छात्रवृत्ति घोटाले में बिचौलिए बैंकों के बिजनेस को-ऑर्डिनेटर, स्कूल के प्राचार्य, और झारखंड राज्य वित्त विकास निगम के अधिकारियों की भी मिलीभगत…

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रिपोर्ट- वसीम अकरम…

राँचीः प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और merit-cum-means अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना, जो भारत सरकार द्वारा संचालित है, इसमें पिछले 3 वर्षों से लगातार हो रहे फर्जीवाड़े और घोटाले की खबर का प्रसारण 26 सितंबर को “ताजा खबर झारखंड” में काफी प्रमुखता से किया गया था। जिस पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संज्ञान लेते हुए पूरे मामले के जांच करने की मांग राज्य सरकार और विभाग से की थी।

जानकारी देते चले कि अल्पसंख्यक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति केंद्र सरकार से मिलती है, और ये राशि नामांकित छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजी जाती है। झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम, पोस्ट ऑफिस की भूमिका में है। जिलों में लिस्ट आने के बाद उसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है, फिर वहां से सीधे राशि का भुगतान कर दिया जाता है। 2012 से पहले छात्रदवृति की राशि राज्य सरकार को दी जाती थी, जिसके बाद नगद राशि का भुगतान किया जाता था, लेकिन 2012-13 से प्रक्रिया बदल दी गई है।

छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े का पहला मामला 2016 में सामने आया थाः

अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े का पहला मामला 2008 में सामने आया था। उस समय भी जो बच्चे नामांकित नहीं थें, उन्हें भी छात्रवृत्ति दी गई थी। जो छात्र नही थें उन्हें भी नामांकित दिखाकर राशि का बंदरबांट किया गया था।

छत्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद 45000 विद्यालयों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया थाः

पिछले साल छत्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद झारखंड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम ने राज्य के करीब 45000 विद्यालयों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था और सभी स्कूलों को जिला कल्याण पदाधिकारी के माध्यम से फिर से रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश दिया था, लेकिन दो बार रजिस्ट्रेशन की तिथि बढ़ाए जाने के बावजुद अबतक लगभग 3000 स्कूलों ने ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है।

छत्रवृत्ति घोटालेबाजों का लिस्ट मुख्य सचिव को सौंपा गयाः

अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने मुख्य सचिव, सुखदेव सिंह को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल कई घोटालेबाजों के नाम की लिस्ट सौंपी है। इन घोटालेबाजों पर आवेदन तैयार करने से लेकर फर्जी छात्र छात्राओं का फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाने, और उनके खाते में राशि ट्रांसफर करने तक का आरोप है। अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने मुख्य सचिव से छात्रवृत्ति घोटालेबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा की छात्रवृत्ति घोटाले में बिचौलिए बैंकों के बिजनेस कोऑर्डिनेटर और स्कूल के प्राचार्य शामिल हैं, साथ ही झारखंड राज्य वित्त विकास निगम के अधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत है।

झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष, एस अली पूर्व में ही मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को जांच करवाने के लिए ज्ञापन सौंप चुके हैः

झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष एस अली, पूर्व में ही अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कराने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, स्व. मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, मुख्य सचिव और कल्याण विभाग के सचिव के नाम मांग पत्र सौंप चुके हैं। एस अली ने कहा कि गिरोह द्वारा वर्ष 2016 से अब तक वैसे लोगों से आधार कार्ड और बैंक खाता लेकर ऑनलाइन आवेदन करवाकर छात्रवृत्ति निकाली गई है, जो किसी शैक्षणिक संस्थान के छात्र नहीं है, बल्कि आम लोग हैं। प्राप्त राशि से दलालों को 40% राशि दिया जाता है। इस तरह पिछले 3 वर्षों से झारखंड में करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा कर घोटाला किया गया है।

रघुवर सरकार के कार्यकाल में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ थाः हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड

दुमका विधानसभा उपचुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान बिते रविवार को सुबे के मुख्यमंत्री सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष, हेमंत सोरेन ने छात्रवृत्ति घोटाले पर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर को आड़े हांथ लेते हुए रघुवर दास पर ये आरोप लगाया था कि झारखंड में छात्रवृत्ति घोटाला रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुआ था। हेमंत सोरेन ने आगे कहा कि डीबीटी में बड़े पैमाने पर बच्चों की छात्रवृत्ति मारी गई है। राज्य सरकार इस मामले की जांच राज्य स्तर पर करवा कर घोटालेबाजों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने का काम करेगी।

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