शहीद बिरसा मुंडा की जन्मस्थली, उलिहातु ग्रामसभा ने बीना प्रमिशन मल्यार्पण पर लगाया रोक, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर वादा खिलाफी का आरोप…
रिपोर्ट- संजय वर्मा…
शहीद बिरसा मुंडा की जन्मस्थली, उलिहातु ग्रामसभा ने बीना प्रमिशन मल्यार्पण पर लगाया रोक, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर वादा खिलाफी का आरोप…
खूंटीः राजधानी रांची से लगभग 63 किलोमीटर दूर, खूंटी जिला के अड़की प्रखंड अंतर्गत बाड़ीनिजकेल पंचायत में स्थित है उलिहातु गांव। उलिहातु गांव पहुंचे के लिए जैसे ही आप खूंटी-तमाड़ रोड़ पर सोयको पहुंचते हैं, यहां से लेकर पुरे उलिहातु गांव तक जगह-जगह साईन बोर्ड लगा हुआ, जिसमें काफी गर्व के साथ लिखा हुआ है, कि बिरसा मुंडा के जन्मस्थल, उलिहातु में आपका स्वागत है। इसी गांव में वीर स्वतंत्रता सेनानी, बिरसा मुंडा का जन्म हुआ था, जिसे देखने के लिए सिर्फ देश से ही नहीं, विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं।
सिर्फ सड़क और साईन बोर्ड से विकास नहीं होतीः
चमचमाती सड़क और साईन बोर्ड देख कर ऐसा प्रतित होता है, मानों उलिहातु गांव काफी खुशहाल और विकसित गांव है। लेकिन बिरसा मुंडा के जन्मस्थली, जिसका निर्माण सरकार द्वारा करवाया गया है, इसे दरकिनार कर जब आप आसपास के क्षेत्रों में भ्रमण करेंगे, तो आपकी उम्मीदों पर पानी फीर जाएगा। गांव में कई मिट्टी के कच्चे मकान धंसे हुए हैं। बरसात के पानी से बचने के लिए लोग अपने खपरैल घरों के उपर पलास्टिक लगा कर पानी से बचाव कर रहे हैं। बिरसा मुंडा के जन्मस्थली से मात्र 50 मीटर की दूरी पर सोलर जलमीनार खड़ा है, लेकिन बीते एक साल से ये खराब है। जलमीनार में लगा सोलर मीटर जल चुका है और बोरिंग भी धंसा हुआ है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं, कि क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या है। कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन अब तक इसे बनाया नहीं गया है।
विकास योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को नहीः
जलमीनार के पास ही पूर्व में ग्राम संसद भवन का निर्माण करवाया गया है, लेकिन इसकी स्थिति देख कर ऐसा प्रतित होता है, मानों इसका उपयोग नहीं किया जाता है। ग्राम संसद भवन के अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। उलिहातु गांव में प्रवेश करने से पूर्व रास्ते में आपको प्रज्ञा केन्द्र देखाई पड़ेगा। प्रज्ञा केन्द्र के दिवारों पर उकेरी गई पेंटिंग, केन्द्र की सुन्दरता जरुर बढ़ा रही है, लेकिन आसपास उगी, उंची-उंची झांड़ियां केन्द्र की सुन्दरता को बदसुरत भी बना रही है। सोमवार, 2 सितंबर को जब ताजा खबर झारखंड की टीम ने यहां का दौरा किया, उस दौरान प्रज्ञा केन्द्र के भवन पर दो-दो ताला लटक रहा था। खिड़की से झांक कर देखने पर पता चला की प्रज्ञा केन्द्र के अंदर लगभग 25 बोरा डीएपी और यूरिया खाद रखा हुआ है, जिसका वितरण अब तक ग्रामीणों के बीच नहीं किया गया है। इस मामले में स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि, सिर्फ कुछ ग्रामीणों को ही धान बीज और खाद दिया गया था। मेरे परिवार के किसी भी लोग को धान बीज और खाद नहीं मिला है।
उलिहातु गांव पहुंचने से पहले स्थित प्रज्ञा केन्द्र।
प्रज्ञा केन्द्र में सोमवार के दिन जड़ा है ताला और केन्द्र के अंदर रखा हुवा है डीएपी और युरिया खाद.
