अपने ही बयान पर फंसते सिमडेगा डीएफओ….

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः सिमडेगा डीएफओ ने मीडिया में ये बयान दिया है कि 4 जनवरी को मेरे साथ भी हो सकती थी घटना। डीएफओ, अरविंद कुमार गुप्ता के इस बयान के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो चुका है। लेकिन अब सिमडेगा डीएफओ 6 जनवरी को ताजा खबर में दिए अपने बयान पर ही फंसते नजर आ रहे हैं। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है कि, विधायक जी ने सुबह में फोन कर मुझे बोंबलकेरा जा कर स्वयं मामले को देखने के लिए कहा है, लेकिन मैं वहां 1.30 से 2.00 बजे के बीच पहुंचा। जाने की तैयारी करने में देर हो गई थी। आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि वन विभाग कछुवे की गति से चल रही है। अगर आप तेज गति से चले होतें, तो शायद संजू प्रधान जिन्दा होता।

बोम्बलकेरा गांव के जिन खूंटकटीदारों पर संजू प्रधान के हत्या का मामला दर्ज किया गया है, उन लोगों ने गिरफ्तारी से पूर्व ताजा खबर झारखंड और एचआरएलएन की टीम को पुरे घटना की जानकारी देते हुए बताया था कि, 15 अक्टूबर 2021 को संजू प्रधान ने 10 पेड़ काटा, था, जिससे उसने 52 बोटा बनाया और 26 बोटा स्वयं बेच दिया था। जिस जगह पर उसने पेड़ काटा था वहां 34 बोटा रखा हुआ था, जिसकी सूचना हमलोगों ने वनपाल के माध्यम से रेंजर को दिया और रेंजर ने आकर 34 बोटा जब्त कर अपने साथ ले गया। संजू प्रधान पर इस मामले में रेंजर ने 19 अक्टूर को मामला भी दर्ज किया है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नही हुई, क्योंकि लकड़ी जप्त करने के दौरान वो वहां मौजुद नही था।

रेंजर द्वारा 34 बोटा लकड़ी जब्त करने पर संजू प्रधान ग्रामीणों को जान मारने की दे रहा था धमकीः

वनपाल और ग्रामीणों की सूचना के आधार पर 19 अक्टूबर को संजू प्रधान पर पेड़ कटाई का मामला दर्ज किया गया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नही हुई थी। ग्रामीणों ने आगे बताया कि संजू प्रधान की गिरफ्तारी नही होने से उसका मनोबल बढ़ा हुआ था और गांव के लोगों को रास्ते मेंरोक कर जान मारने की धमकी दिया करता था। उसने गांव के कई लोगों से कहा कि जितना बोटा जब्त करवाया है उतने का मुड़ी काटेंगे। इसके बाद 18 दिसंबर 2021 को संजू प्रधान द्वारा फिर 6 पेड़ काटे जाने की सूचना बोम्बलकेरा के ग्रामीणों को मिली। ग्रामीणों ने 3 जनवरी को जब जंगल में जाकर देखा, तो वहां 6 पेड़ काटा हुआ पाया गया, लेकिन लकड़ी गायब था। इससे ग्रामीण काफी आक्रोशित हुएं और 4 जनवरी को खूंटकटी गांव के सभी ग्रामीणों की बैठक बुलाई गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि वन विभाग और पुलिस को बुलाया जाए, फिर संजू प्रधान को पकड़ कर हमलोग ही उनके हवाले कर देंगे। ताकि फिर से जंगल ना काटे।

बैठक में कोलेबिरा और ठेठईटांगर थाना की पुलिस पहुंची, लेकिन वन विभाग की टीम नही पहुंचीः 

बोंबलकेरा के ग्रामीणों ने ये भी जानकारी दी कि बैठक में पुलिस और वन विभाग की टीम को बुलाया गया, ताकि संजू प्रधान को पकड़ कर इनके हवाले किया जा सके। ग्रामीणों के बुलावे पर कोलेबिरा और ठेठईटांगर की पुलिस पहुंची लेकिन, वन विभाग की टीम नही पहुंची थी। हमलोगों ने पुलिस के साथ ही संजू प्रधान के घर गया और पुलिस के सामने ही पेड़ काटे जाने के मामले में पुछताछ शुरु किया, जब वो हर बार ईन्कार करते रहा, तब किसी ने एक झापड़ संजू प्रधान पर जड़ दिया, जिसके बाद ये घटना हुई।

