रिपोर्ट- संजय वर्मा…
रांचीः कोरोना महामारी और लॉक्डाउन की वजह से झारखंड राज्य में लाखों परिवार के सामने भूख की समस्या उत्पन्न हो गयी है। सबके भोजन के अधिकार, खासकर जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें सरकारी घोषणा के एक महीने बाद भी राशन नहीं मिलने पर तत्काल राशन दिलवाने हेतु एवं संबंधित मामले को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता राजन कुमार सिंह द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी। सरकार ने सबको राशन देने की घोषणा तो कर दी पर ये सिर्फ कागज़ी जुमला बनकर रह गया और बगैर राशन कार्ड के लोगों को घोषणा के एक माह बाद भी सरकार ने ना तो राशन देने की प्रक्रिया तय की और ना हीं उनके बीच राशन बांटना शुरू किया। झारखंड में लाखों लोगों के सामने दो वक्त का खाना जुगाड़ करना मुश्किल हो गया है।
इसे आपातकालीन समस्या मानते हुए मुख्य न्यायधीश एवं न्यायाधीश श्री सुजीत नारायण सिंह की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज दिनांक 22-4-20 को मामले की सुनवाई की। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने पक्ष रखा। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आज चार प्रमुख बिंदुओं पर आदेश दिया:
1. सरकार को अपने पूर्व घोषणा के अनुसार हर हाल में जिनके पास राशनकार्ड नहीं है उन्हें भी राशन देना होगा। सरकार को योजना का अक्षरशः पालन करना होगा।
2. सरकार को पांच दिन के भीतर पूरी स्थिति पर जवाब दाखिल करना होगा ।
3. सरकार द्वारा बगैर कार्ड धारक को राशन देने की कारगर प्रक्रिया तय नहीं किये जाने पर और राशन के लिए दर-दर भटक रहे वैसे लोगों पर माननीय न्यायधीश ने मौखिक टिप्पणी करते हुए सुझाव दिया कि झारखंड सरकार दिल्ली सरकार के तर्ज पर बगैर राशन कार्ड धारकों को राशन कूपन जारी कर राशन मुहैया करा सकती है।
4. मामले की अगली सुनवाई पांच दिन बाद ही 27 अप्रैल को किया जाएगा।