केन्द्र सरकार की उज्जवला योजना, ग्रामीण महिलाओं की आंसु रोकने में विफलः
उलिहातु गांव भ्रमण के दौरान, हमारी टीम की नजर कई घरों के बाहर रखे हुए एलपीजी गैस सिलिंडर पर पड़ी। ये सभी सिलिंडर जंग लगे हुए थें, जो भारत गैस कंपनी का है। सिलिंडरों पर लगे जंग को देख कर स्पष्ट है, कि ग्रामीण इन सिलिंडरों का उपयोग नहीं कर रहे हैं। इस बाबत पुछे जाने पर स्थानीय ग्रामीण, एतवा मुंडा ने बताया कि गांव वालों को ये सिलिंडर और गैस चुल्हा उज्जवला योजना के तहत उपलब्ध करवाया गया था। ग्रामीणों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं है। यहां के ग्रामीण कृषि और वन उत्पाद बेच कर ही अपना जिविकोपार्जन करते हैं। क्षेत्र में पानी की समस्या रहने के कारन मुश्किल से 6 माह ही खेती कर पाते हैं। वर्षा अच्छी होने पर धान की खेती करते हैं, और साल के तीन महिने सब्जी की फसल उगाते हैं। ग्रामीणों के पास इतना पैसा नहीं है कि हजार, बारह सौ का गैस सिलिंडर भरवा सके। हम लोग जंगल से सुखी लकड़ियां चुन कर लाते हैं और उसी को जलावन के लिए उपयोग करते हैं। यहां के ज्यादातर घरों में गैस सिलिंडर का उपयोग नहीं किया जाता है। मैंने अपना गैस चुल्हा कबाड़ वाले को बेच दिया है, और सिलिंडर पानी में जंग लग रहा है।
उलिहातु गांव के घरों के बाहर रखा हुआ भारत गैस कंपनी का सिलिंडर, जो बरसात में जंग लग रहा है।
शहीद बिरसा मुंडा के वंशज का आवास, वर्तमान में भी है अधुराः
वीर शहीद बिरसा मुंडा के वंशज, जोरोंग पुर्ति बताते हैं, कि स्थानीय नौकरशाहों की उदासीन रवैये के कारन हमलोगों का जीवन नारकीय हो गया है। विकास योजनाओं का लाभ सभी ग्रामीणों को नही मिलता है। मेरे पिताजी को शहीद फंड से आवास आवंटित किया गया था। प्रथम फेज में मेरे पिताजी को पचास हजार रुपया दिया गया था, जिससे डीवीसी लेबल तक काम करवाया गया। इसी बीच मेरे पिताजी का देहांत हो गया। हमलोगों को अब आवास के लिए पैसा नहीं मिल रहा है। लाभुक सूची में पिताजी का नाम था। लाभुक सूचि में मां का नाम डलवाने के लिए हमलोग पुरा कागजात जमा कर दिये हैं, लेकिन अब तक मां का नाम लाभुक सूचि में नहीं जोड़ा गया है, जिससे मकान निर्माण का काम बंद पड़ा है।
शहीद बिरसा मुंडा के वंशज, जोरोंग पुर्ति अधुरे मकान की जानकारी देते।
शहीद बिरसा मुंडा के नाम पर राजनीति कर रहे नेताओं को चेतायाः
वीर शहीद बिरसा मुंडा के जन्मस्थली उलिहातु गांव और उनके वंशजों के खिलाफ राज्य और केन्द्र सरकार के उदासीन रवैये से बिरसा मुंडा के पोते, सुखराम मुंडा खाशा नाराज हैं। ताजा खबर झारखंड से बात करते हुए सुखराम मुंडा ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हर नेता बिरसा मुंडा के नाम पर राजनीति कर रहा है। वे लोग सिर्फ और सिर्फ आदिवासियों को लुभाने के उलिहातु गांव आकर बिरसा मुंडा के प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हैं। जैसे ही चुनाव आने लगता है, यहां नेताओं का आना शुरु हो जाता है। हर नेता हमलोगों का विकास करने का आश्वासन देता है, लेकिन करता कोई नहीं है।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर वादा खिलाफी का आरोपः
सुखराम मुंडा देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से खाशा नाराज हैं। इन्होंने बताया कि जब राष्ट्रपति यहां पहुंची तो हम सभी गांव वाले काफी खुश थें। हमलोगों को लगा कि राष्ट्रपति भी आदिवासी है, इसलिए हमलोगों की समस्या को बेहतर तरीके से समझेंगी। उनके समक्ष हमलोगों ने लिखित तौर पर समस्याओं को रखा था, लेकिन आज तक यहां कुछ नही किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी यहां पहुंचे। उन्हें भी समस्याओं से अवगत करवाया गया था, लेकिन नतिजा ढांक के तीन पात ही है।
उलिहातु गांव में प्रवेश और माल्यार्पण के लिए बाहरी लोगों को ग्रामसभा से प्रमिशन लेना अनिवार्यः सुखराम मुंडा, पोता, शहीद बिरसा मुंडा
सुखराम मुंडा ने आगे बताया कि, नेताओं द्वारा लंबे समय से बार-बार छले जाने के बाद, ग्राम प्रधान निर्मल मुंडा के नेतृत्व में हमलोगों ने कठोर निर्णय लिया है। अब कोई भी नेता या अन्य लोग बीना ग्रामसभा से इजाजत लिये गांव में प्रवेश और धरती आबा के प्रतिमा पर माल्यार्पण नहीं कर सकता है। गांव में आने से पूर्व उन्हें ग्रामसभा से लिखित तौर पर इजाजत लेना होगा। हमलोग अब और बर्दास्त नहीं करेंगे। हमलोगों को विकास का लाभ चाहिए, ताकि हमलोग भी सम्मान के साथ जी सकें।
जानकारी देते चलें कि खूंटी जिले में पत्थलगड़ी आंदोलन शुरु करने वाले लोगों की मांग भी यही थी। वे लोग भी अनुसूचित क्षेत्रों का विकास, पांचवी अनुसूची, पेशा कानून को लागू करने की मांग कर रहे थें। लेकिन सरकार ने इनकी मांगों पर कोई गौर नहीं किया। रघुवर सरकार ने लैंड बैंक बना कर झारखंड के आदिवासी-मुलवासियों के सामाजिक और सामुदायिक जमीन की लूट जारी रखी, जिसके बाद पत्थलगड़ी आंदोलन की दिशा बदल गई और रघुवर सरकार ने इस आंदोलन को बंदूक के बल पर कुचल डाला।
वर्तमान में उलिहातु के ग्रामीणों ने जो निर्णय लिया है, वो पेशा कानून के अंतर्गत आता है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ग्राम सभा संविधान प्रदत सामाजिक शासन व्यवस्था है। इसकी ताकत का अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि ग्रामसभा के बारे में कहा गया है- “राज्यसभा ना लोकसभा, सबसे बड़ा ग्राम सभा”।