हसदेव अरण्य बचाओ अभियान के समर्थन में झारखंड के खूंटी और तोरपा में भी किया गया प्रदर्शन…

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रिपोर्ट संजय वर्मा…

रांचीः छत्तीसगड़ में विस्थापन और वनों की कटाई के खिलाफ एक दशक से चले आ रहे विरोध के बावजूद कांग्रेस सरकार ने हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई और खनन की मंजूरी अडानी समूह को दे दी है। इसके विरोध में कई दशक से हसदेव अरण्य के आदिवासी संघर्ष कर रहे हैं। आदिवासियों द्वारा किए जा रहे विरोध के कारन वहां आदिवासियों का शोषण और दमन भी जारी है। वनों की कटाई के खिलाफ संघर्ष कर रहे आदिवासियों पर अडानी समूह के कर्मचारी अनुपम दत्ता की शिकायत पर 15 अप्रैल को मुकदमा दर्ज किया गया है। आदिवासियों पर किए जा रहे दमन के विरोध में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर 4 मई को पूरे भारत में प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में झारखंड के कई जिलों के साथ-साथ खूंटी जिला के मुरहू और तोरपा प्रखंड में भी प्रदर्शन किया।

कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार विकास के नाम पर आदिवासियों का विनाश कर रही हैः

मुरहू प्रखंड में दर्जनों की संख्या में उपस्थित छात्र और सामाजिक संगठन के लोगों ने कहा कि, केन्द्र और राज्य सरकार कॉर्पोरेट घरानों के हांथों बीक चुकी है। सरकार विकास के नाम पर विनाश कर रही है। आदिवासियों के लिए जंगल ना सिर्फ उनका निवास स्थान है, बल्कि उनके जिविकोपार्जन का भी सहारा है। हसदेव अरण्य की तरह देश के खनीज संपदा से परिपूर्ण अन्य राज्यों में भी आदिवासियों को विस्थापित कर कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। जिस तरह हसदेव में पेड़ों की कटाई और खनन को मंजूरी दी गई है, उससे वहां के लोग ना सिर्फ विस्थापित होंगे, बल्कि उनके जीविकोर्पार्जन का साधन भी समाप्त हो जाएगा। साथ ही वहां के वन्य जीव और पर्यावरण को भी काफी नुकशान पहुंचेगा।
जानकारी देते चलें कि “हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति” ने विज्ञप्ति जारी कर देशभर के पर्यावरण कार्यकर्ता और आम लोगों से इस अभियान में सहयोग करी की अपील की है।

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