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घरेलू कामगार, सुनीता खाखा के साथ हुए अमानवीय घटना से घरेलू कामगारों में भय का माहौल, सरकार से की कई मांग.

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रिपोर्ट- संजय वर्मा…

रांचीः घरेलू कामगार, सुनीता खाखा के साथ भाजपा नेत्री सीमा महापात्रा द्वारा की गई क्रुर्रतम हिंसा के बाद, झारखंड के घरेलू कामगारों के बीच भय का माहौल व्याप्त है। घरेलू कामगार सुनीता को पिछले 6 वर्षों से घर में कैद कर प्रताड़ित किया गया। जुल्म इस कदर की लोहे के रॉड से मारकर उसकी दांत तक भाजपा नेत्री ने तोड़ डाली, और तो और प्रताड़ना की सारी हद्दें पार करते हुए उससे मुत्र तक चाट कर साफ करवाया जाता था।

सोमवार को राजधानी रांची के मनरेसा हाउस सभागार में घरेलू कामगारों के लिए काम करने वाली संस्थाओं द्वारा संयुक्त रुप से प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर घरेलू कामगारों को हो रही समस्याओं को मीडिया और सरकार के समक्ष रखा, गया साथ ही घरेलू कामगारों के लिए भी कानून बनाने की मांग सरकार से की गई।

प्रेस कांफ्रेंस में घरेलू कामगार सुनीता के साथ हुए घटना के प्रति भारी आक्रोश के साथ-साथ भय भी देखने को मिला। घरेलू कामगारों का मानना है कि, संपूर्ण समाज और देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में घरेलू कामगारों का भी महत्वपूर्ण योगदान है, बावजूद इसके नियोक्ताओं द्वारा घरेलू कामगारों का आर्थिक, शारीरिक शोषण के साथ-साथ मारपीट भी किया जाता है। समय पर वेतन का भुगतान नही करना, कम वेतन देना और भेदभाव भी एक बड़ी समस्या है।

इधर केन्द्र सरकार ने ये घोषणा किया है कि, घरेलू कामगारों को नियोक्ताओं द्वारा वेतन नही देना अपराध के दायरे में नहीं होगा, इसके चलते काम करवा कर नियोक्ताओं द्वारा घरेलू कामगारों को वेतन नही देने की घटना में वृद्धि हुई है। घरेलू कामगार आर्थिक या बौद्धीक रुप से इतने मजबूत नही होते हैं कि, न्याय के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सके। थाना में जाने पर घरेलू कामगारों की शिकायत दर्ज नही की जाती है, जिससे नियोक्ताओं का मनोबल और बढ़ जाता है।

ये समझन जरुरी है कि अन्य कामगारों के नियोक्ता एक होते हैं, लेकिन घरेलू कामगारों को सिर्फ एक नहीं, बल्कि घर-घर जा कर काम करना पड़ता है, जिसके कारन इनके नियोक्ता की संख्या भी अधीक होती है। घरेलू कामगारों का कार्यस्थल पारदर्शी नही होता, जिसके कारन इनके उपर किए गए अपराध को भी साबित करना मुश्किल हो जाता है। मानव अधिकारों, महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा को लेकर देश में कई कानून लागू है, बावजूद घरेलू कामगारों के उपर हो रहे अपराध कम होने का नाम नही ले रहा है।  इसलिए घरेलू कामगारों को अन्य कामगारों के लिए बने कानून में शामिल करना सही नही है। जिस तरह बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए अलग कानून बनाया गया है, उसी तरह घरेलू कामगारों के लिए भी अलग से कानून बनाने की जरुरत है।

राष्ट्रीय घरेलू कामगार मंच, झारखंड के सभी घरेलू कामगारों की ओर से झारखंड सरकार से ये मांग करती है की इनकी सुरक्षा के लिए अलग से एक राज्य स्तरीय कानून बनाया जाए। घरेलू कामगारों के लिए बनाए जाने वाले कानून में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना जरुरी हैः

1, न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण।

2, साप्ताहिक अवकाश।

3, वार्षिक वेतन युक्त अवकाश।

4, वार्षिक बोनस।

5, कार्यस्थल पर सुरक्षा की गारंटी।

6, कार्यस्थल पर कामगार के साथ दुर्घटना होने पर क्षत्तिपूर्ति का प्रावधान।

7, कामगार के बीमार होने पर छुट्टी का प्रावधान।

8, समय पर घरेलू कामगारों को वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

9, घरेलू कामगारो के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं पर कानूनी कार्रवाई एवं दंड का प्रावधान हो।

10, घरेलू कामगारों के लिए सरकार द्वारा दिए जाने वाले सभी अधीकार और लाभ, जैसे सामाजिक सुरक्षा, मुफ्त चिकित्सा, 60 वर्ष के बाद पेंशन की सुविधा आदि को इस कानून में निहित किया जाए, ताकि घरेलू कामगारों का भी हित और भविष्य सुरक्षित हो सके।

उरोक्त मांगों को लेकर श्रम मंत्री, झारखंड को एक मांग पत्र सौंपा जाएगा। प्रेस कांफ्रेंस को राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन की राज्य संयोजक पूनम होरो और स्वाश्रयी महिला सेवा संघ की सीमा कुमारी ने संबोधित किया और सरकार से मांग की।

By taazakhabar

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