जल-जंगल जमीन पर उसका अधिकार, जो वहां रह रहा हैः राकेश टिकैत
जल जंगल जमीन के मालिक वे, जो वहां रहते हैः राकेश टिकैत
2,50,000 लोगों पर मंडरा रहा है विस्थापित होने का खतराःज्ञात हो कि 1956 में बिहार सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के बाद से नेतरहाट के पठार में सन् 1964 से 1994 तक सेना द्वारा फायरिंग और तोपाभ्यास किया जाता रहा है। उक्त अधिसूचना की अवधि समाप्त होने के पूर्व ही तात्कालीन बिहार सरकार ने 1991 एवं 1992 में अधिसूचना जारी कर सेना के अभ्यास के लिए क्षेत्र विस्तार करते हुए 1471 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित कर दिया, जिसमें कूल 245 गांव शामिल है। इस अधिसूचना के लागू हो जाने के बाद लगभग 2,50,000 लोगों के उपर विस्थापित होने का खतरा मंडरा रहा है।
22-23 मार्च 1994 को पहली बार विरोध में आयोजित किया गया था सत्याग्रह कार्यक्रमःकेन्द्रीय जन संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने 22-23 मार्च 1994 को सत्याग्रह करते हुए सेना के जवानों द्वारा किए जा रहे अभ्यास को रोक दिया था और उन्हें वापस जाने के लिए मजबुर किया था, तब से लेकर लगातार नेतरहाट के टुटुवापानी मोड़ पर 22-23 मार्च को विरोध में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।