अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित विभिन्न छात्रवृति योजनाओं में हुए गबन की प्रारंभिक जांच एसीबी करेगीः हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

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रिपोर्ट- वसीम अकरम…

रांचीः केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित विभिन्न छात्रवृति योजनाओं के कार्यान्वयन में हुई अनियमितता और सरकारी राशि के गबन मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो करेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान कर दी है।

सभी संस्थानों एवं आवेदकों का भौतिक सत्यापन कर प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दिया गयाः

सरकारी राशि के गबन का ये मामला प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप और मेरिट स्कॉलरशिप से जुड़ा है। जांच के लिए सभी जिले के उपायुक्तों को अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की छात्रवृति योजना को लेकर सभी संस्थानों एवं आवेदकों का भौतिक सत्यापन कर प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दिया गया है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित विभिन्न छात्रवृति योजनाओं के कार्यान्वयन में हुई अनियमितता और सरकारी राशि के गबन मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)  करेगी। मुख्यमंत्री ने इस बाबत प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप और मेरिट सह मिन्स स्कॉलरशिप में हुई अनियमितता की प्रारंभिक जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

ये हैं पूरा मामलाः

गबन के इस मामले को झारखंड छात्र संगठन के अध्यक्ष, एस अली और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज ने सरकार के समक्ष उठाया था, जिसके बाद ये मामला “ताजा खबर झारखंड” समेत विभिन्न मीडिया में सुर्खियां बनी।  छात्र नेता एस अली और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज द्वारा प्रेषित पत्र में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप और मेरिट स्कॉलरशिप की राशि में हुए गबन का मामला उजागर किया गया था। इसी के आलोक में राज्य सरकार ने इसकी प्रारंभिक जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कराने का निर्णय लिया है.

 31 दिसंबर तक जमा करना होगा विस्तृत जांच प्रतिवेदनः

अनुसूचित जनजाति,  अनुसूचित जाति,  अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यकों समुदाय के विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जाने वाली छात्रवृति के संबंध में प्रत्येक संस्थान एवं प्रत्येक आवेदक के भौतिक सत्यापन के संबंध में निर्धारित नीति के आलोक में इस साल 31 दिसंबर तक विस्तृत जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है।

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