कोरोना काल में कुम्हारों को हुए नुकशान की भरपाई दीपावली में हो जाएगी, बशर्ते मौसम का मिले साथः सुरेश प्रजापति

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः राजधानी रांची मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर सिल्ली प्रखंड में स्थित है बंता गांव, यूं तो कुम्हारों का ये गांव जंगल-पहाड़ों के बीच स्थित है, लेकिन इस गांव की खाशियत ये है कि यहां झारखंड के अन्य जिलों के साथ-साथ दूसरे राज्यों के भी व्यापारी अक्टूबर-नवंबर माह में भगवान गणेश-लक्ष्मी की मुर्तियां लेने काफी संख्या में आते हैं। यूं कहें कि यहां निर्माण होने वाले भगवान लक्ष्मी-गणेश की खूबसुरत मुर्तियां इन व्यापारियों को यहां आने के लिए मजबूर कर देती है।

गणेश-लक्ष्मी की मुर्तियों से हैं बंता गांव की पहचानः

सिल्ली प्रखंड स्थित बंगा गांव की आबादी लगभग 5 हजार से भी अधीक है, जिसमें कुम्हारों के अलावा कई जाति के लोग है, लेकिन व्यापारियों का आगमण इस गांव में कुम्हार जाति के लगभग 40 परिवारों के कारन होता है। ये 40 कुम्हार परिवार सालों भर भगवान लक्ष्मी-गणेश की मुर्तियां और मिट्टी के अन्य सजावटी सामान बनाते हैं। इनके द्वारा बनाए गए मुर्ति और सजावटी सामानों की मांग ना सिर्फ झारखंड बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी काफी अधीक है।

पार्ट टू की छात्रा मुर्ति निर्माण में अभिभावक का सहयोग करते।

गणेश-लक्ष्मी के मुर्तियों की मांग इतनी कि, कुम्हार रतजग्गा कर बना रहे है गणेश-लक्ष्मी की मुर्तिः

अपने पूर्वजों के समय से ही भगवान लक्ष्मी गणेश की मुर्ति का निर्माण कर रहे मुर्तिकार, सुरेश प्रजापति बताते हैं कि, कोरोना महामारी का असर व्यापार के साथ-साथ त्योहारों पर भी पड़ा है, कोरोना के कारन कई पर्व त्योहार लोग ठीक से मना नही सकें, जिसके कारन कुम्हारों में भी एक भय का माहौल कायम था, यहां के कुम्हार कोरोना के भय के कारन मुर्तियों का निर्माण नही कर रहे थें, जबकि यहां सालों भर मुर्तियों का निर्माण कार्य होता है। लेकिन इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा के बाद से ही बंता गांव में व्यापारियों का आगमण शुरु हो गया है, जो अब तक जारी है। ऑर्डर इतना ज्यादा है कि देर रात तक जग कर काम करना पड़ रहा है। ऐसे में अगर मौसम ने भी साथ दिया, तो कुम्हारों को कोरोना में जो नुकशान हुआ है, उसकी भरपाई जो जाएगी।

यूपीएससी की तैयारी छोड़ मुर्ति निर्माण में कर रहे हैं पिता का सहयोगः

सुरेश प्रजापति के पुत्र अनिकेत रांची में रह कर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन पिता को मिले वर्क ऑर्डर को देखते हुए अनिकेत वर्तमान में यूपीएससी की तैयारी छोड़ सिल्ली पहुंच गएं अपने पिता का हांथ बंटाने के लिए। अनिकेत बताते हैं कि पिताजी जी मुर्ति का निर्माण कर ही हम दो भाई और एक बहन को अच्छी शिक्षा दिलवा रहे हैं। ऐसे में पिता का हांथ बंटाना भी जरुरी है। अगर चार पैसा आएगा, तभी हम अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।

दीपावली में नही कोरोना का भय, जमकर मनाया जाएगा दीपावली का त्योहारः

सुरेश प्रजापति बताते हैं कि कोरोना के भय के कारन लोग कोई भी पर्व-त्योहार सही तरीके से नही मना सकें, जिसके कारन लोग काफी मायूस रहें। लेकिन दीपावली का त्योहार घर में ही मनाया जाता है, जिसके कारन इस त्योहार में कोरोना का कोई भय नही है। इस त्योहार को लोग काफी उत्साह के साथ मनाने की तैयारी में हैं, जिसके कारन भी गणेश-लक्ष्मी की मुर्तियों के साथ साथ मिट्टी के सजावटी सामानों की मांग बाजार में काफी ज्यादा है।

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