ब्यूरो रिपोर्ट…
रांचीः 22-23 मार्च 2023 को लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा नामकुम स्थित बगईचा, रांची में 2024 की राजनैतिक चुनौती व रणनीति पर दो-दिवसीय लोकतंत्र बचाओ समागम का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड के विभिन्न ज़िलों के साथ साथ ओडिसा, बिहार, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल के सामाजिक कार्यकर्ता व जनसंगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुवें।
भारत की संवैधानिक अवधारणा को बदल कर हिन्दू राष्ट्र बनाने की पहल जारीः
भाजपा-आरएसएस द्वारा लोकतंत्र, राष्ट्र, संविधान और नागरिकता की अवधारणा और संरचना को खंडित करने पर समागम में विस्तृत रुप से चर्चा हुई। भारत की संवैधानिक अवधारणा को बदल कर हिन्दू राष्ट्र बनाने की पहल हो रही है। मुसलमानों समेत अन्य अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, लोकतांत्रिक आंदोलनकारियों और भाजपा विरोधी दलों पर दमन चल रहा है। सीबीआई, ईडी, आईटी भाजपाइयों की सुरक्षा और विपक्षियों को डराने की एजेन्सी में बदल दी गयी है। धार्मिक बहुसंख्यकवाद का सांस्कृतिक राजनीतिक उभार मुस्लिमों, ईसाइयों, दलितों और आदिवासियों पर नफरत, उत्पीड़न और उपेक्षा की मार तीखा करता गया है। मेहनतकश वर्ग के जनाधिकारों पर लगातार हमले हो रहे है। शिक्षा, स्वास्थ्य और मनरेगा में कटौती कर मोदी सरकार ने मेहनतकश वर्ग, मज़दूर और किसानों पर सीधा हमला किया है। सामाजिक सुरक्षा को कमज़ोर किया जा रहा है। महंगाई और बेरोज़गारी चरम पर है। वहीं दूसरी ओर, मोदी सरकार कुछ चंद कॉर्पोरेट घरानों अडानी-अम्बानी के लिए देश के संसाधनों व कंपनियों को एक-एक करके बेच रही है। आदिवासियों के जल, जंगल, ज़मीन और खनिज की लूट और तेज हो गयी है। हाल ही में अडानी के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो भ्रष्टाचार उजागर हुआ है, उसे दबाने के लिए मोदी सरकार लगातार कोशिश कर रही है। यह सिर्फ भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि मोदी-अडानी की जोड़ी द्वारा देश को लूटने की एक गहरी साजिश की ओर इशारा भी करता है। समागम के दो दिनों में इस परिस्थिति पर चर्चा कर आगे की रणनीति बनाई गई।
समागम में उपस्थित समाजिक कार्यकर्ता व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि.
समागम के मुख्य दो लक्ष्यः
समागम के उद्घाटन सत्र में जेएनयु के पूर्व शिक्षक व लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के संयोजक, आनंद कुमार ने बताया कि लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान के दो प्रमुख लक्ष्य हैं। पहला तात्कालिक लक्ष्य है वर्तमान देश विरोधी, अलोकतांत्रिक भाजपा को आगामी आम चुनाव में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना और अभियान का दूसरा दूरगामी उद्देश्य है भारतीय संविधान द्वारा स्थापित “आइडिया ऑफ इंडिया” को संरक्षित कर लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी राष्ट्र को विकसित करना। उन्होंने कहा कि लोगों को मूल मुद्दों – दवाई, पढाई, कमाई और महंगाई पर संगठित करना होगा।
भाजपा को हराने के लिए भाजपा विरोधी सभी समूह व संगठनों को साथ आना होगाः दयामणि बारला
झारखंड की आयरन लेडी, दयामनी बारला ने कहा कि झारखंड समेत पूरे देश में भाजपा की जन विरोधी नीतियों से आदिवासी-दलित शोषित है। वर्तमान में झारखंड में जन मुद्दों पर 1932 खतियान आधारित डोमिसाईल, भाषा आधारित पहचान आदि पर कई समूह व संगठन संघर्षरत हैं। भाजपा को हराने के लिए इन सब समूहों व संगठनों को साथ आना होगा। बहादुर उरांव ने कहा कि भाजपा ‘फूट डालो, शासन करो’ की नीति पर चल रही है। चाहे हिन्दू-मुसलमान हो, सरना-ईसाईयों के बीच हो या कुड़मी-आदिवासियों के बीच हो।
दो दिवसीय लोकतंत्र बचाओ समागम में उपस्थित प्रतिनिधि.