घटना होने के बाद  1.30 से 2.00 बजे के बीच पहुंची वन विभाग की टीम लेकिन धुंवां उठता देख वापस लौट गईः

सिमडेगा डीएफएओ, अरविंद कुमार गुप्ता ने बताया कि, विधायक विक्सल कोंगाड़ी ने मुझे घर से ऑफिस निकलने के समय सुबह में फोन कर कहा की आप बोंबलकेरा पहुंचें वहां के लोग आपका ईन्तजार कर रहे हैं। डीएफओ ने आगे बताया कि ऑफिस पहुंचने के बाद हमारी टीम तैयार होकर लगभग 1.30 बजे ऑफिस से निकली, लेकिन जैसे ही हमारी टीम वहां पहुंची वहां दूर से ही 7-8 फीट उंचा धुवां उठता हुआ दिखाई पड़ा, जिससे मुझे लगा की कोई अनहोनी हुई है, तभी हमारे ड्राईवर को ग्रामीणों ने घटना के बारे में जानकारी दी, फिर हमलोग रास्ते से ही वापस लौट गएं।

अगर वन विभाग की टीम समय पर बैठक में पहुंचती, तो शायद ये घटना नही होतीः

इतना तो साफ हो चुका है कि संजू प्रधान की हत्या, पुलिस और वन विभाग की लापरवाही का नतीजा है। पुलिस विभाग इस लिए, क्योंकि इनके आंखो के सामने संविधान के अनुच्छेद-21 का उल्लंघन ग्रामीणों ने किया और पुलिस मुकदर्शक बन देखते रही। यहां हवाई फायरिंग कर भीड़ को खदेड़ा जा सकता था। वन विभाग इसलिए दोषी है क्योंकि, इस विभाग के अधिकारी कछुवे की गति से काम कर रहे हैं। ग्रामीण वन विभाग के अधिकारियों के नहीं पहुंचने से आक्रोशित थें। अगर डीएफओ, विधायक से फोन पर सूचना मिलने के बाद मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित एक्शन लेतें, तो दिल दहला देने वाली ये घटना नहीं होती। अब अगर डीएफओ ये कह कर अपनी जिम्मेवारी से मुकरना चाह रहे हैं कि मैं बाल-बाल बच गया, तो ये गलत है, क्योंकि आपकी विभाग अगर सक्रिय होती, तो बेसराजारा में संजू प्रधान की हत्या भीड़तत्र द्वारा नहीं होती।

अवैध तरीके से जंगल कटाई की जानकारी देने पर भी कोई जवाब नहीं देते वन अधिकारीः

जानकारी देते चलें कि वन विभाग की लापरवाही का अनुमान आप इस खबर से भी लगा सकते हैं कि, बिते 7 दिसंबर 2021 को खूंटकटी जमीन पर ही लगे जंगल के अवैध कटाई का मामला काफी प्रमुखता के साथ ताजा खबर झारखंड में प्रसारित किया गया था। खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड स्थित पहाड़ टोली में लंबे समय से साल के पेड़ो की अवैध कटाई का धंधा लकड़ी तस्कर द्वारा जारी था। जब हमारी टीम को इसकी सूचना मिली तो हमारी टीम समाचार संकलन के लिए वहां पहुंची। उस वक्त भी मजदूर साल पेड़ों की कटाई में लगे हुए थें और दर्जनों पेड़ काट कर उसका बोटा जंगल में ही रखा हुआ था। इस बाबत जब हमारी टीम ने क्षेत्र के रेंजर को फोन लगाया तो उनका फोन बंद पाया गया। इसके बाद हमारी टीम ने खूंटी जिले के डीएफओ को भी तीन बार फोन लगाया, लेकिन उन्होंने भी फोन उठाना मुनासिब नही समझा। फिर मैंने उनके व्हाट्सएप्प न. पर जंगल में काट कर रखे गए दो दर्जन से भी अधीक साल के बोटों की तस्वीर और जगह का नाम भी लीख कर उन्हें भेजने का काम किया बावजुद उन्होंने हमारे संवाददाता से कोई बातचीत नही की। दूसरे दिन पहाड़टोली के स्थानीय ग्रामीणों से फोन कर हमारे संवाददाता को जानकारी दी कि, वन विभाग की टीम बोटा जप्त कर अपने साथ ले गई।  

खूंटी जिला, कर्रा प्रखंड स्थित पहाड़टोली में खूंटकटी जमीन पर लगे पेड़ों की अवैध कटाई….

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