जब तक नही होती त्रिपक्षीय वार्ता, तब तक त्रिवेणी सैनिक कंपनी में सभी काम बंद और सत्याग्रह रहेगी जारीः अंबा प्रसाद, विधायक

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

हजारीबागः जमीन दिए हैं रोजगार चाहिए, जमीन हमारा विकास तुम्हारा नहीं चलेगा….ये नारा पिछले 4 दिनों से बडकागांव प्रखंड के चेपाकला गांव में गुंज रही है।

दरअसल 4 दिनों पूर्व से एनटीपीसी और त्रिवेणी सैनिक कंपनी के खिलाफ 12 सूत्री मांगो को लेकर खनन क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा “विस्थापित प्रभावित अधिकार सत्याग्रह” शुरु किया गया है। सत्याग्रह कार्यक्रम चेपाकला गांव के पास चलाया जा रहा है, जिसके कारण चिरुडीह माईन्स से बानादाग मार्ग पर सैंकड़ों हाईवा की लंबी कतार लग चुकी है। बिते 4 दिनों से इस रास्ते से होकर गुजरने वाले सभी हाईवा के पहिए थम चुके हैं, जिसका प्रभाव कोयले के उत्पादन पर भी पड़ रहा है।

जमीन मालिक बेरोजगार और बाहरियों को दिया जा रहा है रोजगारः स्थानीय ग्रामीण

सत्याग्रह में बैठे सैंकड़ों ग्रामीण, जिसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है, ये लोग एनटीपीसी और त्रिवेणी सैनिक कंपनी से रोजगार की मांग कर रहे हैं। इनकी मानें तो कंपनी हमारे जमीन से कोयला निकाल रही है और रोजगार बाहरी लोगों को दे रही है, यहां के लोग कोयले का डस्ट फांक कर गंभीर बिमारियों से ग्रसित हो रहे हैं और बाहरी लोग मजे ले रहे हैं। इनकी मांगों में सर्वप्रथम योग्यता के अनुशार युवाओं को रोजगार भूमि का मुआवजा 2013 के जमीन अधिग्रहण कानून के तहत दिया जाए, वन भूमि में रह रहे लोगों को सरकार जमीन का पट्टा निर्गत करे, गैरमजरुआ जमीन और वन भूमि के पट्टाधारियों को भी मुआवजा का भुगतान किया जाए, पब्लिक सड़क से कोयले की ट्रांस्पोर्टिंग बंद की जाए, कंपनी द्वारा अधिग्रहित क्षेत्र में अगर किसी भी व्यक्ति की दुर्घटना में मौत होती है, तो उनके परिजनों को नौकरी और उनके बच्चों की शिक्षा का खर्च कंपनी वहन करे इत्यादि।

त्रिपक्षीय वार्ता जब तक नही होगी, तब तक कंपनी में खनन, ढुलाई और निर्माण कार्य बंद रहेगाः

सत्यग्रह कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे विजय राणा ने कहा कि, कंपनी अगर कोयले की मैन्यूल लोडिंग करवाती है, तो इससे काफी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा। कंपनी नौकरी मांगने ये जवाब देती है कि यहां के लोग ट्रैंड नहीं हैं, इसलिए बाहरी ट्रैंड लोगों को काम दिया गया है, जबकि कंपनी या सरकार द्वारा यहां कोई आईटीआई नहीं खोला गया है, जिसमें स्थानीय युवा जाकर ट्रैनिंग ले सके। कंपनी अपने हर वादे और जिम्मेवारी से मुकर रही है।

कंपनी के दलाल सत्याग्रह में बैठे ग्रामीणों के साथ मारपीट कर चुके हैः

सत्याग्रह में बैठी महिलाओं ने “ताजा खबर झारखंड” की टीम को बताया कि, दो दिनों पूर्व सत्याग्रह में बैठे ग्रामीणों के साथ कंपनी के दलाल जो गांव के ही रहने वाले हैं, उन लोगों ने सत्याग्रह में बैठे लोगों को सड़क से हटने के लिए कहा, ताकि कोयले की ढुलाई में लगे हाईवा का परिचालन हो सके, ग्रामीणों के मना करने पर उन लोगों ने धमकी देते हुए मारपीट की। इन दलालों को कंपनी के अधिकारी पैसे देकर इस तरह लोगों को धमकाने का काम करवाते हैं और गांव वालों में फूट डालने का प्रयास कर रहे है।

हेमंत सोरेन की सरकार में जनता की आवाज को दबाया नहीं जाताः अंबा प्रसाद, स्थानीय विधायक

सत्याग्रह कार्यक्रम को स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद का समर्थन प्राप्त है। अंबा प्रसाद पूर्व में ही ग्रामीणों की समस्या को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष रख चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने अंबा प्रसाद को आश्वासन भी दिया है कि जल्द ही विस्थापन आयोग का गठन कर दिया जाएगा। सत्याग्रह में बैठी महिलाओं का हालचाल लेने के दौरान विधायक अंबा प्रसाद ने“ताजा खबर झारखंड” से बातचीत में कहा कि ग्रामीणों की मांग काफी पुरानी है। ये लोग लगातार ठगे जाते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा नही होने दिया जाएगा। वर्तमान में अगर रघुवर दास की सरकार रहती तो लाठी और गोलियां चलवा चुकी होती, लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार में जनता की जायज मांगों को दबाया नहीं जाता है। कंपनी को ग्रामीणों को उनका अधिकार देना ही होगा। सत्याग्रह में बैठे ग्रामीण कंपनी से ये मांग करती है कि त्रिपक्षीय वार्ता करे, जिसमें ग्रामीणों के प्रतिनिधि, स्थानीय विधायक और कंपनी के लोग मौजुद रहें। कंपनी से त्रिपक्षीय वार्ता होने के बाद ही सत्याग्रह समाप्त किया जाएगा, अन्यथा कंपनी के सभी कार्य बंद रहेगी।

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