सीआरसी रांची द्वारा आयोजित वेबिनार में नैदानिक मनोवैज्ञानिक, श्रीमती अनुराधा वत्स ने आत्महत्या के विरुद्ध युवाओं को किया जागरुक….

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष 703,000 लोक आत्महत्या कर अपनी जान गंवाते हैं। अनुमान ये भी लगाया जाते है कि प्रतिदिन 20 लोग आत्महत्या करने की कोशिश में भी रहते हैं। आत्महत्या करने वाले ज्यादातर वैसे लोग होते हैं, जो अपने जीवन में अत्यधीक दुःखों को सहन करते हुए जीवन व्यतित कर रहे थें। दूसरे वे लोग आत्महत्या करते हैं, जिन्हें कहीं से मदद या उनके आशानुकूल मदद का नहीं मिलना।

विश्व भर में चिंता का विषयः

वर्तमान में आत्महत्या सार्वजनिक रुप से चिंता क विषय है, क्योंकि प्रत्येक आत्महत्या का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में जरुरत हैं समाज के बीच जाकर जागरूकता बढ़ाया जाए, ताकि आत्महत्या करने की घटनाओं पर कमी लाई जा सके। आत्महत्या की घटना संपूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय है।

सन् 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के साथ मिल कर इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाईड प्रिवेंशन संगठन द्वारा विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस(World sucide prevention day) मनाने का निर्णय लिया गया, जो प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को मनाया जाता है। आत्महत्या रोकथाम दिवस(World sucide prevention day) मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्माहत्या की घटना पर सामाजिक संगठनों, सरकार और जनता को जागरुक करना है।

इसी कड़ी में 10 सितंबर 2022 को सीआरसी रांची ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के दिन, “स्कूल समुदाय में आत्महत्या रोकथाम प्रथाओं में सुधार” पर एक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया। इस वेबिनार में सीआरसी रांची के निदेशक, जितेन्द्र यादव ने सत्र का उद्घाटन किया और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। नैदानिक मनोवैज्ञानिक, श्रीमती अनुराधा वत्स, इस वेबिनार की मुख्य वक्ता थीं। श्रीमती अनुराधा वत्स ने वेबिनार में प्रतिभागियों को आत्महत्या के प्रमुख कारण क्या हैं? युवा पीढ़ी आत्महत्या का प्रयास क्यों करती है? इस स्थिति से कैसे निपटा जाए? आत्महत्या की घटना रोकने में माता-पिता और समाज की भूमिका क्या होनी चाहिए और समाज की जिम्मेदारियां क्या-क्या हैं, इस बारे में प्रतिभागियों को बताया।

आत्महत्या करने के कई कारन हो सकते हैंः

वेबिनार में हाई स्कूल के बच्चों को फोकस हुए डा. अनुराधा वत्स ने युवाओं में आत्महत्या की रोकथाम के लिए योजना और प्रोग्रामिंग पर विशेष रुप से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि युवाओं में आत्महत्या के कई कारन देखें गएं हैं, जिनमें छात्रों के जीवन में तनाव, तलाकशुदा या अलग हो चुके माता-पिता के साथ संबंध संतुलित करना, घर में परिवार के बीच रिश्ते में आने वाली दिक्कतें, युवाओं के शरीर/हार्मोन में बदलाव, परिवार की गतिशीलता बदलना, स्कूल का परिवर्तन, कैरियर का चुनाव, शिक्षा के दौरान महाविद्यालय/विश्वविद्यालय का चयन करना, डेटिंग या रिश्ता टूटना, स्कूल में कठिनाइयों का सामना और ऐसे वातावरण का सामना, जो शराब और सेक्स के दौरान प्रोत्साहित कर सकता है।

परिवार के सदस्य और समाज की भूमिकाः

डा. अनुराधा वत्स ने रोकथाम पर बताया कि परिवार के सदस्य और समाज की जिम्मेदारी एसे लोगों के प्रति काफी सहायक साबित हो सकती है। हमें ऐसे युवाओं पर ध्यान देना चाहिए जो एकाकी पसंद कर रहा हो, लोगों से कटा-कटा रहा हो, परिवार के सदस्यो या अपने मित्रों से दुरी बना रहा हो। बात-बात पर गुस्सा हो जाना, ये सभी मानसिक तनाव के लक्षण है, जिसे समय रहते पहचान कर हम युवाओं के परेशानियों, तनाव के कारन को जान सकते हैं और उन्हें उचित और सही सलाह देकर समाज के मुख्यधारा में जोड़ सकते हैं।

कार्यक्रम का समापन पुनर्वास अधिकारी, अविनाश मोहंती के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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