धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समति का आंदोलन लगातार 63वें दिन भी जारी, आयोजित सभा में मांगो की पूर्ति होने तक संघर्ष जारी रखने का निर्णय लिया गया…
रिपोर्ट- राजू पाल, पलामू, पांडू प्रखंड…
पलामूः पलामू जिला, पांडू प्रधंड में धजवा पहाड़ पत्थर माफिया से बचाने के लिए “धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति, कूटमु” पिछले 63 दिनों से संघर्षरत्त है। इन 63 दिनों में 1 माह तक लगातार धजवा पहाड़ पर भू-रैयत और ग्रामीणों ने धरना वहीं 19 दिसंबर से धरना कार्यक्रम को क्रमिक भूख हड़ताल में बदल कर अब तक क्रमिक अनशन जारी है, बावजुद इसके अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। क्योंकि जनता के नौकर अपने आप क जनता का मालिक समझ बैठे हैं, जो इनकी गलतफहमी है और इस गलत फहमी को उसी तरह दूर किया जाएगा, जिस तरह देश के किसानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गलत फहमी को दूर करने का काम किया है।
मांगो की पूर्ति होने तक संघर्ष जारी रहेगाः
बुधवार को धजवा पहाड़ पर विभिन्न जनसंगठनों, समाजिक संगठन और बुद्धिजीवियों के साथ आंदोलनकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें संघर्ष को और तेज करने का निर्णय लिया गया। मांगों की पूर्ति होने तक समिति एवं प्रगतिशील संगठनों ने संघर्ष को जारी रखने का निर्णय लिया। बैठक मौजुद वक्ताओं ने एक सूर में कहा कि, किसी भी परिस्थिति में पर्यावरण, जल, जंगल और जमीन को बचाया जाएगा, इसकी लूट होने नहीं दी जाएगी।
वक्ताओं ने आगे कहा कि, इस देश का इतिहास रहा है कि जंगल, जमीन और पहाड़ों की सुरक्षा के लिए अनेकों कुर्बानियां दी गई है। अनेकों आंदोलन चले, चाहे वह तिलकामांझी का आंदोलन हो या वीर बिरसा मुंडा का आंदोलन, नीलांबर-पितांबर का आंदोलन हो या नक्सलबाड़ी का आंदोलन या वर्तमान में हुआ किसान आंदोलन, जिस तरह हर आंदोलन में आंदोलनकारियों की जीत हुई है, उसी तरह धजवा पहाड़ के आंदोलन में भी जीत होगी।
स्थानीय जिला प्रशासन और सरकार निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए दे रही है पत्थर माफिया का साथः
वक्ताओं ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का उदाहरण देते हुए कहा कि जब देश में अन्न की कमी हो गई थी, देश असुरक्षित महसूस कर रहा था, उस वक्त उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया और किसानों एवं सुरक्षाकर्मियों का हौसला अफजाई करने का काम किया था। किसानों ने इस नारे के बाद देश में अन्न का भंडार भर दिया और सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान न्योछावर करते हुए देश की सीमा को सुरक्षित किया, लेकिन वर्तमान में स्थानीय जिला प्रशासन और राज्य सरकार अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति और लाभ के लिए किसानों के हक अधिकार का हनन कर रही है। जल, जंगल, जमीन, पहाड़ और पर्यावरण की सुरक्षा करने के बजाय बिचौलिया, दलाल और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने में लगी है। किसानों का हक, अधिकार लूटते हुए उन पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवा रही है। लूट के लिए सरकार और स्थानीय जिला प्रसाशन हर वो काम कर रही है, जो अमानवीय और असंवैधानिक है। झारखँड जैसे खनीज संपदा से परिपूर्ण राज्य में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि ईमानदार पुलिस अधिकारी लगातार आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे हैं, या फिर उनकी हत्या करवा दी जा रही है।
धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति, सरकार से निम्नलिखित मांग करती हैः
1. जल-जंगल-जमीन, नदी, बालू, पहाड़, और पर्यावरण की सुरक्षा एवं संवर्धन की जाए।
2. धजवा पहाड़ पर अवैध पत्थर खनन के लिए फर्जी तरीके से लिज हांसिल करने वाले पत्थर माफिया, सूरज सिंह और शिवालया कंपनी पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. शिवालय कंपनी द्वारा धजवा पहाड़ के नजदीक लगाए गए पत्थर क्रशर प्लांट को हटाया जाए।
4. किसानों के जमीन का फर्जी एग्रीमेंट कराने वाले संवेदक सूरज सिंह और फर्जी लीज करने वाले गिरेंद्र प्रसाद सिन्हा पर मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए साथ ही फर्जी लिज को रद्द किया जाए।
5. धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के आंदोलनकारियों पर दर्ज झूठे एवं फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं, और दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
विशाल जनाक्रोश सभा में विभिन्न जन संगठन, प्रगतिशील राजनीतिक संगठन एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया एवं अपने विचार रखेः
1. भाकपा माले के कॉमरेड, सरफराज अहमद।
2.जन संग्राम मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष, युगल किशोर पाल, गढ़वा जिला प्रभारी अशोक पाल, पलामू जिला अध्यक्ष बृजनंदन मेहता।
3. मूलनिवासी संघ के झारखंड प्रदेश सचिव, विनय पाल
4.भारतीय समाजवादी पार्टी के याकूब इकबाल।
5.पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) के संतोष पाल।
6. युवा पाल महासंघ गढ़वा के अध्यक्ष, सुमित पाल।
7. एससी एसटी ओबीसी माइनॉरिटी एकता मंच, पलामू के अध्यक्ष रवि पाल
8. बहुजन मुक्ति पार्टी के रामबचन राम।
9. सीपीआईएमएल (माले) रेड स्टार के कॉमरेड वशिष्ठ तिवारी।
10. सर्वहारा जन संघर्ष मोर्चा के राजदेव एवं कामरेड राम लखन पासवान और पुष्पा भोक्ता।