुट्टु पंचायत(उत्तर भाग) की मुखिया बीना देवी और दक्षिणी भाग की मुखिया रिना देवी ने यहां तक कहा कि, बीडीओ हमारे डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग हमलोगों की जानकारी के बगैर कहीं भी कर दे रहे हैं।

आपूर्तिकर्ताओं को किए गए भुगतान के बारे में मुझे जानकारी नहीः जयंत, अभियंता, कांके प्रखंड कार्यालय

आपूर्तिकर्ता को सामाग्री आपूर्ति करने से पूर्व ही लाखों का भुगतान करने के संबंध में पुछे गए सवाल पर अभियंता जयंत ने कहा कि, इस बारे में हम ज्यादा कुछ नही बता सकते हैं, जबकि आपूर्तिकर्ता को दिए जाने वाले चेक पर अभियंता का भी हस्ताक्षर होता है। इसके अलावे कार्य की देख रेख में भी इनकी मौजुदगी रहती है।   

कांके प्रखंड में मनरेगा से जुड़े अभियंता, मुखिया और रोजगार सेवक से फोन पर हुई बातचीत…

जांच टीम की जांच पर बिरसा मुंडा भ्रष्टाचार निरोधक संगठन के सदस्यों ने उठाया सवालः

जानकारी देते चलें कि, कांके प्रखंड में काम कर रहे बिरसा मुंडा भ्रष्टाचार निरोधक संगठन के सदस्यों ने कांके प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत चल रहे सिंचाई कूप निर्माण योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर प्रखंड स्तर से लेकर जिले के आलाधिकारियों को पत्र लिखा था, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरु की गई। लेकिन जांच टीम जिस तरह से जांच कर रही है, उस पर संगठन के सदस्यों ने सवाल खड़ा किया है। संगठन के अध्यक्ष, सरफराज अंसारी ने बताया कि लाभुक से रोजगार सेवक द्वारा घुस लेना कोई बड़ी बात नही है, ऐसा जांच अधिकारी मानते हैं। संगठन ने जिन जिन मुद्दों को उठाया है, उस पर जांच नहीं की जा रही है। कूल मिला कर मामले की लिपापोती में जांच टीम लगी हुई है। सबसे बड़ी बात ये है कि जांच टीम के साथ आरोपी (बीडीओ, इंजीनियर, आपूर्तिकर्ता, रोजगार सेवक, मुखिया) भी साथ-साथ जांच में शामिल हो रहे हैं, जिससे जांच प्रभावित हो रही है। जांच टीम में शिकायत कर्ताओं को शामिल नही किया जा रहा है।

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