मंत्री रामेशवर उरांव के खिलाफ किसानों का आक्रोश, भाजपा ने दिया किसानों का साथ…

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रिपोर्ट- वसीम अकरम…

राँचीः राज्य में धान अधिप्राप्ति के लिए कई धान क्रय केंद्र तो खोल दिया गया है, लेकिन धान की खरीददारी नही की जा रही है। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री, डॉ रामेश्वर उरांव ने धान खरीद पर फिलहाल रोक लगा दी है। मंत्री की माने तो धान की कटाई अभी तुरंत हुई है, जिससे धान अभी गिला है। गिला धान खरीद करने पर राजकीय कोष को हानि पहुंचेगा।  मंत्री जी के इस फरमान के बाद राज्य के किसानों में काफी आक्रोश है।

कांके प्रखं, पिठोरिया के रहने वाले उत्कृष्ट किसान नकुल महतो अपने घर पर धान की बोरियां दिखाते हुए कहते हैं की सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है, लेकिन सरकार किसानों का शोषण करते हुए गांव से लगभग 20 किलोमीटर दूर पर धान क्रय केंद्र खोलती है, जहां किसान को धान ले जाने में ही लगभग 2 हजार रुपये खर्च हो जाएंगे। वही मंत्री महोदय गिला धान का हवाला देते हुए धान खरीद पर भी रोक लगा दी है। इस वर्ष 20.5 रुपये प्रति किलो की दर से धान खरीद की बात कही गई। हम लोगों ने रजिस्ट्रेशन भी करवाया, लेकिन जब धान लेकर क्रय केंद्रों पर पहुंचा, तो सरकार द्वारा रोक लगाने का हवाला देकर धान नहीं लिया गया। मंत्री महोदय किसानों का धान अभी गिला होने की बात कर रहे हैं, जबकि मेरे घर में लगभग 1 महीने से धान पड़ा हुआ है। आप स्वयं देख सकते हैं कि धान सुखा है या गिला।

वहीं पिठोरिया के ही उत्कृष्ट किसान, मधु साहू ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कोई भी सरकार किसानों की हितैषी नहीं है। सिर्फ चुनाव में किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती है। किसान खेतों पर किन-किन मुश्किलों का सामना करते हुवे अनाज उगाते हैं, ये किसान को ही पता है। लेकिन कुर्सी पर बैठ कर लोग किसानों के भाग्य का फैसला ले रहे हैं।

पीरुटोला निवासी किसान गुफरान अंसारी बताते हैं कि लगभग 8 महीने से कोरोना महामारी से लोगों का आर्थिक स्थिति बहुत बुरा हो चुका है।  इस बार मानसून ने साथ दिया तो धान की उपज बहुत अच्छी हुई, उससे हमें काफी उम्मीदें जगी। हम साल भर खाने का धान रख कर लगभग 25 क्विंटल धान बेच देते हैं जिससे घर के अन्य जरूरतों को पूरा करते हैं। लेकिन सरकार के द्वारा धान खरीद पर रोक लगा देने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बिचौलियों को 10-11 रुपये प्रति किलो की दर से मजबूरी में धान बेच कर अपने अन्य जरुरतों को पूरा करना पड़ रहा है।

खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव के इस फरमान के बाद विपक्ष भी सरकार पर निशाना साधते हुवे अपनी राजनीति तेज़ कर दी है। प्रदेश बीजेपी ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, कांग्रेस अपने आप को किसानों की हितैषी बताती है और मोदी सरकार की नई किसान कानून बिल का विरोध भी कर रही है और उसे काला कानून बता रही है, लेकिन दूसरी तरफ राज्य में कांग्रेस के ही मंत्री किसानों के विरोध में दिखाई पड़ रहे हैं। धान अधिप्राप्ति का तुगलकी फरमान जारी कर बिचौलियों को बढ़ावा दे रहे हैं। ये कांग्रेस का असली चेहरा है।

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