बेरोजगार नाई ने साबित कर दिखाया, पढ़ा लिखा इंसान भूखा मर सकता है, लेकिन हुनरमंद कभी नहीं….

0
2

रिपोर्ट- अन्नू साहू…

रांचीः कोरोना महामारी के दौर में बेरोजगारी का दंश अगर सबसे ज्याद कोई झेल रहा है, तो वो है नाई और सैलून के कारोबार से जुडे लोग। सरकार के आदेश के बाद, लगभग 6 माह से इस कारोबार से जुडे लोग गंभीर आर्थीक समस्या झेल रहे हैं। सैलून के मालिक अपने सैलून का भाड़ा और कर्मचारियों को बेतन नही दे पा रहे हैं। वहीं छोटे जगहों पर नाई का काम कर रहे लोगों के पास कोरोना के भय से ग्राहक नही पहुंच रहे हैं। कूल मिला कर इनके समक्ष दाने के भी लाले पड़ गए हैं। दूसरी तरफ सरकार की ओर से भी इस व्यवसाय से जुडे लोगों पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। जबकि राज्य भर में इस पेशे से जुडे लोग अपनी मांगों से सरकार को अवगत भी करवा चुके हैं।

पूरी तरह निराशा के बीच नाई का काम करने वाले कुछ लोग रोजी रोटी के लिए विकल्प की तलाश में है। ऐसे ही लोगों में से एक हैं रांची जिला, बुडमू प्रखंड स्थित ठाकुरगांव में नाई की गुमटी चलाने वाले प्रकाश ठाकुर, जो किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण इसी गुमटी से किया करते थें। लेकिन कोरोना महामारी और सरकार के आदेश के बाद से पूरी तरह बेरोजगार हो चुके हैं। स्थिति ये है कि प्रकाश अपने परिवार का भरण-पोषण लोगों से कर्ज लेकर कर, कर रहे हैं।

हुनर कभी बेकार नही जातीः प्रकाश ठाकुर

प्रकाश ठाकुर वर्तमान में पपीते की गाछी तैयार करने में लगे हुए हैं। इन्होंने अपने अथक परिश्रम से कर्ज लेकर कूल 5000 पपीते की गाछी तैयार की है। प्रकाश ने बताया कि नाई का काम शुरु करने से 2 साल पहले इन्होंने रामकृष्ण मिशन से फलदार पौधों की गाछी तैयार करने की ट्रैनिंग ली थी और ट्रैनिंग लेने के बाद गाछी तैयार कर बिक्री करने का भी काम कर चुके हैं। इसलिए अपने उस हुनर को एक बार फिर प्रकाश न गति देने का काम किया और निराशा के इस दौर में अपने नाई के रोजगार को बंद कर पपीते की गाछी तैयार करने में पूरी तरह लगे हुए हैं।

जेएसएलपीएस से पपीते की गाछी का ऑर्डर भी मील चुका हैः प्रकाश ठाकुर

प्रकाश ठाकुर आगे बताते हैं कि 30 हजार रुपये का पूंजी लगा कर मैंने गाछी तैयार किया है। बिक्री के लिए मैंने उन लोगों से संपर्क किया, जो लोग पहले भी मेरे से गाछी की खरीद कर चुके थें। मेरे द्वारा तैयार गाछी से उन लोगों को अच्छी आमदनी हुई थी, इसलिए वे लोग फिर से मुझे से गाछी लेने के लिए तैयार हैं। एक पपीते की गाछी मैं हॉलसेल रेट में 25 रुपये प्रति पीस बेच रहा हूं। इससे मुझे लगभग 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाएगी। सबसे ज्यादा आर्डर मुझे जेएसएलपीएस से मिला, जो मुझ से खरीद कर, महिला स्वयं सहायता समुहों के बीच वितरित करेगा। फिलहाल प्रकाश ठाकुर द्वारा तैयार पपीते के गाछी की बिक्री शुरु हो चुकी है और अब प्रकाश के चेहरे में खुशी भी झलक रही है। प्रकाश ने अपने हुनर का उचित समय पर सही उपयोग किया और निराशा के दौर से बाहर निकलने में सफल हुएं। शायद इसलिए कहा गया है कि पढ़ा लिखा ईन्सान भूखा मर सकता है, लेकिन हुनरमंद कभी भी भूखा नही मर सकता….

Leave A Reply

Your email address will not be published.