दलित-पिछड़े समुदायों व आदिवासियों में भाजपा का बढ़ता समर्थन मुख्य चुनौतिः
समागम में इस चुनौती को माना गया कि, दलित-पिछड़े समुदायों व आदिवासियों में भाजपा का समर्थन दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। गैर-भाजपा दल भी भाजपा-आरएसएस के संविधान-विरोधी हिंदुत्व नीति का विरोध करने के बजाय उसे अपना रहे है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने पर विस्तार से चर्चा हुई। विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्रों के सीटों का विस्तार से विश्लेषण किया और वहां की समस्याओं और चुनाव की रणनीति पर अपने विचार रखे। भाजपा द्वारा लोगों को जन मुद्दों से भटका कर धार्मिक बहुसंख्यकवाद में फंसाया जा रहा है। प्रतिनिधियों ने अगले कुछ महीनों में भाजपा के असली चेहरे को उजागर करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में राज्य-वार यात्रा व जन संपर्क कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय लिया।
गैर भाजपा दलों को जन मुद्दों के पक्ष में एवं धार्मिक बहुसंख्यकवाद का विरोध करते हुए अपना राजनीतिक अभियान चलाने की जरुरतः
समागम के अंत में लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान व झारखंड जनाधिकार महासभा एवं सभी प्रतिभागियों द्वारा यह आह्वान किया गया कि, लोकतंत्र को बचाने के लिए 2024 में भाजपा को हराना ही होगा। गैर भाजपा दलों से आव्हान किया गया कि, वे सुनिश्चित करें कि विपक्ष के वोट का बिखराव नहीं हो एवं उनकी ओर से साझा उम्मीदवार दिया जाए। यह भी आह्वान किया गया कि गैर भाजपा दल जन मुद्दों के पक्ष में एवं धार्मिक बहुसंख्यकवाद का विरोध करते हुए अपना राजनीतिक अभियान चलाएं। सभी प्रतिभागियों की ओर से दलित, आदिवासी व पिछड़े समुदायों से अपील है कि वे संगठित हो कर भाजपा का विरोध करें एवं आतंरिक विभाजन से बचें। साथ ही, विभिन्न विचार धाराओं– गांधीवादी, समाजवादी, अम्बेडकरवादी, आदिवासी पहचान आधारित, मार्क्सवादी-लेनिनवादी आदि संगठनों से अपील है कि वे इस लोकतंत्र बचाने के मुहिम में साथ आएं। हमें यकीन है कि झारखंड में सभी आदिवासी-मूलवासी-वंचित अपने जल, जंगल, ज़मीन, खनिज, संस्कृति, स्वशासन और जन अधिकारों के लिए एकजुट होंगे एवं भाजपा को 2024 में झारखंड के सभी 14 लोकसभा सीटों पर हराएंगे।
इन वक्ताओं ने समागम में रखी अपनी बातः
समागम में अंतस पलाश, आशुतोष, अरविन्द अंजुम, भरत भूषण चौधरी, भासान मानमी, बिन्नी आज़ाद, दीनानाथ पेंटे, दिनेश मुर्मू, एलिन लकड़ा, गणेश रवि, गौरव, ग्रेगरी समद, घनश्याम, गिरजा सतीश, किशोर दास, कारू, ललन कुमार, लाल मोहन खेरवार, लुकमान, मिथिलेश डांगी, प्रियदर्शी, रमेश जेराई, रामशरण, राजेश प्रधान, रेयांस समद, रेनू उरांव, शहीद कमल, सुनीता जारिका, सुशील कुमार, सरिता मुर्मू, टॉम कावला, टोनी, उमेश, विकास महतो, विनोद रंजन समेत कई वक्ताओं ने बात रखी।